نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4497 | 45 | 24 | وقالوا ما هي إلا حياتنا الدنيا نموت ونحيا وما يهلكنا إلا الدهر وما لهم بذلك من علم إن هم إلا يظنون |
| | | वे कहते है, "वह तो बस हमारा सांसारिक जीवन ही है। हम मरते और जीते है। हमें तो बस काल (समय) ही विनष्ट करता है।" हालाँकि उनके पास इसका कोई ज्ञान नहीं। वे तो बस अटकलें ही दौड़ाते है |
|
4498 | 45 | 25 | وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات ما كان حجتهم إلا أن قالوا ائتوا بآبائنا إن كنتم صادقين |
| | | और जब उनके सामने हमारी स्पष्ट आयतें पढ़ी जाती है, तो उनकी हुज्जत इसके सिवा कुछ और नहीं होती कि वे कहते है, "यदि तुम सच्चे हो तो हमारे बाप-दादा को ले आओ।" |
|
4499 | 45 | 26 | قل الله يحييكم ثم يميتكم ثم يجمعكم إلى يوم القيامة لا ريب فيه ولكن أكثر الناس لا يعلمون |
| | | कह दो, "अल्लाह ही तुम्हें जीवन प्रदान करता है। फिर वहीं तुम्हें मृत्यु देता है। फिर वही तुम्हें क़ियामत के दिन तक इकट्ठा कर रहा है, जिसमें कोई संदेह नहीं। किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं |
|
4500 | 45 | 27 | ولله ملك السماوات والأرض ويوم تقوم الساعة يومئذ يخسر المبطلون |
| | | आकाशों और धरती की बादशाही अल्लाह ही की है। और जिस दिन वह घड़ी घटित होगी उस दिन झूठवाले घाटे में होंगे |
|
4501 | 45 | 28 | وترى كل أمة جاثية كل أمة تدعى إلى كتابها اليوم تجزون ما كنتم تعملون |
| | | और तुम प्रत्येक गिरोह को घुटनों के बल झुका हुआ देखोगे। प्रत्येक गिरोह अपनी किताब की ओर बुलाया जाएगा, "आज तुम्हें उसी का बदला दिया जाएगा, जो तुम करते थे |
|
4502 | 45 | 29 | هذا كتابنا ينطق عليكم بالحق إنا كنا نستنسخ ما كنتم تعملون |
| | | "यह हमारी किताब है, जो तुम्हारे मुक़ाबले में ठीक-ठीक बोल रही है। निश्चय ही हम लिखवाते रहे हैं जो कुछ तुम करते थे।" |
|
4503 | 45 | 30 | فأما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فيدخلهم ربهم في رحمته ذلك هو الفوز المبين |
| | | अतः जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें उनका रब अपनी दयालुता में दाख़िल करेगा, यही स्पष्ट सफलता है |
|
4504 | 45 | 31 | وأما الذين كفروا أفلم تكن آياتي تتلى عليكم فاستكبرتم وكنتم قوما مجرمين |
| | | रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया (उनसे कहा जाएगा,) "क्या तुम्हें हमारी आयतें पढ़कर नहीं सुनाई जाती थी? किन्तु तुमने घमंड किया और तुम थे ही अपराधी लोग |
|
4505 | 45 | 32 | وإذا قيل إن وعد الله حق والساعة لا ريب فيها قلتم ما ندري ما الساعة إن نظن إلا ظنا وما نحن بمستيقنين |
| | | और जब कहा जाता था कि अल्लाह का वादा सच्चा है और (क़ियामत की) घड़ी में कोई संदेह नहीं हैं। तो तुम कहते थे, "हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या हैं? तो तुम कहते थे, 'हम नहीं जानते कि वह घड़ी क्या है? हमें तो बस एक अनुमान-सा प्रतीत होता है और हमें विश्वास नहीं होता।'" |
|
4506 | 45 | 33 | وبدا لهم سيئات ما عملوا وحاق بهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | और जो कुछ वे करते रहे उसकी बुराइयाँ उनपर प्रकट हो गई और जिस चीज़ का वे परिहास करते थे उसी ने उन्हें आ घेरा |
|