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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4531 | 46 | 21 | واذكر أخا عاد إذ أنذر قومه بالأحقاف وقد خلت النذر من بين يديه ومن خلفه ألا تعبدوا إلا الله إني أخاف عليكم عذاب يوم عظيم |
| | | और (ऐ रसूल) तुम आद को भाई (हूद) को याद करो जब उन्होंने अपनी क़ौम को (सरज़मीन) अहक़ाफ में डराया और उनके पहले और उनके बाद भी बहुत से डराने वाले पैग़म्बर गुज़र चुके थे (और हूद ने अपनी क़ौम से कहा) कि ख़ुदा के सिवा किसी की इबादत न करो क्योंकि तुम्हारे बारे में एक बड़े सख्त दिन के अज़ाब से डरता हूँ |
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4532 | 46 | 22 | قالوا أجئتنا لتأفكنا عن آلهتنا فأتنا بما تعدنا إن كنت من الصادقين |
| | | वह बोले क्या तुम हमारे पास इसलिए आए हो कि हमको हमारे माबूदों से फेर दो तो अगर तुम सच्चे हो तो जिस अज़ाब की तुम हमें धमकी देते हो ले आओ |
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4533 | 46 | 23 | قال إنما العلم عند الله وأبلغكم ما أرسلت به ولكني أراكم قوما تجهلون |
| | | हूद ने कहा (इसका) इल्म तो बस ख़ुदा के पास है और (मैं जो एहकाम देकर भेजा गया हूँ) वह तुम्हें पहुँचाए देता हूँ मगर मैं तुमको देखता हूँ कि तुम जाहिल लोग हो |
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4534 | 46 | 24 | فلما رأوه عارضا مستقبل أوديتهم قالوا هذا عارض ممطرنا بل هو ما استعجلتم به ريح فيها عذاب أليم |
| | | तो जब उन लोगों ने इस (अज़ाब) को देखा कि वबाल की तरह उनके मैदानों की तरफ उम्ड़ा आ रहा है तो कहने लगे ये तो बादल है जो हम पर बरस कर रहेगा (नहीं) बल्कि ये वह (अज़ाब) जिसकी तुम जल्दी मचा रहे थे (ये) वह ऑंधी है जिसमें दर्दनाक (अज़ाब) है |
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4535 | 46 | 25 | تدمر كل شيء بأمر ربها فأصبحوا لا يرى إلا مساكنهم كذلك نجزي القوم المجرمين |
| | | जो अपने परवरदिगार के हुक्म से हर चीज़ को तबाह व बरबाद कर देगी तो वह ऐसे (तबाह) हुए कि उनके घरों के सिवा कुछ नज़र ही नहीं आता था हम गुनाहगारों की यूँ ही सज़ा किया करते हैं |
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4536 | 46 | 26 | ولقد مكناهم فيما إن مكناكم فيه وجعلنا لهم سمعا وأبصارا وأفئدة فما أغنى عنهم سمعهم ولا أبصارهم ولا أفئدتهم من شيء إذ كانوا يجحدون بآيات الله وحاق بهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | और हमने उनको ऐसे कामों में मक़दूर दिये थे जिनमें तुम्हें (कुछ भी) मक़दूर नहीं दिया और उन्हें कान और ऑंख और दिल (सब कुछ दिए थे) तो चूँकि वह लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करने लगे तो न उनके कान ही कुछ काम आए और न उनकी ऑंखें और न उनके दिल और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे उसने उनको हर तरफ से घेर लिया |
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4537 | 46 | 27 | ولقد أهلكنا ما حولكم من القرى وصرفنا الآيات لعلهم يرجعون |
| | | और (ऐ अहले मक्का) हमने तुम्हारे इर्द गिर्द की बस्तियों को हलाक कर मारा और (अपनी क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ तरह तरह से दिखा दी ताकि ये लोग बाज़ आएँ (मगर कौन सुनता है) |
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4538 | 46 | 28 | فلولا نصرهم الذين اتخذوا من دون الله قربانا آلهة بل ضلوا عنهم وذلك إفكهم وما كانوا يفترون |
| | | तो ख़ुदा के सिवा जिन को उन लोगों ने तक़र्रुब (ख़ुदा) के लिए माबूद बना रखा था उन्होंने (अज़ाब के वक्त) उनकी क्यों न मदद की बल्कि वह तो उनसे ग़ायब हो गये और उनके झूठ और उनकी (इफ़तेरा) परदाज़ियों की ये हक़ीक़त थी |
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4539 | 46 | 29 | وإذ صرفنا إليك نفرا من الجن يستمعون القرآن فلما حضروه قالوا أنصتوا فلما قضي ولوا إلى قومهم منذرين |
| | | और जब हमने जिनों में से कई शख़्शों को तुम्हारी तरफ मुतावज्जे किया कि वह दिल लगाकर क़ुरान सुनें तो जब उनके पास हाज़िर हुए तो एक दुसरे से कहने लगे ख़ामोश बैठे (सुनते) रहो फिर जब (पढ़ना) तमाम हुआ तो अपनी क़ौम की तरफ़ वापस गए |
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4540 | 46 | 30 | قالوا يا قومنا إنا سمعنا كتابا أنزل من بعد موسى مصدقا لما بين يديه يهدي إلى الحق وإلى طريق مستقيم |
| | | कि (उनको अज़ाब से) डराएं तो उन से कहना शुरू किया कि ऐ भाइयों हम एक किताब सुन आए हैं जो मूसा के बाद नाज़िल हुई है (और) जो किताबें, पहले (नाज़िल हुयीं) हैं उनकी तसदीक़ करती हैं सच्चे (दीन) और सीधी राह की हिदायत करती हैं |
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