بسم الله الرحمن الرحيم

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40873929ضرب الله مثلا رجلا فيه شركاء متشاكسون ورجلا سلما لرجل هل يستويان مثلا الحمد لله بل أكثرهم لا يعلمون
ताकि ये लोग (समझकर) खुदा से डरे ख़ुदा ने एक मिसाल बयान की है कि एक शख्स (ग़ुलाम) है जिसमें कई झगड़ालू साझी हैं और एक ज़ालिम है कि पूरा एक शख्स का है उन दोनों की हालत यकसाँ हो सकती हैं (हरगिज़ नहीं) अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें अक्सर इतना भी नहीं जानते
40883930إنك ميت وإنهم ميتون
(ऐ रसूल) बेशक तुम भी मरने वाले हो
40893931ثم إنكم يوم القيامة عند ربكم تختصمون
और ये लोग भी यक़ीनन मरने वाले हैं फिर तुम लोग क़यामत के दिन अपने परवरदिगार की बारगाह में बाहम झगड़ोगे
40903932فمن أظلم ممن كذب على الله وكذب بالصدق إذ جاءه أليس في جهنم مثوى للكافرين
तो इससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो ख़ुदा पर झूठ (तूफान) बाँधे और जब उसके पास सच्ची बात आए तो उसको झुठला दे क्या जहन्नुम में कााफिरों का ठिकाना नहीं है
40913933والذي جاء بالصدق وصدق به أولئك هم المتقون
(ज़रूर है) और याद रखो कि जो शख्स (रसूल) सच्ची बात लेकर आया वह और जिसने उसकी तसदीक़ की यही लोग तो परहेज़गार हैं
40923934لهم ما يشاءون عند ربهم ذلك جزاء المحسنين
ये लोग जो चाहेंगे उनके लिए परवर दिगार के पास (मौजूद) है, ये नेकी करने वालों की जज़ाए ख़ैर है
40933935ليكفر الله عنهم أسوأ الذي عملوا ويجزيهم أجرهم بأحسن الذي كانوا يعملون
ताकि ख़ुदा उन लोगों की बुराइयों को जो उन्होने की हैं दूर कर दे और उनके अच्छे कामों के एवज़ जो वह कर चुके थे उसका अज्र (सवाब) अता फरमाए
40943936أليس الله بكاف عبده ويخوفونك بالذين من دونه ومن يضلل الله فما له من هاد
क्या ख़ुदा अपने बन्दों (की मदद) के लिए काफ़ी नहीं है (ज़रूर है) और (ऐ रसूल) तुमको लोग ख़ुदा के सिवा (दूसरे माबूदों) से डराते हैं और ख़ुदा जिसे गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई राह पर लाने वाला नहीं है
40953937ومن يهد الله فما له من مضل أليس الله بعزيز ذي انتقام
और जिस शख्स की हिदायत करे तो उसका कोई गुमराह करने वाला नहीं। क्या ख़दा ज़बरदस्त और बदला लेने वाला नहीं है (ज़रूर है)
40963938ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض ليقولن الله قل أفرأيتم ما تدعون من دون الله إن أرادني الله بضر هل هن كاشفات ضره أو أرادني برحمة هل هن ممسكات رحمته قل حسبي الله عليه يتوكل المتوكلون
और (ऐ रसूल) अगर तुम इनसे पूछो कि सारे आसमान व ज़मीन को किसने पैदा किया तो ये लोग यक़ीनन कहेंगे कि ख़ुदा ने, तुम कह दो कि तो क्या तुमने ग़ौर किया है कि ख़ुदा को छोड़ कर जिन लोगों की तुम इबादत करते हो अगर ख़ुदा मुझे कोई तक़लीफ पहुँचाना चाहे तो क्या वह लोग उसके नुक़सान को (मुझसे) रोक सकते हैं या अगर ख़ुदा मुझ पर मेहरबानी करना चाहे तो क्या वह लोग उसकी मेहरबानी रोक सकते हैं (ऐ रसूल) तुम कहो कि ख़ुदा मेरे लिए काफ़ी है उसी पर भरोसा करने वाले भरोसा करते हैं


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