بسم الله الرحمن الرحيم

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42464128ذلك جزاء أعداء الله النار لهم فيها دار الخلد جزاء بما كانوا بآياتنا يجحدون
ख़ुदा के दुशमनों का बदला है कि वह जो हमरी आयतों से इन्कार करते थे उसकी सज़ा में उनके लिए उसमें हमेशा (रहने) का घर है,
42474129وقال الذين كفروا ربنا أرنا اللذين أضلانا من الجن والإنس نجعلهما تحت أقدامنا ليكونا من الأسفلين
और (क़यामत के दिन) कुफ्फ़ार कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार जिनों और इन्सानों में से जिन लोगों ने हमको गुमराह किया था (एक नज़र) उनको हमें दिखा दे कि हम उनको पाँव तले (रौन्द) डालें ताकि वह ख़ूब ज़लील हों
42484130إن الذين قالوا ربنا الله ثم استقاموا تتنزل عليهم الملائكة ألا تخافوا ولا تحزنوا وأبشروا بالجنة التي كنتم توعدون
और जिन लोगों ने (सच्चे दिल से) कहा कि हमारा परवरदिगार तो (बस) ख़ुदा है, फिर वह उसी पर भी क़ायम भी रहे उन पर मौत के वक्त (रहमत के) फ़रिश्ते नाज़िल होंगे (और कहेंगे) कि कुछ ख़ौफ न करो और न ग़म खाओ और जिस बेहिश्त का तुमसे वायदा किया गया था उसकी ख़ुशियां मनाओ
42494131نحن أولياؤكم في الحياة الدنيا وفي الآخرة ولكم فيها ما تشتهي أنفسكم ولكم فيها ما تدعون
हम दुनिया की ज़िन्दगी में तुम्हारे दोस्त थे और आखेरत में भी तुम्हारे (रफ़ीक़) हैं और जिस चीज़ का भी तुम्हार जी चाहे बेहिश्त में तुम्हारे वास्ते मौजूद है और जो चीज़ तलब करोगे वहाँ तुम्हारे लिए (हाज़िर) होगी
42504132نزلا من غفور رحيم
(ये) बख्शने वाले मेहरबान (ख़ुदा) की तरफ़ से (तुम्हारी मेहमानी है)
42514133ومن أحسن قولا ممن دعا إلى الله وعمل صالحا وقال إنني من المسلمين
और इस से बेहतर किसकी बात हो सकती है जो (लोगों को) ख़ुदा की तरफ बुलाए और अच्छे अच्छे काम करे और कहे कि मैं भी यक़ीनन (ख़ुदा के) फरमाबरदार बन्दों में हूं
42524134ولا تستوي الحسنة ولا السيئة ادفع بالتي هي أحسن فإذا الذي بينك وبينه عداوة كأنه ولي حميم
और भलाई बुराई (कभी) बराबर नहीं हो सकती तो (सख्त कलामी का) ऐसे तरीके से जवाब दो जो निहायत अच्छा हो (ऐसा करोगे) तो (तुम देखोगे) जिस में और तुममें दुशमनी थी गोया वह तुम्हारा दिल सोज़ दोस्त है
42534135وما يلقاها إلا الذين صبروا وما يلقاها إلا ذو حظ عظيم
ये बात बस उन्हीं लोगों को हासिल हुईहै जो सब्र करने वाले हैं और उन्हीं लोगों को हासिल होती है जो बड़े नसीबवर हैं
42544136وإما ينزغنك من الشيطان نزغ فاستعذ بالله إنه هو السميع العليم
और अगर तुम्हें शैतान की तरफ से वसवसा पैदा हो तो ख़ुदा की पनाह माँग लिया करो बेशक वह (सबकी) सुनता जानता है
42554137ومن آياته الليل والنهار والشمس والقمر لا تسجدوا للشمس ولا للقمر واسجدوا لله الذي خلقهن إن كنتم إياه تعبدون
और उसकी (कुदरत की) निशानियों में से रात और दिन और सूरज और चाँद हैं तो तुम लोग न सूरज को सजदा करो और न चाँद को, और अगर तुम ख़ुदा ही की इबादत करनी मंज़ूर रहे तो बस उसी को सजदा करो जिसने इन चीज़ों को पैदा किया है


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