نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4593 | 48 | 10 | إن الذين يبايعونك إنما يبايعون الله يد الله فوق أيديهم فمن نكث فإنما ينكث على نفسه ومن أوفى بما عاهد عليه الله فسيؤتيه أجرا عظيما |
| | | (ऐ नबी) वे लोग जो तुमसे बैअत करते है वे तो वास्तव में अल्लाह ही से बैअत करते है। उनके हाथों के ऊपर अल्लाह का हाथ होता है। फिर जिस किसी ने वचन भंग किया तो वह वचन भंग करके उसका बवाल अपने ही सिर लेता है, किन्तु जिसने उस प्रतिज्ञा को पूरा किया जो उसने अल्लाह से की है तो उसे वह बड़ा बदला प्रदान करेगा |
|
4594 | 48 | 11 | سيقول لك المخلفون من الأعراب شغلتنا أموالنا وأهلونا فاستغفر لنا يقولون بألسنتهم ما ليس في قلوبهم قل فمن يملك لكم من الله شيئا إن أراد بكم ضرا أو أراد بكم نفعا بل كان الله بما تعملون خبيرا |
| | | जो बद्दू पीछे रह गए थे, वे अब तुमसे कहेगे, "हमारे माल और हमारे घरवालों ने हमें व्यस्त कर रखा था; तो आप हमारे लिए क्षमा की प्रार्थना कीजिए।" वे अपनी ज़बानों से वे बातें कहते है जो उनके दिलों में नहीं। कहना कि, "कौन है जो अल्लाह के मुक़ाबले में तुम्हारे किए किसी चीज़ का अधिकार रखता है, यदि वह तुम्हें कोई हानि पहुँचानी चाहे या वह तुम्हें कोई लाभ पहुँचाने का इरादा करे? बल्कि जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है। - |
|
4595 | 48 | 12 | بل ظننتم أن لن ينقلب الرسول والمؤمنون إلى أهليهم أبدا وزين ذلك في قلوبكم وظننتم ظن السوء وكنتم قوما بورا |
| | | "नहीं, बल्कि तुमने यह समझा कि रसूल और ईमानवाले अपने घरवालों की ओर लौटकर कभी न आएँगे और यह तुम्हारे दिलों को अच्छा लगा। तुमने तो बहुत बुरे गुमान किए और तुम्हीं लोग हुए तबाही में पड़नेवाले।" |
|
4596 | 48 | 13 | ومن لم يؤمن بالله ورسوله فإنا أعتدنا للكافرين سعيرا |
| | | और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान न लाया, तो हमने भी इनकार करनेवालों के लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है |
|
4597 | 48 | 14 | ولله ملك السماوات والأرض يغفر لمن يشاء ويعذب من يشاء وكان الله غفورا رحيما |
| | | अल्लाह ही की है आकाशों और धरती की बादशाही। वह जिसे चाहे क्षमा करे और जिसे चाहे यातना दे। और अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है |
|
4598 | 48 | 15 | سيقول المخلفون إذا انطلقتم إلى مغانم لتأخذوها ذرونا نتبعكم يريدون أن يبدلوا كلام الله قل لن تتبعونا كذلكم قال الله من قبل فسيقولون بل تحسدوننا بل كانوا لا يفقهون إلا قليلا |
| | | जब तुम ग़नीमतों को प्राप्त करने के लिए उनकी ओर चलोगे तो पीछे रहनेवाले कहेंगे, "हमें भी अनुमति दी जाए कि हम तुम्हारे साथ चले।" वे चाहते है कि अल्लाह का कथन को बदल दे। कह देना, "तुम हमारे साथ कदापि नहीं चल सकते। अल्लाह ने पहले ही ऐसा कह दिया है।" इसपर वे कहेंगे, "नहीं, बल्कि तुम हमसे ईर्ष्या कर रहे हो।" नहीं, बल्कि वे लोग समझते थोड़े ही है |
|
4599 | 48 | 16 | قل للمخلفين من الأعراب ستدعون إلى قوم أولي بأس شديد تقاتلونهم أو يسلمون فإن تطيعوا يؤتكم الله أجرا حسنا وإن تتولوا كما توليتم من قبل يعذبكم عذابا أليما |
| | | पीछे रह जानेवाले बद्दूओं से कहना, "शीघ्र ही तुम्हें ऐसे लोगों की ओर बुलाया जाएगा जो बड़े युद्धवीर है कि तुम उनसे लड़ो या वे आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञाकारी हो जाएँ। तो यदि तुम आज्ञापालन करोगे तो अल्लाह तुम्हें अच्छा बदला प्रदान करेगा। किन्तु यदि तुम फिर गए, जैसे पहले फिर गए थे, तो वह तुम्हें दुखद यातना देगा।" |
|
4600 | 48 | 17 | ليس على الأعمى حرج ولا على الأعرج حرج ولا على المريض حرج ومن يطع الله ورسوله يدخله جنات تجري من تحتها الأنهار ومن يتول يعذبه عذابا أليما |
| | | न अन्धे के लिए कोई हरज है, न लँगडे के लिए कोई हरज है और न बीमार के लिए कोई हरज है। जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करके, जिनके नीचे नहरे बह रही होगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा |
|
4601 | 48 | 18 | لقد رضي الله عن المؤمنين إذ يبايعونك تحت الشجرة فعلم ما في قلوبهم فأنزل السكينة عليهم وأثابهم فتحا قريبا |
| | | निश्चय ही अल्लाह मोमिनों से प्रसन्न हुआ, जब वे वृक्ष के नीचे तुमसे बैअत कर रहे थे। उसने जान लिया जो कुछ उनके दिलों में था। अतः उनपर उसने सकीना (प्रशान्ति) उतारी और बदले में उन्हें मिलनेवाली विजय निश्चित कर दी; |
|
4602 | 48 | 19 | ومغانم كثيرة يأخذونها وكان الله عزيزا حكيما |
| | | और बहुत-सी ग़नीमतें भी, जिन्हें वे प्राप्त करेंगे। अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
|