نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4355 | 43 | 30 | ولما جاءهم الحق قالوا هذا سحر وإنا به كافرون |
| | | किन्तु जब वह हक़ लेकर उनके पास आया तो वे कहने लगे, "यह तो जादू है। और हम तो इसका इनकार करते है।" |
|
4356 | 43 | 31 | وقالوا لولا نزل هذا القرآن على رجل من القريتين عظيم |
| | | वे कहते है, "यह क़ुरआन इन दो बस्तियों के किसी बड़े आदमी पर क्यों नहीं अवतरित हुआ?" |
|
4357 | 43 | 32 | أهم يقسمون رحمت ربك نحن قسمنا بينهم معيشتهم في الحياة الدنيا ورفعنا بعضهم فوق بعض درجات ليتخذ بعضهم بعضا سخريا ورحمت ربك خير مما يجمعون |
| | | क्या वे तुम्हारे रब की दयालुता को बाँटते है? सांसारिक जीवन में उनके जीवन-यापन के साधन हमने उनके बीच बाँटे है और हमने उनमें से कुछ लोगों को दूसरे कुछ लोगों से श्रेणियों की दृष्टि से उच्च रखा है, ताकि उनमें से वे एक-दूसरे से काम लें। और तुम्हारे रब की दयालुता उससे कहीं उत्तम है जिसे वे समेट रहे है |
|
4358 | 43 | 33 | ولولا أن يكون الناس أمة واحدة لجعلنا لمن يكفر بالرحمن لبيوتهم سقفا من فضة ومعارج عليها يظهرون |
| | | यदि इस बात की सम्भावना न होती कि सब लोग एक ही समुदाय (अधर्मी) हो जाएँगे, तो जो लोग रहमान के साथ कुफ़्र करते है उनके लिए हम उनके घरों की छतें चाँदी की कर देते है और सीढ़ियाँ भी जिनपर वे चढ़ते। |
|
4359 | 43 | 34 | ولبيوتهم أبوابا وسررا عليها يتكئون |
| | | और उनके घरों के दरवाज़े भी और वे तख़्त भी जिनपर वे टेक लगाते |
|
4360 | 43 | 35 | وزخرفا وإن كل ذلك لما متاع الحياة الدنيا والآخرة عند ربك للمتقين |
| | | और सोने द्वारा सजावट का आयोजन भी कर देते। यह सब तो कुछ भी नहीं, बस सांसारिक जीवन की अस्थायी सुख-सामग्री है। और आख़िरत तुम्हारे रब के यहाँ डर रखनेवालों के लिए है |
|
4361 | 43 | 36 | ومن يعش عن ذكر الرحمن نقيض له شيطانا فهو له قرين |
| | | जो रहमान के स्मरण की ओर से अंधा बना रहा है, हम उसपर एक शैतान नियुक्त कर देते है तो वही उसका साथी होता है |
|
4362 | 43 | 37 | وإنهم ليصدونهم عن السبيل ويحسبون أنهم مهتدون |
| | | औऱ वे (शैतान) उन्हें मार्ग से रोकते है और वे (इनकार करनेवाले) यह समझते है कि वे मार्ग पर है |
|
4363 | 43 | 38 | حتى إذا جاءنا قال يا ليت بيني وبينك بعد المشرقين فبئس القرين |
| | | यहाँ तक कि जब वह हमारे पास आएगा तो (शैतान से) कहेगा, "ऐ काश, मेरे और तेरे बीच पूरब के दोनों किनारों की दूरी होती! तू तो बहुत ही बुरा साथी निकला!" |
|
4364 | 43 | 39 | ولن ينفعكم اليوم إذ ظلمتم أنكم في العذاب مشتركون |
| | | और जबकि तुम ज़ालिम ठहरे तो आज यह बात तुम्हें कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी कि यातना में तुम एक-दूसरे के साझी हो |
|