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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3730 | 36 | 25 | إني آمنت بربكم فاسمعون |
| | | मैं तो तुम्हारे परवरदिगार पर ईमान ला चुका हूँ मेरी बात सुनो और मानो; मगर उन लोगों ने उसे संगसार कर डाला |
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3731 | 36 | 26 | قيل ادخل الجنة قال يا ليت قومي يعلمون |
| | | तब उसे खुदा का हुक्म हुआ कि बेहिश्त में जा (उस वक्त भी उसको क़ौम का ख्याल आया तो कहा) |
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3732 | 36 | 27 | بما غفر لي ربي وجعلني من المكرمين |
| | | मेरे परवरदिगार ने जो मुझे बख्श दिया और मुझे बुर्ज़ुग लोगों में शामिल कर दिया काश इसको मेरी क़ौम के लोग जान लेते और ईमान लाते |
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3733 | 36 | 28 | وما أنزلنا على قومه من بعده من جند من السماء وما كنا منزلين |
| | | और हमने उसके मरने के बाद उसकी क़ौम पर उनकी तबाही के लिए न तो आसमान से कोई लशकर उतारा और न हम कभी इतनी सी बात के वास्ते लशकर उतारने वाले थे |
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3734 | 36 | 29 | إن كانت إلا صيحة واحدة فإذا هم خامدون |
| | | वह तो सिर्फ एक चिंघाड थी (जो कर दी गयी बस) फिर तो वह फौरन चिराग़े सहरी की तरह बुझ के रह गए |
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3735 | 36 | 30 | يا حسرة على العباد ما يأتيهم من رسول إلا كانوا به يستهزئون |
| | | हाए अफसोस बन्दों के हाल पर कि कभी उनके पास कोई रसूल नहीं आया मगर उन लोगों ने उसके साथ मसख़रापन ज़रूर किया |
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3736 | 36 | 31 | ألم يروا كم أهلكنا قبلهم من القرون أنهم إليهم لا يرجعون |
| | | क्या उन लोगों ने इतना भी ग़ौर नहीं किया कि हमने उनसे पहले कितनी उम्मतों को हलाक कर डाला और वह लोग उनके पास हरगिज़ पलट कर नहीं आ सकते |
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3737 | 36 | 32 | وإن كل لما جميع لدينا محضرون |
| | | (हाँ) अलबत्ता सब के सब इकट्ठा हो कर हमारी बारगाह में हाज़िर किए जाएँगे |
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3738 | 36 | 33 | وآية لهم الأرض الميتة أحييناها وأخرجنا منها حبا فمنه يأكلون |
| | | और उनके (समझने) के लिए मेरी कुदरत की एक निशानी मुर्दा (परती) ज़मीन है कि हमने उसको (पानी से) ज़िन्दा कर दिया और हम ही ने उससे दाना निकाला तो उसे ये लोग खाया करते हैं |
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3739 | 36 | 34 | وجعلنا فيها جنات من نخيل وأعناب وفجرنا فيها من العيون |
| | | और हम ही ने ज़मीन में छुहारों और अंगूरों के बाग़ लगाए और हमही ने उसमें पानी के चशमें जारी किए |
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