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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4567 | 47 | 22 | فهل عسيتم إن توليتم أن تفسدوا في الأرض وتقطعوا أرحامكم |
| | | (मुनाफ़िक़ों) क्या तुमसे कुछ दूर है कि अगर तुम हाक़िम बनो तो रूए ज़मीन में फसाद फैलाने और अपने रिश्ते नातों को तोड़ने लगो ये वही लोग हैं जिन पर ख़ुदा ने लानत की है |
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4568 | 47 | 23 | أولئك الذين لعنهم الله فأصمهم وأعمى أبصارهم |
| | | और (गोया ख़ुद उसने) उन (के कानों) को बहरा और ऑंखों को अंधा कर दिया है |
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4569 | 47 | 24 | أفلا يتدبرون القرآن أم على قلوب أقفالها |
| | | तो क्या लोग क़ुरान में (ज़रा भी) ग़ौर नहीं करते या (उनके) दिलों पर ताले लगे हुए हैं |
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4570 | 47 | 25 | إن الذين ارتدوا على أدبارهم من بعد ما تبين لهم الهدى الشيطان سول لهم وأملى لهم |
| | | बेशक जो लोग राहे हिदायत साफ़ साफ़ मालूम होने के बाद उलटे पाँव (कुफ़्र की तरफ) फिर गये शैतान ने उन्हें (बुते देकर) ढील दे रखी है और उनकी (तमन्नाओं) की रस्सियाँ दराज़ कर दी हैं |
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4571 | 47 | 26 | ذلك بأنهم قالوا للذين كرهوا ما نزل الله سنطيعكم في بعض الأمر والله يعلم إسرارهم |
| | | यह इसलिए जो लोग ख़ुदा की नाज़िल की हुई(किताब) से बेज़ार हैं ये उनसे कहते हैं कि बाज़ कामों में हम तुम्हारी ही बात मानेंगे और ख़ुदा उनके पोशीदा मशवरों से वाक़िफ है |
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4572 | 47 | 27 | فكيف إذا توفتهم الملائكة يضربون وجوههم وأدبارهم |
| | | तो जब फ़रिश्तें उनकी जान निकालेंगे उस वक्त उनका क्या हाल होगा कि उनके चेहरों पर और उनकी पुश्त पर मारते जाएँगे |
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4573 | 47 | 28 | ذلك بأنهم اتبعوا ما أسخط الله وكرهوا رضوانه فأحبط أعمالهم |
| | | ये इस सबब से कि जिस चीज़ों से ख़ुदा नाख़ुश है उसकी तो ये लोग पैरवी करते हैं और जिसमें ख़ुदा की ख़ुशी है उससे बेज़ार हैं तो ख़ुदा ने भी उनकी कारस्तानियों को अकारत कर दिया |
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4574 | 47 | 29 | أم حسب الذين في قلوبهم مرض أن لن يخرج الله أضغانهم |
| | | क्या वह लोग जिनके दिलों में (नेफ़ाक़ का) मर्ज़ है ये ख्याल करते हैं कि ख़ुदा दिल के कीनों को भी न ज़ाहिर करेगा |
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4575 | 47 | 30 | ولو نشاء لأريناكهم فلعرفتهم بسيماهم ولتعرفنهم في لحن القول والله يعلم أعمالكم |
| | | तो हम चाहते तो हम तुम्हें इन लोगों को दिखा देते तो तुम उनकी पेशानी ही से उनको पहचान लेते अगर तुम उन्हें उनके अन्दाज़े गुफ्तगू ही से ज़रूर पहचान लोगे और ख़ुदा तो तुम्हारे आमाल से वाक़िफ है |
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4576 | 47 | 31 | ولنبلونكم حتى نعلم المجاهدين منكم والصابرين ونبلو أخباركم |
| | | और हम तुम लोगों को ज़रूर आज़माएँगे ताकि तुममें जो लोग जेहाद करने वाले और (तकलीफ़) झेलने वाले हैं उनको देख लें और तुम्हारे हालात जाँच लें |
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