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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4355 | 43 | 30 | ولما جاءهم الحق قالوا هذا سحر وإنا به كافرون |
| | | और जब उनके पास (दीन) हक़ आ गया तो कहने लगे ये तो जादू है और हम तो हरगिज़ इसके मानने वाले नहीं |
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4356 | 43 | 31 | وقالوا لولا نزل هذا القرآن على رجل من القريتين عظيم |
| | | और कहने लगे कि ये क़ुरान इन दो बस्तियों (मक्के ताएफ) में से किसी बड़े आदमी पर क्यों नहीं नाज़िल किया गया |
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4357 | 43 | 32 | أهم يقسمون رحمت ربك نحن قسمنا بينهم معيشتهم في الحياة الدنيا ورفعنا بعضهم فوق بعض درجات ليتخذ بعضهم بعضا سخريا ورحمت ربك خير مما يجمعون |
| | | ये लोग तुम्हारे परवरदिगार की रहमत को (अपने तौर पर) बाँटते हैं हमने तो इनके दरमियान उनकी रोज़ी दुनयावी ज़िन्दगी में बाँट ही दी है और एक के दूसरे पर दर्जे बुलन्द किए हैं ताकि इनमें का एक दूसरे से ख़िदमत ले और जो माल (मतआ) ये लोग जमा करते फिरते हैं ख़ुदा की रहमत (पैग़म्बर) इससे कहीं बेहतर है |
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4358 | 43 | 33 | ولولا أن يكون الناس أمة واحدة لجعلنا لمن يكفر بالرحمن لبيوتهم سقفا من فضة ومعارج عليها يظهرون |
| | | और अगर ये बात न होती कि (आख़िर) सब लोग एक ही तरीक़े के हो जाएँगे तो हम उनके लिए जो ख़ुदा से इन्कार करते हैं उनके घरों की छतें और वही सीढ़ियाँ जिन पर वह चढ़ते हैं (उतरते हैं) |
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4359 | 43 | 34 | ولبيوتهم أبوابا وسررا عليها يتكئون |
| | | और उनके घरों के दरवाज़े और वह तख्त जिन पर तकिये लगाते हैं चाँदी और सोने के बना देते |
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4360 | 43 | 35 | وزخرفا وإن كل ذلك لما متاع الحياة الدنيا والآخرة عند ربك للمتقين |
| | | ये सब साज़ो सामान, तो बस दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) साज़ो सामान हैं (जो मिट जाएँगे) और आख़ेरत (का सामान) तो तुम्हारे परवरदिगार के यहॉ ख़ास परहेज़गारों के लिए है |
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4361 | 43 | 36 | ومن يعش عن ذكر الرحمن نقيض له شيطانا فهو له قرين |
| | | और जो शख़्श ख़ुदा की चाह से अन्धा बनता है हम (गोया ख़ुद) उसके वास्ते शैतान मुक़र्रर कर देते हैं तो वही उसका (हर दम का) साथी है |
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4362 | 43 | 37 | وإنهم ليصدونهم عن السبيل ويحسبون أنهم مهتدون |
| | | और वह (शयातीन) उन लोगों को (ख़ुदा की) राह से रोकते रहते हैं बावजूद इसके वह उसी ख्याल में हैं कि वह यक़ीनी राहे रास्त पर हैं |
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4363 | 43 | 38 | حتى إذا جاءنا قال يا ليت بيني وبينك بعد المشرقين فبئس القرين |
| | | यहाँ तक कि जब (क़यामत में) हमारे पास आएगा तो (अपने साथी शैतान से) कहेगा काश मुझमें और तुममें पूरब पश्चिम का फ़ासला होता ग़रज़ (शैतान भी) क्या ही बुरा रफीक़ है |
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4364 | 43 | 39 | ولن ينفعكم اليوم إذ ظلمتم أنكم في العذاب مشتركون |
| | | और जब तुम नाफरमानियाँ कर चुके तो (शयातीन के साथ) तुम्हारा अज़ाब में शरीक होना भी आज तुमको (अज़ाब की कमी में) कोई फायदा नहीं पहुँचा सकता |
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