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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4288 | 42 | 16 | والذين يحاجون في الله من بعد ما استجيب له حجتهم داحضة عند ربهم وعليهم غضب ولهم عذاب شديد |
| | | जो लोग अल्लाह के विषय में झगड़ते है, इसके पश्चात कि उसकी पुकार स्वीकार कर ली गई, उनका झगड़ना उनके रब की स्पष्ट में बिलकुल न ठहरनेवाला (असत्य) है। प्रकोप है उनपर और उनके लिए कड़ी यातना है |
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4289 | 42 | 17 | الله الذي أنزل الكتاب بالحق والميزان وما يدريك لعل الساعة قريب |
| | | वह अल्लाह ही है जिसने हक़ के साथ किताब और तुला अवतरित की। और तुम्हें क्या मालूम कदाचित क़ियामत की घड़ी निकट ही आ लगी हो |
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4290 | 42 | 18 | يستعجل بها الذين لا يؤمنون بها والذين آمنوا مشفقون منها ويعلمون أنها الحق ألا إن الذين يمارون في الساعة لفي ضلال بعيد |
| | | उसकी जल्दी वे लोग मचाते है जो उसपर ईमान नहीं रखते, किन्तु जो ईमान रखते है वे तो उससे डरते है और जानते है कि वह सत्य है। जान लो, जो लोग उस घड़ी के बारे में सन्देह डालनेवाली बहसें करते है, वे परले दरजे की गुमराही में पड़े हुए है |
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4291 | 42 | 19 | الله لطيف بعباده يرزق من يشاء وهو القوي العزيز |
| | | अल्लाह अपने बन्दों पर अत्यन्त दयालु है। वह जिसे चाहता है रोज़ी देता है। वह शक्तिमान, अत्यन्त प्रभुत्वशाली है |
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4292 | 42 | 20 | من كان يريد حرث الآخرة نزد له في حرثه ومن كان يريد حرث الدنيا نؤته منها وما له في الآخرة من نصيب |
| | | जो कोई आख़िरत की खेती चाहता है, हम उसके लिए उसकी खेती में बढ़ोत्तरी प्रदान करेंगे और जो कोई दुनिया की खेती चाहता है, हम उसमें से उसे कुछ दे देते है, किन्तु आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं |
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4293 | 42 | 21 | أم لهم شركاء شرعوا لهم من الدين ما لم يأذن به الله ولولا كلمة الفصل لقضي بينهم وإن الظالمين لهم عذاب أليم |
| | | (क्या उन्हें समझ नहीं) या उनके कुछ ऐसे (ठहराए हुए) साझीदार है, जिन्होंन उनके लिए कोई ऐसा धर्म निर्धारित कर दिया है जिसकी अनुज्ञा अल्लाह ने नहीं दी? यदि फ़ैसले की बात निश्चित न हो गई होती तो उनके बीच फ़ैसला हो चुका होता। निश्चय ही ज़ालिमों के लिए दुखद यातना है |
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4294 | 42 | 22 | ترى الظالمين مشفقين مما كسبوا وهو واقع بهم والذين آمنوا وعملوا الصالحات في روضات الجنات لهم ما يشاءون عند ربهم ذلك هو الفضل الكبير |
| | | तुम ज़ालिमों को देखोगे कि उन्होंने जो कुछ कमाया उससे डर रहे होंगे, किन्तु वह तो उनपर पड़कर रहेगा। किन्तु जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, वे जन्न्तों की वाटिकाओं में होंगे। उनके लिए उनके रब के पास वह सब कुछ है जिसकी वे इच्छा करेंगे। वही तो बड़ा उदार अनुग्रह है |
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4295 | 42 | 23 | ذلك الذي يبشر الله عباده الذين آمنوا وعملوا الصالحات قل لا أسألكم عليه أجرا إلا المودة في القربى ومن يقترف حسنة نزد له فيها حسنا إن الله غفور شكور |
| | | उसी की शुभ सूचना अल्लाह अपने बन्दों को देता है जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। कहो, "मैं इसका तुमसे कोई पारिश्रमिक नहीं माँगता, बस निकटता का प्रेम-भाव चाहता हूँ, जो कोई नेकी कमाएगा हम उसके लिए उसमें अच्छाई की अभिवृद्धि करेंगे। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, गुणग्राहक है।" |
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4296 | 42 | 24 | أم يقولون افترى على الله كذبا فإن يشإ الله يختم على قلبك ويمح الله الباطل ويحق الحق بكلماته إنه عليم بذات الصدور |
| | | (क्या वे ईमान नहीं लाएँगे) या उनका कहना है कि "इस व्यक्ति ने अल्लाह पर मिथ्यारोपण किया है?" यदि अल्लाह चाहे तो तुम्हारे दिल पर मुहर लगा दे (जिस प्रकार उसने इनकार करनेवालों के दिल पर मुहर लगा दी है) । अल्लाह तो असत्य को मिटा रहा है और सत्य को अपने बोलों से सिद्ध कर रहा है। निश्चय ही वह सीनों तक की बात को भी भली-भाँति जानता है |
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4297 | 42 | 25 | وهو الذي يقبل التوبة عن عباده ويعفو عن السيئات ويعلم ما تفعلون |
| | | वही है जो अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और बुराइयों को माफ़ करता है, हालाँकि वह जानता है, जो कुछ तुम करते हो |
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