بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
37753670لينذر من كان حيا ويحق القول على الكافرين
ताकि वह उसे सचेत कर दे जो जीवन्त हो और इनकार करनेवालों पर (यातना की) बात स्थापित हो जाए
37763671أولم يروا أنا خلقنا لهم مما عملت أيدينا أنعاما فهم لها مالكون
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने उनके लिए अपने हाथों की बनाई हुई चीज़ों में से चौपाए पैदा किए और अब वे उनके मालिक है?
37773672وذللناها لهم فمنها ركوبهم ومنها يأكلون
और उन्हें उनके बस में कर दिया कि उनमें से कुछ तो उनकी सवारियाँ हैं और उनमें से कुछ को खाते है।
37783673ولهم فيها منافع ومشارب أفلا يشكرون
और उनके लिए उनमें कितने ही लाभ है और पेय भी है। तो क्या वे कृतज्ञता नहीं दिखलाते?
37793674واتخذوا من دون الله آلهة لعلهم ينصرون
उन्होंने अल्लाह से इतर कितने ही उपास्य बना लिए है कि शायद उन्हें मदद पहुँचे।
37803675لا يستطيعون نصرهم وهم لهم جند محضرون
वे उनकी सहायता करने की सामर्थ्य नहीं रखते, हालाँकि वे (बहुदेववादियों की अपनी स्पष्ट में) उनके लिए उपस्थित सेनाएँ हैं
37813676فلا يحزنك قولهم إنا نعلم ما يسرون وما يعلنون
अतः उनकी बात तुम्हें शोकाकुल न करे। हम जानते है जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ व्यक्त करते है
37823677أولم ير الإنسان أنا خلقناه من نطفة فإذا هو خصيم مبين
क्या (इनकार करनेवाले) मनुष्य को नहीं देखा कि हमने उसे वीर्य से पैदा किया? फिर क्या देखते है कि वह प्रत्क्षय विरोधी झगड़ालू बन गया
37833678وضرب لنا مثلا ونسي خلقه قال من يحيي العظام وهي رميم
और उसने हमपर फबती कसी और अपनी पैदाइश को भूल गया। कहता है, "कौन हड्डियों में जान डालेगा, जबकि वे जीर्ण-शीर्ण हो चुकी होंगी?"
37843679قل يحييها الذي أنشأها أول مرة وهو بكل خلق عليم
कह दो, "उनमें वही जाल डालेगा जिसने उनको पहली बार पैदा किया। वह तो प्रत्येक संसृति को भली-भाँति जानता है


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