بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
43554330ولما جاءهم الحق قالوا هذا سحر وإنا به كافرون
किन्तु जब वह हक़ लेकर उनके पास आया तो वे कहने लगे, "यह तो जादू है। और हम तो इसका इनकार करते है।"
43564331وقالوا لولا نزل هذا القرآن على رجل من القريتين عظيم
वे कहते है, "यह क़ुरआन इन दो बस्तियों के किसी बड़े आदमी पर क्यों नहीं अवतरित हुआ?"
43574332أهم يقسمون رحمت ربك نحن قسمنا بينهم معيشتهم في الحياة الدنيا ورفعنا بعضهم فوق بعض درجات ليتخذ بعضهم بعضا سخريا ورحمت ربك خير مما يجمعون
क्या वे तुम्हारे रब की दयालुता को बाँटते है? सांसारिक जीवन में उनके जीवन-यापन के साधन हमने उनके बीच बाँटे है और हमने उनमें से कुछ लोगों को दूसरे कुछ लोगों से श्रेणियों की दृष्टि से उच्च रखा है, ताकि उनमें से वे एक-दूसरे से काम लें। और तुम्हारे रब की दयालुता उससे कहीं उत्तम है जिसे वे समेट रहे है
43584333ولولا أن يكون الناس أمة واحدة لجعلنا لمن يكفر بالرحمن لبيوتهم سقفا من فضة ومعارج عليها يظهرون
यदि इस बात की सम्भावना न होती कि सब लोग एक ही समुदाय (अधर्मी) हो जाएँगे, तो जो लोग रहमान के साथ कुफ़्र करते है उनके लिए हम उनके घरों की छतें चाँदी की कर देते है और सीढ़ियाँ भी जिनपर वे चढ़ते।
43594334ولبيوتهم أبوابا وسررا عليها يتكئون
और उनके घरों के दरवाज़े भी और वे तख़्त भी जिनपर वे टेक लगाते
43604335وزخرفا وإن كل ذلك لما متاع الحياة الدنيا والآخرة عند ربك للمتقين
और सोने द्वारा सजावट का आयोजन भी कर देते। यह सब तो कुछ भी नहीं, बस सांसारिक जीवन की अस्थायी सुख-सामग्री है। और आख़िरत तुम्हारे रब के यहाँ डर रखनेवालों के लिए है
43614336ومن يعش عن ذكر الرحمن نقيض له شيطانا فهو له قرين
जो रहमान के स्मरण की ओर से अंधा बना रहा है, हम उसपर एक शैतान नियुक्त कर देते है तो वही उसका साथी होता है
43624337وإنهم ليصدونهم عن السبيل ويحسبون أنهم مهتدون
औऱ वे (शैतान) उन्हें मार्ग से रोकते है और वे (इनकार करनेवाले) यह समझते है कि वे मार्ग पर है
43634338حتى إذا جاءنا قال يا ليت بيني وبينك بعد المشرقين فبئس القرين
यहाँ तक कि जब वह हमारे पास आएगा तो (शैतान से) कहेगा, "ऐ काश, मेरे और तेरे बीच पूरब के दोनों किनारों की दूरी होती! तू तो बहुत ही बुरा साथी निकला!"
43644339ولن ينفعكم اليوم إذ ظلمتم أنكم في العذاب مشتركون
और जबकि तुम ज़ालिम ठहरे तो आज यह बात तुम्हें कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी कि यातना में तुम एक-दूसरे के साझी हो


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