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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3701 | 35 | 41 | إن الله يمسك السماوات والأرض أن تزولا ولئن زالتا إن أمسكهما من أحد من بعده إنه كان حليما غفورا |
| | | अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है |
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3702 | 35 | 42 | وأقسموا بالله جهد أيمانهم لئن جاءهم نذير ليكونن أهدى من إحدى الأمم فلما جاءهم نذير ما زادهم إلا نفورا |
| | | उन्होंने अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाई थी कि यदि उनके पास कोई सचेतकर्ता आए तो वे समुदायों में से प्रत्येक से बढ़कर सीधे मार्ग पर होंगे। किन्तु जब उनके पास एक सचेतकर्ता आ गया तो इस चीज़ ने धरती में उनके घमंड और बुरी चालों के कारण उनकी नफ़रत ही में अभिवृद्धि की, |
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3703 | 35 | 43 | استكبارا في الأرض ومكر السيئ ولا يحيق المكر السيئ إلا بأهله فهل ينظرون إلا سنت الأولين فلن تجد لسنت الله تبديلا ولن تجد لسنت الله تحويلا |
| | | हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे |
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3704 | 35 | 44 | أولم يسيروا في الأرض فينظروا كيف كان عاقبة الذين من قبلهم وكانوا أشد منهم قوة وما كان الله ليعجزه من شيء في السماوات ولا في الأرض إنه كان عليما قديرا |
| | | क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ है जो उनसे पहले गुज़रे हैं? हालाँकि वे शक्ति में उनसे कही बढ़-चढ़कर थे। अल्लाह ऐसा नहीं कि आकाशों में कोई चीज़ उसे मात कर सके और न धरती ही में। निस्संदेह वह सर्वज्ञ, सामर्थ्यमान है |
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3705 | 35 | 45 | ولو يؤاخذ الله الناس بما كسبوا ما ترك على ظهرها من دابة ولكن يؤخرهم إلى أجل مسمى فإذا جاء أجلهم فإن الله كان بعباده بصيرا |
| | | यदि अल्लाह लोगों को उनकी कमाई के कारण पकड़ने पर आ जाए तो इस धरती की पीठ पर किसी जीवधारी को भी न छोड़े। किन्तु वह उन्हें एक नियत समय तक ढील देता है, फिर जब उनका नियत समय आ जाता है तो निश्चय ही अल्लाह तो अपने बन्दों को देख ही रहा है |
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3706 | 36 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يس |
| | | या॰ सीन॰ |
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3707 | 36 | 2 | والقرآن الحكيم |
| | | गवाह है हिकमतवाला क़ुरआन |
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3708 | 36 | 3 | إنك لمن المرسلين |
| | | - कि तुम निश्चय ही रसूलों में से हो |
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3709 | 36 | 4 | على صراط مستقيم |
| | | एक सीधे मार्ग पर |
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3710 | 36 | 5 | تنزيل العزيز الرحيم |
| | | - क्या ही ख़ूब है, प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावाल का इसको अवतरित करना! |
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