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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4368 | 43 | 43 | فاستمسك بالذي أوحي إليك إنك على صراط مستقيم |
| | | अतः तुम उस चीज़ को मज़बूती से थामे रहो जिसकी तुम्हारी ओर प्रकाशना की गई। निश्चय ही तु सीधे मार्ग पर हो |
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4369 | 43 | 44 | وإنه لذكر لك ولقومك وسوف تسألون |
| | | निश्चय ही वह अनुस्मृति है तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए। शीघ्र ही तुम सबसे पूछा जाएगा |
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4370 | 43 | 45 | واسأل من أرسلنا من قبلك من رسلنا أجعلنا من دون الرحمن آلهة يعبدون |
| | | तुम हमारे रसूलों से, जिन्हें हमने तुमसे पहले भेजा, पूछ लो कि क्या हमने रहमान के सिवा भी कुछ उपास्य ठहराए थे, जिनकी बन्दगी की जाए? |
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4371 | 43 | 46 | ولقد أرسلنا موسى بآياتنا إلى فرعون وملئه فقال إني رسول رب العالمين |
| | | और हमने मूसा को अपनी निशानियों के साथ फ़िरऔन और उसके सरदारों के पास भेजा तो उसने कहा, "मैं सारे संसार के रब का रसूल हूँ।" |
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4372 | 43 | 47 | فلما جاءهم بآياتنا إذا هم منها يضحكون |
| | | लेकिन जब वह उनके पास हमारी निशानियाँ लेकर आया तो क्या देखते है कि वे लगे उनकी हँसी उड़ाने |
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4373 | 43 | 48 | وما نريهم من آية إلا هي أكبر من أختها وأخذناهم بالعذاب لعلهم يرجعون |
| | | और हम उन्हें जो निशानी भी दिखाते वह अपने प्रकार की पहली निशानी से बढ़-चढ़कर होती और हमने उन्हें यातना से ग्रस्त कर लिया, ताकि वे रुजू करें |
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4374 | 43 | 49 | وقالوا يا أيه الساحر ادع لنا ربك بما عهد عندك إننا لمهتدون |
| | | उनका कहना था, "ऐ जादूगर! अपने रब से हमारे लिए प्रार्थना कर, उस प्रतिज्ञा के आधार पर जो उसने तुझसे कर रखी है। निश्चय ही हम सीधे मार्ग पर चलेंगे।" |
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4375 | 43 | 50 | فلما كشفنا عنهم العذاب إذا هم ينكثون |
| | | फिर जब भी हम उनपर ले यातना हटा देते है, तो क्या देखते है कि वे प्रतिज्ञा-भंग कर रहे है |
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4376 | 43 | 51 | ونادى فرعون في قومه قال يا قوم أليس لي ملك مصر وهذه الأنهار تجري من تحتي أفلا تبصرون |
| | | फ़िरऔन ने अपनी क़ौम के बीच पुकारकर कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! क्या मिस्र का राज्य मेरा नहीं और ये मेरे नीचे बहती नहरें? तो क्या तुम देखते नहीं? |
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4377 | 43 | 52 | أم أنا خير من هذا الذي هو مهين ولا يكاد يبين |
| | | (यह अच्छा है) या मैं इससे अच्छा हूँ जो तुच्छ है, और साफ़ बोल भी नहीं पाता? |
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