نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3740 | 36 | 35 | ليأكلوا من ثمره وما عملته أيديهم أفلا يشكرون |
| | | ताकि लोग उनके फल खाएँ और कुछ उनके हाथों ने उसे नहीं बनाया (बल्कि खुदा ने) तो क्या ये लोग (इस पर भी) शुक्र नहीं करते |
|
3741 | 36 | 36 | سبحان الذي خلق الأزواج كلها مما تنبت الأرض ومن أنفسهم ومما لا يعلمون |
| | | वह (हर ऐब से) पाक साफ है जिसने ज़मीन से उगने वाली चीज़ों और खुद उन लोगों के और उन चीज़ों के जिनकी उन्हें ख़बर नहीं सबके जोड़े पैदा किए |
|
3742 | 36 | 37 | وآية لهم الليل نسلخ منه النهار فإذا هم مظلمون |
| | | और मेरी क़ुदरत की एक निशानी रात है जिससे हम दिन को खींच कर निकाल लेते (जाएल कर देते) हैं तो उस वक्त ये लोग अंधेरे में रह जाते हैं |
|
3743 | 36 | 38 | والشمس تجري لمستقر لها ذلك تقدير العزيز العليم |
| | | और (एक निशानी) आफताब है जो अपने एक ठिकाने पर चल रहा है ये (सबसे) ग़ालिब वाक़िफ (खुदा) का (बाँद्दा हुआ) अन्दाज़ा है |
|
3744 | 36 | 39 | والقمر قدرناه منازل حتى عاد كالعرجون القديم |
| | | और हमने चाँद के लिए मंज़िलें मुक़र्रर कर दीं हैं यहाँ तक कि हिर फिर के (आख़िर माह में) खजूर की पुरानी टहनी का सा (पतला टेढ़ा) हो जाता है |
|
3745 | 36 | 40 | لا الشمس ينبغي لها أن تدرك القمر ولا الليل سابق النهار وكل في فلك يسبحون |
| | | न तो आफताब ही से ये बन पड़ता है कि वह माहताब को जा ले और न रात ही दिन से आगे बढ़ सकती है (चाँद, सूरज, सितारे) हर एक अपने-अपने आसमान (मदार) में चक्कर लगा रहें हैं |
|
3746 | 36 | 41 | وآية لهم أنا حملنا ذريتهم في الفلك المشحون |
| | | और उनके लिए (मेरी कुदरत) की एक निशानी ये है कि उनके बुर्ज़ुगों को (नूह की) भरी हुई कश्ती में सवार किया |
|
3747 | 36 | 42 | وخلقنا لهم من مثله ما يركبون |
| | | और उस कशती के मिसल उन लोगों के वास्ते भी वह चीज़े (कशतियाँ) जहाज़ पैदा कर दी |
|
3748 | 36 | 43 | وإن نشأ نغرقهم فلا صريخ لهم ولا هم ينقذون |
| | | जिन पर ये लोग सवार हुआ करते हैं और अगर हम चाहें तो उन सब लोगों को डुबा मारें फिर न कोई उन का फरियाद रस होगा और न वह लोग छुटकारा ही पा सकते हैं |
|
3749 | 36 | 44 | إلا رحمة منا ومتاعا إلى حين |
| | | मगर हमारी मेहरबानी से और चूँकि एक (ख़ास) वक्त तक (उनको) चैन करने देना (मंज़ूर) है |
|