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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4543 | 46 | 33 | أولم يروا أن الله الذي خلق السماوات والأرض ولم يعي بخلقهن بقادر على أن يحيي الموتى بلى إنه على كل شيء قدير |
| | | क्या उन्होंने देखा नहीं कि जिस अल्लाह ने आकाशों और धरती को पैदा किया और उनके पैदा करने से थका नहीं; क्या ऐसा नहीं कि वह मुर्दों को जीवित कर दे? क्यों नहीं, निश्चय ही उसे हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
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4544 | 46 | 34 | ويوم يعرض الذين كفروا على النار أليس هذا بالحق قالوا بلى وربنا قال فذوقوا العذاب بما كنتم تكفرون |
| | | और याद करो जिस दिन वे लोग, जिन्होंने इनकार किया, आग के सामने पेश किए जाएँगे, (कहा जाएगा) "क्या यह सत्य नहीं है?" वे कहेंगे, "नहीं, हमारे रब की क़सम!" वह कहेगा, "तो अब यातना का मज़ा चखो, उउस इनकार के बदले में जो तुम करते रहे थे।" |
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4545 | 46 | 35 | فاصبر كما صبر أولو العزم من الرسل ولا تستعجل لهم كأنهم يوم يرون ما يوعدون لم يلبثوا إلا ساعة من نهار بلاغ فهل يهلك إلا القوم الفاسقون |
| | | अतः धैर्य से काम लो, जिस प्रकार संकल्पवान रसूलों ने धैर्य से काम लिया। और उनके लिए जल्दी न करो। जिस दिन वे लोग उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है, तो वे महसूस करेंगे कि जैसे वे बस दिन की एक घड़ी भर ही ठहरे थे। यह (संदेश) साफ़-साफ़ पहुँचा देना है। अब क्या अवज्ञाकारी लोगों के अतिरिक्त कोई और विनष्ट होगा? |
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4546 | 47 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الذين كفروا وصدوا عن سبيل الله أضل أعمالهم |
| | | जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका उनके कर्म उसने अकारथ कर दिए |
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4547 | 47 | 2 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات وآمنوا بما نزل على محمد وهو الحق من ربهم كفر عنهم سيئاتهم وأصلح بالهم |
| | | रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए और उस चीज़ पर ईमान लाए जो मुहम्मद पर अवतरित किया गया - और वही सत्य है उनके रब की ओर से - उसने उसकी बुराइयाँ उनसे दूर कर दीं और उनका हाल ठीक कर दिया |
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4548 | 47 | 3 | ذلك بأن الذين كفروا اتبعوا الباطل وأن الذين آمنوا اتبعوا الحق من ربهم كذلك يضرب الله للناس أمثالهم |
| | | यह इसलिए कि जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने असत्य का अनुसरण किया और यह कि जो लोग ईमान लाए उन्होंने सत्य का अनुसरण किया, जो उनके रब की ओर से है। इस प्रकार अल्लाह लोगों के लिए उनकी मिसालें बयान करता है |
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4549 | 47 | 4 | فإذا لقيتم الذين كفروا فضرب الرقاب حتى إذا أثخنتموهم فشدوا الوثاق فإما منا بعد وإما فداء حتى تضع الحرب أوزارها ذلك ولو يشاء الله لانتصر منهم ولكن ليبلو بعضكم ببعض والذين قتلوا في سبيل الله فلن يضل أعمالهم |
| | | अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा |
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4550 | 47 | 5 | سيهديهم ويصلح بالهم |
| | | वह उनका मार्गदर्शन करेगा और उनका हाल ठीक कर देगा |
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4551 | 47 | 6 | ويدخلهم الجنة عرفها لهم |
| | | और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है |
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4552 | 47 | 7 | يا أيها الذين آمنوا إن تنصروا الله ينصركم ويثبت أقدامكم |
| | | ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो, यदि तुम अल्लाह की सहायता करोगे तो वह तुम्हारी सहायता करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा |
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