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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4139 | 40 | 6 | وكذلك حقت كلمت ربك على الذين كفروا أنهم أصحاب النار |
| | | और इसी तरह तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब का हुक्म (उन) काफ़िरों पर पूरा हो चुका है कि यह लोग यक़ीनी जहन्नुमी हैं |
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4140 | 40 | 7 | الذين يحملون العرش ومن حوله يسبحون بحمد ربهم ويؤمنون به ويستغفرون للذين آمنوا ربنا وسعت كل شيء رحمة وعلما فاغفر للذين تابوا واتبعوا سبيلك وقهم عذاب الجحيم |
| | | जो (फ़रिश्ते) अर्श को उठाए हुए हैं और जो उस के गिर्दा गिर्द (तैनात) हैं (सब) अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तसबीह करते हैं और उस पर ईमान रखते हैं और मोमिनों के लिए बख़शिश की दुआएं माँगा करते हैं कि परवरदिगार तेरी रहमत और तेरा इल्म हर चीज़ पर अहाता किए हुए हैं, तो जिन लोगों ने (सच्चे) दिल से तौबा कर ली और तेरे रास्ते पर चले उनको बख्श दे और उनको जहन्नुम के अज़ाब से बचा ले |
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4141 | 40 | 8 | ربنا وأدخلهم جنات عدن التي وعدتهم ومن صلح من آبائهم وأزواجهم وذرياتهم إنك أنت العزيز الحكيم |
| | | ऐ हमारे पालने वाले इन को सदाबहार बाग़ों में जिनका तूने उन से वायदा किया है दाख़िल कर और उनके बाप दादाओं और उनकी बीवीयों और उनकी औलाद में से जो लोग नेक हो उनको (भी बख्श दें) बेशक तू ही ज़बरदस्त (और) हिकमत वाला है |
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4142 | 40 | 9 | وقهم السيئات ومن تق السيئات يومئذ فقد رحمته وذلك هو الفوز العظيم |
| | | और उनको हर किस्म की बुराइयों से महफूज़ रख और जिसको तूने उस दिन ( कयामत ) के अज़ाबों से बचा लिया उस पर तूने बड़ा रहम किया और यही तो बड़ी कामयाबी है |
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4143 | 40 | 10 | إن الذين كفروا ينادون لمقت الله أكبر من مقتكم أنفسكم إذ تدعون إلى الإيمان فتكفرون |
| | | (हाँ) जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनसे पुकार कर कह दिया जाएगा कि जितना तुम (आज) अपनी जान से बेज़ार हो उससे बढ़कर ख़ुदा तुमसे बेज़ार था जब तुम ईमान की तरफ बुलाए जाते थे तो कुफ्र करते थे |
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4144 | 40 | 11 | قالوا ربنا أمتنا اثنتين وأحييتنا اثنتين فاعترفنا بذنوبنا فهل إلى خروج من سبيل |
| | | वह लोग कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार तू हमको दो बार मार चुका और दो बार ज़िन्दा कर चुका तो अब हम अपने गुनाहों का एक़रार करते हैं तो क्या (यहाँ से) निकलने की भी कोई सबील है |
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4145 | 40 | 12 | ذلكم بأنه إذا دعي الله وحده كفرتم وإن يشرك به تؤمنوا فالحكم لله العلي الكبير |
| | | ये इसलिए कि जब तन्हा ख़ुदा पुकारा जाता था तो तुम ईन्कार करते थे और अगर उसके साथ शिर्क किया जाता था तो तुम मान लेते थे तो (आज) ख़ुदा की हुकूमत है जो आलीशान (और) बुर्ज़ुग है |
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4146 | 40 | 13 | هو الذي يريكم آياته وينزل لكم من السماء رزقا وما يتذكر إلا من ينيب |
| | | वही तो है जो तुमको (अपनी कुदरत की) निशानियाँ दिखाता है और तुम्हारे लिए आसमान से रोज़ी नाज़िल करता है और नसीहत तो बस वही हासिल करता है जो (उसकी तरफ) रूज़ू करता है |
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4147 | 40 | 14 | فادعوا الله مخلصين له الدين ولو كره الكافرون |
| | | पस तुम लोग ख़ुदा की इबादत को ख़ालिस करके उसी को पुकारो अगरचे कुफ्फ़ार बुरा मानें |
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4148 | 40 | 15 | رفيع الدرجات ذو العرش يلقي الروح من أمره على من يشاء من عباده لينذر يوم التلاق |
| | | ख़ुदा तो बड़ा आली मरतबा अर्श का मालिक है, वह अपने बन्दों में से जिस पर चाहता है अपने हुक्म से 'वही' नाज़िल करता है ताकि (लोगों को) मुलाकात (क़यामत) के दिन से डराएं |
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