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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4261 | 41 | 43 | ما يقال لك إلا ما قد قيل للرسل من قبلك إن ربك لذو مغفرة وذو عقاب أليم |
| | | तुम्हें बस वही कहा जा रहा है, जो उन रसूलों को कहा जा चुका है, जो तुमसे पहले गुज़र चुके है। निस्संदेह तुम्हारा रब बड़ा क्षमाशील है और दुखद दंड देनेवाला भी |
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4262 | 41 | 44 | ولو جعلناه قرآنا أعجميا لقالوا لولا فصلت آياته أأعجمي وعربي قل هو للذين آمنوا هدى وشفاء والذين لا يؤمنون في آذانهم وقر وهو عليهم عمى أولئك ينادون من مكان بعيد |
| | | यदि हम उसे ग़ैर अरबी क़ुरआन बनाते तो वे कहते कि "उसकी आयतें क्यों नहीं (हमारी भाषा में) खोलकर बयान की गई? यह क्या कि वाणी तो ग़ैर अरबी है और व्यक्ति अरबी?" कहो, "वह उन लोगों के लिए जो ईमान लाए मार्गदर्शन और आरोग्य है, किन्तु जो लोग ईमान नहीं ला रहे है उनके कानों में बोझ है और वह (क़ुरआन) उनके लिए अन्धापन (सिद्ध हो रहा) है, वे ऐसे है जिनको किसी दूर के स्थान से पुकारा जा रहा हो।" |
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4263 | 41 | 45 | ولقد آتينا موسى الكتاب فاختلف فيه ولولا كلمة سبقت من ربك لقضي بينهم وإنهم لفي شك منه مريب |
| | | हमने मूसा को भी किताब प्रदान की थी, फिर उसमें भी विभेद किया गया। यदि तुम्हारे रब की ओर से पहले ही से एक बात निश्चित न हो चुकी होती तो उनके बीत फ़ैसला चुका दिया जाता। हालाँकि वे उसकी ओर से उलझन में डाल देनेवाले सन्देह में पड़े हुए है |
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4264 | 41 | 46 | من عمل صالحا فلنفسه ومن أساء فعليها وما ربك بظلام للعبيد |
| | | जिस किसी ने अच्छा कर्म किया तो अपने ही लिए और जिस किसी ने बुराई की, तो उसका वबाल भी उसी पर पड़ेगा। वास्तव में तुम्हारा रब अपने बन्दों पर तनिक भी ज़ुल्म नहीं करता |
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4265 | 41 | 47 | إليه يرد علم الساعة وما تخرج من ثمرات من أكمامها وما تحمل من أنثى ولا تضع إلا بعلمه ويوم يناديهم أين شركائي قالوا آذناك ما منا من شهيد |
| | | उस घड़ी का ज्ञान अल्लाह की ओर फिरता है। जो फल भी अपने कोषों से निकलते है और जो मादा भी गर्भवती होती है और बच्चा जनती है, अनिवार्यतः उसे इन सबका ज्ञान होता है। जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा, "कहाँ है मेरे साझीदार?" वे कहेंगे, "हम तेरे समक्ष खुल्लम-ख़ुल्ला कह चुके है कि हममें से कोई भी इसका गवाह नहीं।" |
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4266 | 41 | 48 | وضل عنهم ما كانوا يدعون من قبل وظنوا ما لهم من محيص |
| | | और जिन्हें वे पहले पुकारा करते थे वे उनसे गुम हो जाएँगे। और वे समझ लेंगे कि उनके लिए कोई भी भागने की जगह नहीं है |
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4267 | 41 | 49 | لا يسأم الإنسان من دعاء الخير وإن مسه الشر فيئوس قنوط |
| | | मनुष्य भलाई माँगने से नहीं उकताता, किन्तु यदि उसे कोई तकलीफ़ छू जाती है तो वह निराश होकर आस छोड़ बैठता है |
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4268 | 41 | 50 | ولئن أذقناه رحمة منا من بعد ضراء مسته ليقولن هذا لي وما أظن الساعة قائمة ولئن رجعت إلى ربي إن لي عنده للحسنى فلننبئن الذين كفروا بما عملوا ولنذيقنهم من عذاب غليظ |
| | | और यदि उस तकलीफ़ के बाद, जो उसे पहुँची, हम उसे अपनी दयालुता का आस्वादन करा दें तो वह निश्चय ही कहेंगा, "यह तो मेरा हक़ ही है। मैं तो यह नहीं समझता कि वह, क़ियामत की घड़ी, घटित होगी और यदि मैं अपने रब की ओर लौटाया भी गया तो अवश्य ही उसके पास मेरे लिए अच्छा पारितोषिक होगा।" फिर हम उन लोगों को जिन्होंने इनकार किया, अवश्य बताकर रहेंगे, जो कुछ उन्होंने किया होगा। और हम उन्हें अवश्य ही कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे |
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4269 | 41 | 51 | وإذا أنعمنا على الإنسان أعرض ونأى بجانبه وإذا مسه الشر فذو دعاء عريض |
| | | जब हम मनुष्य पर अनुकम्पा करते है तो वह ध्यान में नहीं लाता और अपना पहलू फेर लेता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ छू जाती है, तो वह लम्बी-चौड़ी प्रार्थनाएँ करने लगता है |
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4270 | 41 | 52 | قل أرأيتم إن كان من عند الله ثم كفرتم به من أضل ممن هو في شقاق بعيد |
| | | कह दो, "क्या तुमने विचार किया, यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर सो ही हुआ और तुमने उसका इनकार किया तो उससे बढ़कर भटका हुआ और कौन होगा जो विरोध में बहुत दूर जा पड़ा हो?" |
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