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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4180 | 40 | 47 | وإذ يتحاجون في النار فيقول الضعفاء للذين استكبروا إنا كنا لكم تبعا فهل أنتم مغنون عنا نصيبا من النار |
| | | और ये लोग जिस वक्त ज़हन्नुम में बाहम झगड़ेंगें तो कम हैसियत लोग बड़े आदमियों से कहेंगे कि हम तुम्हारे ताबे थे तो क्या तुम इस वक्त (दोज़ख़ की) आग का कुछ हिस्सा हमसे हटा सकते हो |
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4181 | 40 | 48 | قال الذين استكبروا إنا كل فيها إن الله قد حكم بين العباد |
| | | तो बड़े लोग कहेंगें (अब तो) हम (तुम) सबके सब आग में पड़े हैं ख़ुदा (को) तो बन्दों के बारे में (जो कुछ) फैसला (करना था) कर चुका |
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4182 | 40 | 49 | وقال الذين في النار لخزنة جهنم ادعوا ربكم يخفف عنا يوما من العذاب |
| | | और जो लोग आग में (जल रहे) होंगे जहन्नुम के दरोग़ाओं से दरख्वास्त करेंगे कि अपने परवरदिगार से अर्ज़ करो कि एक दिन तो हमारे अज़ाब में तख़फ़ीफ़ कर दें |
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4183 | 40 | 50 | قالوا أولم تك تأتيكم رسلكم بالبينات قالوا بلى قالوا فادعوا وما دعاء الكافرين إلا في ضلال |
| | | वह जवाब देंगे कि क्या तुम्हारे पास तुम्हारे पैग़म्बर साफ व रौशन मौजिज़े लेकर नहीं आए थे वह कहेंगे (हाँ) आए तो थे, तब फरिश्ते तो कहेंगे फिर तुम ख़़ुद (क्यों) न दुआ करो, हालाँकि काफ़िरों की दुआ तो बस बेकार ही है |
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4184 | 40 | 51 | إنا لننصر رسلنا والذين آمنوا في الحياة الدنيا ويوم يقوم الأشهاد |
| | | हम अपने पैग़म्बरों की और ईमान वालों की दुनिया की ज़िन्दगी में भी ज़रूर मदद करेंगे और जिस दिन गवाह (पैग़म्बर फरिश्ते गवाही को) उठ खड़े होंगे |
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4185 | 40 | 52 | يوم لا ينفع الظالمين معذرتهم ولهم اللعنة ولهم سوء الدار |
| | | (उस दिन भी) जिस दिन ज़ालिमों को उनकी माज़ेरत कुछ भी फायदे न देगी और उन पर फिटकार (बरसती) होगी और उनके लिए बहुत बुरा घर (जहन्नुम) है |
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4186 | 40 | 53 | ولقد آتينا موسى الهدى وأورثنا بني إسرائيل الكتاب |
| | | और हम ही ने मूसा को हिदायत (की किताब तौरेत) दी और बनी इसराईल को (उस) किताब का वारिस बनाया |
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4187 | 40 | 54 | هدى وذكرى لأولي الألباب |
| | | जो अक्लमन्दों के लिए (सरतापा) हिदायत व नसीहत है |
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4188 | 40 | 55 | فاصبر إن وعد الله حق واستغفر لذنبك وسبح بحمد ربك بالعشي والإبكار |
| | | (ऐ रसूल) तुम (उनकी शरारत) पर सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है, और अपने (उम्मत की) गुनाहों की माफी माँगो और सुबह व शाम अपने परवरदिगार की हम्द व सना के साथ तसबीह करते रहो |
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4189 | 40 | 56 | إن الذين يجادلون في آيات الله بغير سلطان أتاهم إن في صدورهم إلا كبر ما هم ببالغيه فاستعذ بالله إنه هو السميع البصير |
| | | जिन लोगों के पास (ख़ुदा की तरफ से) कोई दलील तो आयी नहीं और (फिर) वह ख़ुदा की आयतों में (ख्वाह मा ख्वाह) झगड़े निकालते हैं, उनके दिल में बुराई (की बेजां हवस) के सिवा कुछ नहीं हालाँकि वह लोग उस तक कभी पहुँचने वाले नहीं तो तुम बस ख़ुदा की पनाह माँगते रहो बेशक वह बड़ा सुनने वाला (और) देखने वाला है |
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