بسم الله الرحمن الرحيم

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4221413كتاب فصلت آياته قرآنا عربيا لقوم يعلمون
एक किताब, जिसकी आयतें खोल-खोलकर बयान हुई है; अरबी क़ुरआन के रूप में, उन लोगों के लिए जो जानना चाहें;
4222414بشيرا ونذيرا فأعرض أكثرهم فهم لا يسمعون
शुभ सूचक एवं सचेतकर्त्ता किन्तु उनमें से अधिकतर कतरा गए तो वे सुनते ही नहीं
4223415وقالوا قلوبنا في أكنة مما تدعونا إليه وفي آذاننا وقر ومن بيننا وبينك حجاب فاعمل إننا عاملون
और उनका कहना है कि "जिसकी ओर तुम हमें बुलाते हो उसके लिए तो हमारे दिल आवरणों में है। और हमारे कानों में बोझ है। और हमारे और तुम्हारे बीच एक ओट है; अतः तुम अपना काम करो, हम तो अपना काम करते है।"
4224416قل إنما أنا بشر مثلكم يوحى إلي أنما إلهكم إله واحد فاستقيموا إليه واستغفروه وويل للمشركين
कह दो, "मैं तो तुम्हीं जैसा मनुष्य हूँ। मेरी ओर प्रकाशना की जाती है कि तुम्हारा पूज्य-प्रभु बस अकेला पूज्य-प्रभु है। अतः तुम सीधे उसी का रुख करो और उसी से क्षमा-याचना करो - साझी ठहरानेवालों के लिए तो बड़ी तबाही है,
4225417الذين لا يؤتون الزكاة وهم بالآخرة هم كافرون
जो ज़कात नहीं देते और वही है जो आख़िरत का इनकार करते है। -
4226418إن الذين آمنوا وعملوا الصالحات لهم أجر غير ممنون
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनके लिए ऐसा बदला है जिसका क्रम टूटनेवाला नहीं।"
4227419قل أئنكم لتكفرون بالذي خلق الأرض في يومين وتجعلون له أندادا ذلك رب العالمين
कहो, "क्या तुम उसका इनकार करते हो, जिसने धरती को दो दिनों (काल) में पैदा किया और तुम उसके समकक्ष ठहराते हो? वह तो सारे संसार का रब है
42284110وجعل فيها رواسي من فوقها وبارك فيها وقدر فيها أقواتها في أربعة أيام سواء للسائلين
और उसने उस (धरती) में उसके ऊपर से पहाड़ जमाए और उसमें बरकत रखी और उसमें उसकी ख़ुराकों को ठीक अंदाज़े से रखा। माँग करनेवालों के लिए समान रूप से यह सब चार दिन में हुआ
42294111ثم استوى إلى السماء وهي دخان فقال لها وللأرض ائتيا طوعا أو كرها قالتا أتينا طائعين
फिर उसने आकाश की ओर रुख़ किया, जबकि वह मात्र धुआँ था- और उसने उससे और धरती से कहा, 'आओ, स्वेच्छा के साथ या अनिच्छा के साथ।' उन्होंने कहा, 'हम स्वेच्छा के साथ आए।' -
42304112فقضاهن سبع سماوات في يومين وأوحى في كل سماء أمرها وزينا السماء الدنيا بمصابيح وحفظا ذلك تقدير العزيز العليم
फिर दो दिनों में उनको अर्थात सात आकाशों को बनाकर पूरा किया और प्रत्येक आकाश में उससे सम्बन्धित आदेश की प्रकाशना कर दी औऱ दुनिया के (निकटवर्ती) आकाश को हमने दीपों से सजाया (रात के यात्रियों के दिशा-निर्देश आदि के लिए) और सुरक्षित करने के उद्देश्य से। यह अत्.न्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ का ठहराया हुआ है।"


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