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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4358 | 43 | 33 | ولولا أن يكون الناس أمة واحدة لجعلنا لمن يكفر بالرحمن لبيوتهم سقفا من فضة ومعارج عليها يظهرون |
| | | यदि इस बात की सम्भावना न होती कि सब लोग एक ही समुदाय (अधर्मी) हो जाएँगे, तो जो लोग रहमान के साथ कुफ़्र करते है उनके लिए हम उनके घरों की छतें चाँदी की कर देते है और सीढ़ियाँ भी जिनपर वे चढ़ते। |
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4359 | 43 | 34 | ولبيوتهم أبوابا وسررا عليها يتكئون |
| | | और उनके घरों के दरवाज़े भी और वे तख़्त भी जिनपर वे टेक लगाते |
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4360 | 43 | 35 | وزخرفا وإن كل ذلك لما متاع الحياة الدنيا والآخرة عند ربك للمتقين |
| | | और सोने द्वारा सजावट का आयोजन भी कर देते। यह सब तो कुछ भी नहीं, बस सांसारिक जीवन की अस्थायी सुख-सामग्री है। और आख़िरत तुम्हारे रब के यहाँ डर रखनेवालों के लिए है |
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4361 | 43 | 36 | ومن يعش عن ذكر الرحمن نقيض له شيطانا فهو له قرين |
| | | जो रहमान के स्मरण की ओर से अंधा बना रहा है, हम उसपर एक शैतान नियुक्त कर देते है तो वही उसका साथी होता है |
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4362 | 43 | 37 | وإنهم ليصدونهم عن السبيل ويحسبون أنهم مهتدون |
| | | औऱ वे (शैतान) उन्हें मार्ग से रोकते है और वे (इनकार करनेवाले) यह समझते है कि वे मार्ग पर है |
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4363 | 43 | 38 | حتى إذا جاءنا قال يا ليت بيني وبينك بعد المشرقين فبئس القرين |
| | | यहाँ तक कि जब वह हमारे पास आएगा तो (शैतान से) कहेगा, "ऐ काश, मेरे और तेरे बीच पूरब के दोनों किनारों की दूरी होती! तू तो बहुत ही बुरा साथी निकला!" |
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4364 | 43 | 39 | ولن ينفعكم اليوم إذ ظلمتم أنكم في العذاب مشتركون |
| | | और जबकि तुम ज़ालिम ठहरे तो आज यह बात तुम्हें कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी कि यातना में तुम एक-दूसरे के साझी हो |
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4365 | 43 | 40 | أفأنت تسمع الصم أو تهدي العمي ومن كان في ضلال مبين |
| | | क्या तुम बहरों को सुनाओगे या अंधो को और जो खुली गुमराही में पड़ा हुआ हो उसको राह दिखाओगे? |
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4366 | 43 | 41 | فإما نذهبن بك فإنا منهم منتقمون |
| | | फिर यदि तुम्हें उठा भी लें तब भी हम उनसे बदला लेकर रहेंगे |
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4367 | 43 | 42 | أو نرينك الذي وعدناهم فإنا عليهم مقتدرون |
| | | या हम तुम्हें वह चीज़ दिखा देंगे जिसका हमने वादा किया है। निस्संदेह हमें उनपर पूरी सामर्थ्य प्राप्त है |
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