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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4311 | 42 | 39 | والذين إذا أصابهم البغي هم ينتصرون |
| | | और जो ऐसे है कि जब उनपर ज़्यादती होती है तो वे प्रतिशोध करते है |
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4312 | 42 | 40 | وجزاء سيئة سيئة مثلها فمن عفا وأصلح فأجره على الله إنه لا يحب الظالمين |
| | | बुराई का बदला वैसी ही बुराई है किन्तु जो क्षमा कर दे और सुधार करे तो उसका बदला अल्लाह के ज़िम्मे है। निश्चय ही वह ज़ालिमों को पसन्द नहीं करता |
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4313 | 42 | 41 | ولمن انتصر بعد ظلمه فأولئك ما عليهم من سبيل |
| | | और जो कोई अपने ऊपर ज़ु्ल्म होने के पश्चात बदला ले ले, तो ऐसे लोगों पर कोई इलज़ाम नहीं |
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4314 | 42 | 42 | إنما السبيل على الذين يظلمون الناس ويبغون في الأرض بغير الحق أولئك لهم عذاب أليم |
| | | इलज़ाम तो केवल उनपर आता है जो लोगों पर ज़ुल्म करते है और धरती में नाहक़ ज़्यादती करते है। ऐसे लोगों के लिए दुखद यातना है |
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4315 | 42 | 43 | ولمن صبر وغفر إن ذلك لمن عزم الأمور |
| | | किन्तु जिसने धैर्य से काम लिया और क्षमा कर दिया तो निश्चय ही वह उन कामों में से है जो (सफलता के लिए) आवश्यक ठहरा दिए गए है |
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4316 | 42 | 44 | ومن يضلل الله فما له من ولي من بعده وترى الظالمين لما رأوا العذاب يقولون هل إلى مرد من سبيل |
| | | जिस व्यक्ति को अल्लाह गुमराही में डाल दे, तो उसके पश्चात उसे सम्भालनेवाला कोई भी नहीं। तुम ज़ालिमों को देखोगे कि जब वे यातना को देख लेंगे तो कह रहे होंगे, "क्या लौटने का भी कोई मार्ग है?" |
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4317 | 42 | 45 | وتراهم يعرضون عليها خاشعين من الذل ينظرون من طرف خفي وقال الذين آمنوا إن الخاسرين الذين خسروا أنفسهم وأهليهم يوم القيامة ألا إن الظالمين في عذاب مقيم |
| | | और तुम उन्हें देखोगे कि वे उस (जहन्नम) पर इस दशा में लाए जा रहे है कि बेबसी और अपमान के कारण दबे हुए है। कनखियों से देख रहे है। जो लोग ईमान लाए, वे उस समय कहेंगे कि "निश्चय ही घाटे में पड़नेवाले वही है जिन्होंने क़ियामत के दिन अपने आपको और अपने लोगों को घाटे में डाल दिया। सावधान! निश्चय ही ज़ालिम स्थिर रहनेवाली यातना में होंगे |
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4318 | 42 | 46 | وما كان لهم من أولياء ينصرونهم من دون الله ومن يضلل الله فما له من سبيل |
| | | और उनके कुछ संरक्षक भी न होंगे, जो सहायता करके उन्हें अल्लाह से बचा सकें। जिसे अल्लाह गुमराही में डाल दे तो उसके लिए फिर कोई मार्ग नहीं।" |
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4319 | 42 | 47 | استجيبوا لربكم من قبل أن يأتي يوم لا مرد له من الله ما لكم من ملجإ يومئذ وما لكم من نكير |
| | | अपने रब की बात मान लो इससे पहले कि अल्लाह की ओर से वह दिन आ जाए जो पलटने का नहीं। उस दिन तुम्हारे लिए न कोई शरण-स्थल होगा और न तुम किसी चीज़ को रद्द कर सकोगे |
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4320 | 42 | 48 | فإن أعرضوا فما أرسلناك عليهم حفيظا إن عليك إلا البلاغ وإنا إذا أذقنا الإنسان منا رحمة فرح بها وإن تصبهم سيئة بما قدمت أيديهم فإن الإنسان كفور |
| | | अब यदि वे ध्यान में न लाएँ तो हमने तो तुम्हें उनपर कोई रक्षक बनाकर तो भेजा नहीं है। तुमपर तो केवल (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है। हाल यह है कि जब हम मनुष्य को अपनी ओर से किसी दयालुता का आस्वादन कराते है तो वह उसपर इतराने लगता है, किन्तु ऐसे लोगों के हाथों ने जो कुछ आगे भेजा है उसके कारण यदि उन्हें कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो निश्चय ही वही मनुष्य बड़ा कृतघ्न बन जाता है |
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