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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4130 | 39 | 72 | قيل ادخلوا أبواب جهنم خالدين فيها فبئس مثوى المتكبرين |
| | | (तब उनसे) कहा जाएगा कि जहन्नुम के दरवाज़ों में धँसो और हमेशा इसी में रहो ग़रज़ तकब्बुर करने वाले का (भी) क्या बुरा ठिकाना है |
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4131 | 39 | 73 | وسيق الذين اتقوا ربهم إلى الجنة زمرا حتى إذا جاءوها وفتحت أبوابها وقال لهم خزنتها سلام عليكم طبتم فادخلوها خالدين |
| | | और जो लोग अपने परवरदिगार से डरते थे वह गिर्दो गिर्दा (गिरोह गिरोह) बेहिश्त की तरफ़ (एजाज़ व इकराम से) बुलाए जाएगें यहाँ तक कि जब उसके पास पहुँचेगें और बेहिश्त के दरवाज़े खोल दिये जाएँगें और उसके निगेहबान उन से कहेंगें सलाम अलैकुम तुम अच्छे रहे, तुम बेहिश्त में हमेशा के लिए दाख़िल हो जाओ |
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4132 | 39 | 74 | وقالوا الحمد لله الذي صدقنا وعده وأورثنا الأرض نتبوأ من الجنة حيث نشاء فنعم أجر العاملين |
| | | और ये लोग कहेंगें ख़ुदा का शुक्र जिसने अपना वायदा हमसे सच्चा कर दिखाया और हमें (बेहिश्त की) सरज़मीन का मालिक बनाया कि हम बेहिश्त में जहाँ चाहें रहें तो नेक चलन वालों की भी क्या ख़ूब (खरी) मज़दूरी है |
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4133 | 39 | 75 | وترى الملائكة حافين من حول العرش يسبحون بحمد ربهم وقضي بينهم بالحق وقيل الحمد لله رب العالمين |
| | | और (उस दिन) फरिश्तों को देखोगे कि अर्श के गिर्दा गिर्द घेरे हुए डटे होंगे और अपने परवरदिगार की तारीफ की (तसबीह) कर रहे होंगे और लोगों के दरमियान ठीक फैसला कर दिया जाएगा और (हर तरफ से यही) सदा बुलन्द होगी अल्हमदो लिल्लाहे रब्बिल आलेमीन |
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4134 | 40 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم حم |
| | | हा मीम |
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4135 | 40 | 2 | تنزيل الكتاب من الله العزيز العليم |
| | | (इस) किताब (कुरान) का नाज़िल करना (ख़ास बारगाहे) ख़ुदा से है जो (सबसे) ग़ालिब बड़ा वाक़िफ़कार है |
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4136 | 40 | 3 | غافر الذنب وقابل التوب شديد العقاب ذي الطول لا إله إلا هو إليه المصير |
| | | गुनाहों का बख्शने वाला और तौबा का क़ुबूल करने वाला सख्त अज़ाब देने वाला साहिबे फज़ल व करम है उसके सिवा कोई माबूद नहीं उसी की तरफ (सबको) लौट कर जाना है |
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4137 | 40 | 4 | ما يجادل في آيات الله إلا الذين كفروا فلا يغررك تقلبهم في البلاد |
| | | ख़ुदा की आयतों में बस वही लोग झगड़े पैदा करते हैं जो काफिर हैं तो (ऐ रसूल) उन लोगों का शहरों (शहरों) घूमना फिरना और माल हासिल करना |
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4138 | 40 | 5 | كذبت قبلهم قوم نوح والأحزاب من بعدهم وهمت كل أمة برسولهم ليأخذوه وجادلوا بالباطل ليدحضوا به الحق فأخذتهم فكيف كان عقاب |
| | | तुम्हें इस धोखे में न डाले (कि उन पर आज़ाब न होगा) इन के पहले नूह की क़ौम ने और उन के बाद और उम्मतों ने (अपने पैग़म्बरों को) झुठलाया और हर उम्मत ने अपने पैग़म्बरों के बारे में यही ठान लिया कि उन्हें गिरफ्तार कर (के क़त्ल कर डालें) और बेहूदा बातों की आड़ पकड़ कर लड़ने लगें - ताकि उसके ज़रिए से हक़ बात को उखाड़ फेंकें तो मैंने, उन्हें गिरफ्तार कर लिया फिर देखा कि उन पर (मेरा अज़ाब कैसा (सख्त हुआ) |
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4139 | 40 | 6 | وكذلك حقت كلمت ربك على الذين كفروا أنهم أصحاب النار |
| | | और इसी तरह तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब का हुक्म (उन) काफ़िरों पर पूरा हो चुका है कि यह लोग यक़ीनी जहन्नुमी हैं |
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