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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4336 | 43 | 11 | والذي نزل من السماء ماء بقدر فأنشرنا به بلدة ميتا كذلك تخرجون |
| | | और जिसने एक (मुनासिब) अन्दाजे क़े साथ आसमान से पानी बरसाया फिर हम ही ने उसके (ज़रिए) से मुर्दा (परती) शहर को ज़िन्दा (आबाद) किया उसी तरह तुम भी (क़यामत के दिन क़ब्रों से) निकाले जाओगे |
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4337 | 43 | 12 | والذي خلق الأزواج كلها وجعل لكم من الفلك والأنعام ما تركبون |
| | | और जिसने हर किस्म की चीज़े पैदा कीं और तुम्हारे लिए कश्तियां बनायीं और चारपाए (पैदा किए) जिन पर तुम सवार होते हो |
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4338 | 43 | 13 | لتستووا على ظهوره ثم تذكروا نعمة ربكم إذا استويتم عليه وتقولوا سبحان الذي سخر لنا هذا وما كنا له مقرنين |
| | | ताकि तुम उसकी पीठ पर चढ़ो और जब उस पर (अच्छी तरह) सीधे हो बैठो तो अपने परवरदिगार का एहसान माना करो और कहो कि वह (ख़ुदा हर ऐब से) पाक है जिसने इसको हमारा ताबेदार बनाया हालॉकि हम तो ऐसे (ताक़तवर) न थे कि उस पर क़ाबू पाते |
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4339 | 43 | 14 | وإنا إلى ربنا لمنقلبون |
| | | और हमको तो यक़ीनन अपने परवरदिगार की तरफ लौट कर जाना है |
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4340 | 43 | 15 | وجعلوا له من عباده جزءا إن الإنسان لكفور مبين |
| | | और उन लोगों ने उसके बन्दों में से उसके लिए औलाद क़रार दी है इसमें शक़ नहीं कि इन्सान खुल्लम खुल्ला बड़ा ही नाशक्रा है |
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4341 | 43 | 16 | أم اتخذ مما يخلق بنات وأصفاكم بالبنين |
| | | क्या उसने अपनी मख़लूक़ात में से ख़ुद तो बेटियाँ ली हैं और तुमको चुनकर बेटे दिए हैं |
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4342 | 43 | 17 | وإذا بشر أحدهم بما ضرب للرحمن مثلا ظل وجهه مسودا وهو كظيم |
| | | हालॉकि जब उनमें किसी शख़्श को उस चीज़ (बेटी) की ख़ुशख़बरी दी जाती है जिसकी मिसल उसने ख़ुदा के लिए बयान की है तो वह (ग़ुस्से के मारे) सियाह हो जाता है और ताव पेंच खाने लगता है |
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4343 | 43 | 18 | أومن ينشأ في الحلية وهو في الخصام غير مبين |
| | | क्या वह (औरत) जो ज़ेवरों में पाली पोसी जाए और झगड़े में (अच्छी तरह) बात तक न कर सकें (ख़ुदा की बेटी हो सकती है) |
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4344 | 43 | 19 | وجعلوا الملائكة الذين هم عباد الرحمن إناثا أشهدوا خلقهم ستكتب شهادتهم ويسألون |
| | | और उन लोगों ने फ़रिश्तों को कि वह भी ख़ुदा के बन्दे हैं (ख़ुदा की) बेटियाँ बनायी हैं लोग फरिश्तों की पैदाइश क्यों खड़े देख रहे थे अभी उनकी शहादत क़लम बन्द कर ली जाती है |
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4345 | 43 | 20 | وقالوا لو شاء الرحمن ما عبدناهم ما لهم بذلك من علم إن هم إلا يخرصون |
| | | और (क़यामत) में उनसे बाज़पुर्स की जाएगी और कहते हैं कि अगर ख़ुदा चाहता तो हम उनकी परसतिश न करते उनको उसकी कुछ ख़बर ही नहीं ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं |
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