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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4509 | 45 | 36 | فلله الحمد رب السماوات ورب الأرض رب العالمين |
| | | पस सब तारीफ ख़ुदा ही के लिए सज़ावार है जो सारे आसमान का मालिक और ज़मीन का मालिक (ग़रज़) सारे जहॉन का मालिक है |
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4510 | 45 | 37 | وله الكبرياء في السماوات والأرض وهو العزيز الحكيم |
| | | और सारे आसमान व ज़मीन में उसके लिए बड़ाई है और वही (सब पर) ग़ालिब हिकमत वाला है |
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4511 | 46 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم حم |
| | | हा मीम |
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4512 | 46 | 2 | تنزيل الكتاب من الله العزيز الحكيم |
| | | ये किताब ग़ालिब (व) हकीम ख़ुदा की तरफ से नाज़िल हुई है |
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4513 | 46 | 3 | ما خلقنا السماوات والأرض وما بينهما إلا بالحق وأجل مسمى والذين كفروا عما أنذروا معرضون |
| | | हमने तो सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है हिकमत ही से एक ख़ास वक्त तक के लिए ही पैदा किया है और कुफ्फ़ार जिन चीज़ों से डराए जाते हैं उन से मुँह फेर लेते हैं |
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4514 | 46 | 4 | قل أرأيتم ما تدعون من دون الله أروني ماذا خلقوا من الأرض أم لهم شرك في السماوات ائتوني بكتاب من قبل هذا أو أثارة من علم إن كنتم صادقين |
| | | (ऐ रसूल) तुम पूछो कि ख़ुदा को छोड़ कर जिनकी तुम इबादत करते हो क्या तुमने उनको देखा है मुझे भी तो दिखाओ कि उन लोगों ने ज़मीन में क्या चीज़े पैदा की हैं या आसमानों (के बनाने) में उनकी शिरकत है तो अगर तुम सच्चे हो तो उससे पहले की कोई किताब (या अगलों के) इल्म का बक़िया हो तो मेरे सामने पेश करो |
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4515 | 46 | 5 | ومن أضل ممن يدعو من دون الله من لا يستجيب له إلى يوم القيامة وهم عن دعائهم غافلون |
| | | और उस शख़्श से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ख़ुदा के सिवा ऐसे शख़्श को पुकारे जो उसे क़यामत तक जवाब ही न दे और उनको उनके पुकारने की ख़बरें तक न हों |
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4516 | 46 | 6 | وإذا حشر الناس كانوا لهم أعداء وكانوا بعبادتهم كافرين |
| | | और जब लोग (क़यामत) में जमा किये जाएगें तो वह (माबूद) उनके दुशमन हो जाएंगे और उनकी परसतिश से इन्कार करेंगे |
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4517 | 46 | 7 | وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قال الذين كفروا للحق لما جاءهم هذا سحر مبين |
| | | और जब हमारी खुली खुली आयतें उनके सामने पढ़ी जाती हैं तो जो लोग काफिर हैं हक़ के बारे में जब उनके पास आ चुका तो कहते हैं ये तो सरीही जादू है |
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4518 | 46 | 8 | أم يقولون افتراه قل إن افتريته فلا تملكون لي من الله شيئا هو أعلم بما تفيضون فيه كفى به شهيدا بيني وبينكم وهو الغفور الرحيم |
| | | क्या ये कहते हैं कि इसने इसको ख़ुद गढ़ लिया है तो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर मैं इसको (अपने जी से) गढ़ लेता तो तुम ख़ुदा के सामने मेरे कुछ भी काम न आओगे जो जो बातें तुम लोग उसके बारे में करते रहते हो वह ख़ूब जानता है मेरे और तुम्हारे दरमियान वही गवाही को काफ़ी है और वही बड़ा बख्शने वाला है मेहरबान है |
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