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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
4071 | 39 | 13 | قل إني أخاف إن عصيت ربي عذاب يوم عظيم |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर मैं अपने परवरदिगार की नाफरमानी करूँ तो मैं एक बड़ी (सख्त) दिन (क़यामत) के अज़ाब से डरता हूँ |
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4072 | 39 | 14 | قل الله أعبد مخلصا له ديني |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं अपनी इबादत को उसी के वास्ते ख़ालिस करके खुदा ही की बन्दगी करता हूँ (अब रहे तुम) तो उसके सिवा जिसको चाहो पूजो |
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4073 | 39 | 15 | فاعبدوا ما شئتم من دونه قل إن الخاسرين الذين خسروا أنفسهم وأهليهم يوم القيامة ألا ذلك هو الخسران المبين |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि फिल हक़ीक़त घाटे में वही लोग हैं जिन्होंने अपना और अपने लड़के वालों का क़यामत के दिन घाटा किया आगाह रहो कि सरीही (खुल्लम खुल्ला) घाटा यही है कि उनके लिए उनके ऊपर से आग ही के ओढ़ने होगें |
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4074 | 39 | 16 | لهم من فوقهم ظلل من النار ومن تحتهم ظلل ذلك يخوف الله به عباده يا عباد فاتقون |
| | | और उनके नीचे भी (आग ही के) बिछौने ये वह अज़ाब है जिससे खुदा अपने बन्दों को डराता है तो ऐ मेरे बन्दों मुझी से डरते रहो |
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4075 | 39 | 17 | والذين اجتنبوا الطاغوت أن يعبدوها وأنابوا إلى الله لهم البشرى فبشر عباد |
| | | और जो लोग बुतों से उनके पूजने से बचे रहे और ख़ुदा ही की तरफ रूजु की उनके लिए (जन्नत की) ख़ुशख़बरी है |
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4076 | 39 | 18 | الذين يستمعون القول فيتبعون أحسنه أولئك الذين هداهم الله وأولئك هم أولو الألباب |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम मेरे (ख़ास) बन्दों को खुशख़बरी दे दो जो बात को जी लगाकर सुनते हैं और फिर उसमें से अच्छी बात पर अमल करते हैं यही वह लोग हैं जिनकी खुदा ने हिदायत की और यही लोग अक्लमन्द हैं |
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4077 | 39 | 19 | أفمن حق عليه كلمة العذاب أفأنت تنقذ من في النار |
| | | तो (ऐ रसूल) भला जिस शख्स पर अज़ाब का वायदा पूरा हो चुका हो तो क्या तुम उस शख्स की ख़लासी दे सकते हो |
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4078 | 39 | 20 | لكن الذين اتقوا ربهم لهم غرف من فوقها غرف مبنية تجري من تحتها الأنهار وعد الله لا يخلف الله الميعاد |
| | | जो आग में (पड़ा) हो मगर जो लोग अपने परवरदिगार से डरते रहे उनके ऊँचे-ऊँचे महल हैं (और) बाला ख़ानों पर बालाख़ाने बने हुए हैं जिनके नीचे नहरें जारी हैं ये खुदा का वायदा है (और) वायदा ख़िलाफी नहीं किया करता |
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4079 | 39 | 21 | ألم تر أن الله أنزل من السماء ماء فسلكه ينابيع في الأرض ثم يخرج به زرعا مختلفا ألوانه ثم يهيج فتراه مصفرا ثم يجعله حطاما إن في ذلك لذكرى لأولي الألباب |
| | | क्या तुमने इस पर ग़ौर नहीं किया कि खुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर उसको ज़मीन में चश्में बनाकर जारी किया फिर उसके ज़रिए से रंग बिरंग (के गल्ले) की खेती उगाता है फिर (पकने के बाद) सूख जाती है तो तुम को वह ज़र्द दिखायी देती है फिर खुदा उसे चूर-चूर भूसा कर देता है बेशक इसमें अक्लमन्दों के लिए (बड़ी) इबरत व नसीहत है |
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4080 | 39 | 22 | أفمن شرح الله صدره للإسلام فهو على نور من ربه فويل للقاسية قلوبهم من ذكر الله أولئك في ضلال مبين |
| | | तो क्या वह शख्स जिस के सीने को खुदा ने (क़ुबूल) इस्लाम के लिए कुशादा कर दिया है तो वह अपने परवरदिगार (की हिदायत) की रौशनी पर (चलता) है मगर गुमराहों के बराबर हो सकता है अफसोस तो उन लोगों पर है जिनके दिल खुदा की याद से (ग़ाफ़िल होकर) सख्त हो गए हैं |
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