بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
4493156يا أيها الذين آمنوا لا تكونوا كالذين كفروا وقالوا لإخوانهم إذا ضربوا في الأرض أو كانوا غزى لو كانوا عندنا ما ماتوا وما قتلوا ليجعل الله ذلك حسرة في قلوبهم والله يحيي ويميت والله بما تعملون بصير
ऐ ईमान लानेवालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने इनकार किया और अपने भाईयों के विषय में, जबकि वे सफ़र में गए हों या युद्ध में हो (और उनकी वहाँ मृत्यु हो जाए तो) कहते है, "यदि वे हमारे पास होते तो न मरते और न क़त्ल होते।" (ऐसी बातें तो इसलिए होती है) ताकि अल्लाह उनको उनके दिलों में घर करनेवाला पछतावा और सन्ताप बना दे। अल्लाह ही जीवन प्रदान करने और मृत्यु देनेवाला है। और तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह अल्लाह की स्पष्ट में है
4503157ولئن قتلتم في سبيل الله أو متم لمغفرة من الله ورحمة خير مما يجمعون
और यदि तुम अल्लाह के मार्ग में मारे गए या मर गए, तो अल्लाह का क्षमादान और उसकी दयालुता तो उससे कहीं उत्तम है, जिसके बटोरने में वे लगे हुए है
4513158ولئن متم أو قتلتم لإلى الله تحشرون
हाँ, यदि तुम मर गए या मारे गए, तो प्रत्येक दशा में तुम अल्लाह ही के पास इकट्ठा किए जाओगे
4523159فبما رحمة من الله لنت لهم ولو كنت فظا غليظ القلب لانفضوا من حولك فاعف عنهم واستغفر لهم وشاورهم في الأمر فإذا عزمت فتوكل على الله إن الله يحب المتوكلين
(तुमने तो अपनी दयालुता से उन्हें क्षमा कर दिया) तो अल्लाह की ओर से ही बड़ी दयालुता है जिसके कारण तुम उनके लिए नर्म रहे हो, यदि कहीं तुम स्वभाव के क्रूर और कठोर हृदय होते तो ये सब तुम्हारे पास से छँट जाते। अतः उन्हें क्षमा कर दो और उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करो। और मामलों में उनसे परामर्श कर लिया करो। फिर जब तुम्हारे संकल्प किसी सम्मति पर सुदृढ़ हो जाएँ तो अल्लाह पर भरोसा करो। निस्संदेह अल्लाह को वे लोग प्रिय है जो उसपर भरोसा करते है
4533160إن ينصركم الله فلا غالب لكم وإن يخذلكم فمن ذا الذي ينصركم من بعده وعلى الله فليتوكل المؤمنون
यदि अल्लाह तुम्हारी सहायता करे, तो कोई तुमपर प्रभावी नहीं हो सकता। और यदि वह तुम्हें छोड़ दे, तो फिर कौन हो जो उसके पश्चात तुम्हारी सहायता कर सके। अतः ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए
4543161وما كان لنبي أن يغل ومن يغلل يأت بما غل يوم القيامة ثم توفى كل نفس ما كسبت وهم لا يظلمون
यह किसी नबी के लिए सम्भब नहीं कि वह दिल में कीना-कपट रखे, और जो कोई कीना-कपट रखेगा तो वह क़ियामत के दिन अपने द्वेष समेत हाज़िर होगा। और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएँगा और उनपर कुछ भी ज़ुल्म न होगा
4553162أفمن اتبع رضوان الله كمن باء بسخط من الله ومأواه جهنم وبئس المصير
भला क्या जो व्यक्ति अल्लाह की इच्छा पर चले वह उस जैसा हो सकता है जो अल्लाह के प्रकोप का भागी हो चुका हो और जिसका ठिकाना जहन्नम है? और वह क्या ही बुरा ठिकाना है
4563163هم درجات عند الله والله بصير بما يعملون
अल्लाह के यहाँ उनके विभिन्न दर्जे है और जो कुछ वे कर रहे है, अल्लाह की स्पष्ट में है
4573164لقد من الله على المؤمنين إذ بعث فيهم رسولا من أنفسهم يتلو عليهم آياته ويزكيهم ويعلمهم الكتاب والحكمة وإن كانوا من قبل لفي ضلال مبين
निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों पर बड़ा उपकार किया, जबकि स्वयं उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठाया जो उन्हें आयतें सुनाता है और उन्हें निखारता है, और उन्हें किताब और हिक़मत (तत्वदर्शिता) का शिक्षा देता है, अन्यथा इससे पहले वे लोग खुली गुमराही में पड़े हुए थे
4583165أولما أصابتكم مصيبة قد أصبتم مثليها قلتم أنى هذا قل هو من عند أنفسكم إن الله على كل شيء قدير
यह क्या कि जब तुम्हें एक मुसीबत पहुँची, जिसकी दोगुनी तुमने पहुँचाए, तो तुम कहने लगे कि, "यह कहाँ से आ गई?" कह दो, "यह तो तुम्हारी अपनी ओर से है, अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है।"


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