بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
37303625إني آمنت بربكم فاسمعون
मैं तो तुम्हारे परवरदिगार पर ईमान ला चुका हूँ मेरी बात सुनो और मानो; मगर उन लोगों ने उसे संगसार कर डाला
37313626قيل ادخل الجنة قال يا ليت قومي يعلمون
तब उसे खुदा का हुक्म हुआ कि बेहिश्त में जा (उस वक्त भी उसको क़ौम का ख्याल आया तो कहा)
37323627بما غفر لي ربي وجعلني من المكرمين
मेरे परवरदिगार ने जो मुझे बख्श दिया और मुझे बुर्ज़ुग लोगों में शामिल कर दिया काश इसको मेरी क़ौम के लोग जान लेते और ईमान लाते
37333628وما أنزلنا على قومه من بعده من جند من السماء وما كنا منزلين
और हमने उसके मरने के बाद उसकी क़ौम पर उनकी तबाही के लिए न तो आसमान से कोई लशकर उतारा और न हम कभी इतनी सी बात के वास्ते लशकर उतारने वाले थे
37343629إن كانت إلا صيحة واحدة فإذا هم خامدون
वह तो सिर्फ एक चिंघाड थी (जो कर दी गयी बस) फिर तो वह फौरन चिराग़े सहरी की तरह बुझ के रह गए
37353630يا حسرة على العباد ما يأتيهم من رسول إلا كانوا به يستهزئون
हाए अफसोस बन्दों के हाल पर कि कभी उनके पास कोई रसूल नहीं आया मगर उन लोगों ने उसके साथ मसख़रापन ज़रूर किया
37363631ألم يروا كم أهلكنا قبلهم من القرون أنهم إليهم لا يرجعون
क्या उन लोगों ने इतना भी ग़ौर नहीं किया कि हमने उनसे पहले कितनी उम्मतों को हलाक कर डाला और वह लोग उनके पास हरगिज़ पलट कर नहीं आ सकते
37373632وإن كل لما جميع لدينا محضرون
(हाँ) अलबत्ता सब के सब इकट्ठा हो कर हमारी बारगाह में हाज़िर किए जाएँगे
37383633وآية لهم الأرض الميتة أحييناها وأخرجنا منها حبا فمنه يأكلون
और उनके (समझने) के लिए मेरी कुदरत की एक निशानी मुर्दा (परती) ज़मीन है कि हमने उसको (पानी से) ज़िन्दा कर दिया और हम ही ने उससे दाना निकाला तो उसे ये लोग खाया करते हैं
37393634وجعلنا فيها جنات من نخيل وأعناب وفجرنا فيها من العيون
और हम ही ने ज़मीन में छुहारों और अंगूरों के बाग़ लगाए और हमही ने उसमें पानी के चशमें जारी किए


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