بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
37433638والشمس تجري لمستقر لها ذلك تقدير العزيز العليم
और (एक निशानी) आफताब है जो अपने एक ठिकाने पर चल रहा है ये (सबसे) ग़ालिब वाक़िफ (खुदा) का (बाँद्दा हुआ) अन्दाज़ा है
37443639والقمر قدرناه منازل حتى عاد كالعرجون القديم
और हमने चाँद के लिए मंज़िलें मुक़र्रर कर दीं हैं यहाँ तक कि हिर फिर के (आख़िर माह में) खजूर की पुरानी टहनी का सा (पतला टेढ़ा) हो जाता है
37453640لا الشمس ينبغي لها أن تدرك القمر ولا الليل سابق النهار وكل في فلك يسبحون
न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं
37463641وآية لهم أنا حملنا ذريتهم في الفلك المشحون
और उनके लिए (मेरी कुदरत) की एक निशानी ये है कि उनके बुर्ज़ुगों को (नूह की) भरी हुई कश्ती में सवार किया
37473642وخلقنا لهم من مثله ما يركبون
और उस कशती के मिसल उन लोगों के वास्ते भी वह चीज़े (कशतियाँ) जहाज़ पैदा कर दी
37483643وإن نشأ نغرقهم فلا صريخ لهم ولا هم ينقذون
जिन पर ये लोग सवार हुआ करते हैं और अगर हम चाहें तो उन सब लोगों को डुबा मारें फिर न कोई उन का फरियाद रस होगा और न वह लोग छुटकारा ही पा सकते हैं
37493644إلا رحمة منا ومتاعا إلى حين
मगर हमारी मेहरबानी से और चूँकि एक (ख़ास) वक्त तक (उनको) चैन करने देना (मंज़ूर) है
37503645وإذا قيل لهم اتقوا ما بين أيديكم وما خلفكم لعلكم ترحمون
और जब उन कुफ्फ़ार से कहा जाता है कि इस (अज़ाब से) बचो (हर वक्त तुम्हारे साथ-साथ) तुम्हारे सामने और तुम्हारे पीछे (मौजूद) है ताकि तुम पर रहम किया जाए
37513646وما تأتيهم من آية من آيات ربهم إلا كانوا عنها معرضين
(तो परवाह नहीं करते) और उनकी हालत ये है कि जब उनके परवरदिगार की निशानियों में से कोई निशानी उनके पास आयी तो ये लोग मुँह मोड़े बग़ैर कभी नहीं रहे
37523647وإذا قيل لهم أنفقوا مما رزقكم الله قال الذين كفروا للذين آمنوا أنطعم من لو يشاء الله أطعمه إن أنتم إلا في ضلال مبين
और जब उन (कुफ्फ़ार) से कहा जाता है कि (माले दुनिया से) जो खुदा ने तुम्हें दिया है उसमें से कुछ (खुदा की राह में भी) ख़र्च करो तो (ये) कुफ्फ़ार ईमानवालों से कहते हैं कि भला हम उस शख्स को खिलाएँ जिसे (तुम्हारे ख्याल के मुवाफ़िक़) खुदा चाहता तो उसको खुद खिलाता कि तुम लोग बस सरीही गुमराही में (पड़े हुए) हो


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