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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4109 | 39 | 51 | فأصابهم سيئات ما كسبوا والذين ظلموا من هؤلاء سيصيبهم سيئات ما كسبوا وما هم بمعجزين |
| | | फिर जो कुछ उन्होंने कमाया, उसकी बुराइयाँ उनपर आ पड़ी और इनमें से भी जिन लोगों ने ज़ुल्म किया, उनपर भी जो कुछ उन्होंने कमाया उसकी बुराइयाँ जल्द ही आ पड़ेगी। और वे काबू से बाहर निकलनेवाले नहीं |
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4110 | 39 | 52 | أولم يعلموا أن الله يبسط الرزق لمن يشاء ويقدر إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या उन्हें मालूम नहीं कि अल्लाह जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है? निस्संदेह इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ है जो ईमान लाएँ |
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4111 | 39 | 53 | قل يا عبادي الذين أسرفوا على أنفسهم لا تقنطوا من رحمة الله إن الله يغفر الذنوب جميعا إنه هو الغفور الرحيم |
| | | कह दो, "ऐ मेरे बन्दो, जिन्होंने अपने आप पर ज्यादती की है, अल्लाह की दयालुता से निराश न हो। निस्संदेह अल्लाह सारे ही गुनाहों का क्षमा कर देता है। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है |
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4112 | 39 | 54 | وأنيبوا إلى ربكم وأسلموا له من قبل أن يأتيكم العذاب ثم لا تنصرون |
| | | रुजू हो अपने रब की ओर और उसके आज्ञाकारी बन जाओ, इससे पहले कि तुमपर यातना आ जाए। फिर तुम्हारी सहायता न की जाएगी |
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4113 | 39 | 55 | واتبعوا أحسن ما أنزل إليكم من ربكم من قبل أن يأتيكم العذاب بغتة وأنتم لا تشعرون |
| | | और अनुसर्ण करो उस सर्वोत्तम चीज़ का जो तुम्हारे रब की ओर से अवतरित हुई है, इससे पहले कि तुम पर अचानक यातना आ जाए और तुम्हें पता भी न हो।" |
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4114 | 39 | 56 | أن تقول نفس يا حسرتا على ما فرطت في جنب الله وإن كنت لمن الساخرين |
| | | कहीं ऐसा न हो कि कोई व्यक्ति कहने लगे, "हाय, अफ़सोस उसपर! जो कोताही अल्लाह के हक़ में मैंने की। और मैं तो परिहास करनेवालों मं ही सम्मिलित रहा।" |
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4115 | 39 | 57 | أو تقول لو أن الله هداني لكنت من المتقين |
| | | या, कहने लगे कि "यदि अल्लाह मुझे मार्ग दिखाता तो अवश्य ही मैं डर रखनेवालों में से होता।" |
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4116 | 39 | 58 | أو تقول حين ترى العذاب لو أن لي كرة فأكون من المحسنين |
| | | या, जब वह यातना देखे तो कहने लगे, "काश! मुझे एक बार फिर लौटकर जाना हो, तो मैं उत्तमकारों में सम्मिलित हो जाऊँ।" |
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4117 | 39 | 59 | بلى قد جاءتك آياتي فكذبت بها واستكبرت وكنت من الكافرين |
| | | "क्यों नहीं, मेरी आयतें तेरे पास आ चुकी थीं, किन्तु तूने उनको झूठलाया और घमंड किया और इनकार करनेवालों में सम्मिलित रहा |
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4118 | 39 | 60 | ويوم القيامة ترى الذين كذبوا على الله وجوههم مسودة أليس في جهنم مثوى للمتكبرين |
| | | और क़ियामत के दिन तुम उन लोगों को देखोगे जिन्होंने अल्लाह पर झूठ घड़कर थोपा है कि उनके चेहरे स्याह है। क्या अहंकारियों का ठिकाना जहन्नम में नहीं हैं?" |
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