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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4104 | 39 | 46 | قل اللهم فاطر السماوات والأرض عالم الغيب والشهادة أنت تحكم بين عبادك في ما كانوا فيه يختلفون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ ख़ुदा (ऐ) सारे आसमान और ज़मीन पैदा करने वाले, ज़ाहिर व बातिन के जानने वाले हक़ बातों में तेरे बन्दे आपस में झगड़ रहे हैं तू ही उनके दरमियान फैसला कर देगा |
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4105 | 39 | 47 | ولو أن للذين ظلموا ما في الأرض جميعا ومثله معه لافتدوا به من سوء العذاب يوم القيامة وبدا لهم من الله ما لم يكونوا يحتسبون |
| | | और अगर नाफरमानों के पास रूए ज़मीन की सारी काएनात मिल जाएग बल्कि उनके साथ उतनी ही और भी हो तो क़यामत के दिन ये लोग यक़ीनन सख्त अज़ाब का फ़िदया दे निकलें (और अपना छुटकारा कराना चाहें) और (उस वक्त) उनके सामने ख़ुदा की तरफ से वह बात पेश आएगी जिसका उन्हें वहम व गुमान भी न था |
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4106 | 39 | 48 | وبدا لهم سيئات ما كسبوا وحاق بهم ما كانوا به يستهزئون |
| | | और जो बदकिरदारियाँ उन लोगों ने की थीं (वह सब) उनके सामने खुल जाएँगीं और जिस (अज़ाब) पर यह लोग क़हक़हे लगाते थे वह उन्हें घेरेगा |
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4107 | 39 | 49 | فإذا مس الإنسان ضر دعانا ثم إذا خولناه نعمة منا قال إنما أوتيته على علم بل هي فتنة ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | इन्सान को तो जब कोई बुराई छू गयी बस वह लगा हमसे दुआएँ माँगने, फिर जब हम उसे अपनी तरफ़ से कोई नेअमत अता करते हैं तो कहने लगता है कि ये तो सिर्फ (मेरे) इल्म के ज़ोर से मुझे दिया गया है (ये ग़लती है) बल्कि ये तो एक आज़माइश है मगर उन में के अक्सर नहीं जानते हैं |
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4108 | 39 | 50 | قد قالها الذين من قبلهم فما أغنى عنهم ما كانوا يكسبون |
| | | जो लोग उनसे पहले थे वह भी ऐसी बातें बका करते थे फिर (जब हमारा अज़ाब आया) तो उनकी कारस्तानियाँ उनके कुछ भी काम न आई |
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4109 | 39 | 51 | فأصابهم سيئات ما كسبوا والذين ظلموا من هؤلاء سيصيبهم سيئات ما كسبوا وما هم بمعجزين |
| | | ग़रज़ उनके आमाल के बुरे नतीजे उन्हें भुगतने पड़े और उन (कुफ्फ़ारे मक्का) में से जिन लोगों ने नाफरमानियाँ की हैं उन्हें भी अपने अपने आमाल की सज़ाएँ भुगतनी पड़ेंगी और ये लोग (ख़ुदा को)े आजिज़ नहीं कर सकते |
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4110 | 39 | 52 | أولم يعلموا أن الله يبسط الرزق لمن يشاء ويقدر إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या उन लोगों को इतनी बात भी मालूम नहीं कि ख़ुदा ही जिसके लिए चाहता है रोज़ी फराख़ करता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग करता है इसमें शक नहीं कि क्या इसमें ईमानदार लोगों के (कुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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4111 | 39 | 53 | قل يا عبادي الذين أسرفوا على أنفسهم لا تقنطوا من رحمة الله إن الله يغفر الذنوب جميعا إنه هو الغفور الرحيم |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ मेरे (ईमानदार) बन्दों जिन्होने (गुनाह करके) अपनी जानों पर ज्यादतियाँ की हैं तुम लोग ख़ुदा की रहमत से नाउम्मीद न होना बेशक ख़ुदा (तुम्हारे) कुल गुनाहों को बख्श देगा वह बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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4112 | 39 | 54 | وأنيبوا إلى ربكم وأسلموا له من قبل أن يأتيكم العذاب ثم لا تنصرون |
| | | और अपने परवरदिगार की तरफ रूजू करो और उसी के फरमाबरदार बन जाओ (मगर) उस वक्त क़े क़ब्ल ही कि तुम पर जब अज़ाब आ नाज़िल हो (और) फिर तुम्हारी मदद न की जा सके |
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4113 | 39 | 55 | واتبعوا أحسن ما أنزل إليكم من ربكم من قبل أن يأتيكم العذاب بغتة وأنتم لا تشعرون |
| | | और जो जो अच्छी बातें तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हई हैं उन पर चलो (मगर) उसके क़ब्ल कि तुम पर एक बारगी अज़ाब नाज़िल हो और तुमको उसकी ख़बर भी न हो |
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