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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3695 | 35 | 35 | الذي أحلنا دار المقامة من فضله لا يمسنا فيها نصب ولا يمسنا فيها لغوب |
| | | जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।" |
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3696 | 35 | 36 | والذين كفروا لهم نار جهنم لا يقضى عليهم فيموتوا ولا يخفف عنهم من عذابها كذلك نجزي كل كفور |
| | | रहे वे लोग जिन्होंने इनकार किया, उनके लिए जहन्नम की आग है, न उनका काम तमाम किया जाएगा कि मर जाएँ और न उनसे उसकी यातना ही कुछ हल्की की जाएगी। हम ऐसा ही बदला प्रत्येक अकृतज्ञ को देते है |
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3697 | 35 | 37 | وهم يصطرخون فيها ربنا أخرجنا نعمل صالحا غير الذي كنا نعمل أولم نعمركم ما يتذكر فيه من تذكر وجاءكم النذير فذوقوا فما للظالمين من نصير |
| | | वे वहाँ चिल्लाएँगे कि "ऐ हमारे रब! हमें निकाल ले। हम अच्छा कर्म करेंगे, उससे भिन्न जो हम करते रहे।" "क्या हमने तुम्हें इतनी आयु नहीं दी कि जिसमें कोई होश में आना चाहता तो होश में आ जाता? और तुम्हारे पास सचेतकर्ता भी आया था, तो अब मज़ा चखते रहो! ज़ालिमोंं को कोई सहायक नहीं!" |
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3698 | 35 | 38 | إن الله عالم غيب السماوات والأرض إنه عليم بذات الصدور |
| | | निस्संदेह अल्लाह आकाशों और धरती की छिपी बात को जानता है। वह तो सीनो तक की बात जानता है |
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3699 | 35 | 39 | هو الذي جعلكم خلائف في الأرض فمن كفر فعليه كفره ولا يزيد الكافرين كفرهم عند ربهم إلا مقتا ولا يزيد الكافرين كفرهم إلا خسارا |
| | | वही तो है जिसने तुम्हे धरती में ख़लीफ़ा बनाया। अब तो कोई इनकार करेगा, उसके इनकार का वबाल उसी पर है। इनकार करनेवालों का इनकार उनके रब के यहाँ केवल प्रकोप ही को बढ़ाता है, और इनकार करनेवालों का इनकार केवल घाटे में ही अभिवृद्धि करता है |
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3700 | 35 | 40 | قل أرأيتم شركاءكم الذين تدعون من دون الله أروني ماذا خلقوا من الأرض أم لهم شرك في السماوات أم آتيناهم كتابا فهم على بينت منه بل إن يعد الظالمون بعضهم بعضا إلا غرورا |
| | | कहो, "क्या तुमने अपने ठहराए हुए साझीदारो का अवलोकन भी किया, जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते हो? मुझे दिखाओ उन्होंने धरती का कौन-सा भाग पैदा किया है या आकाशों में उनकी कोई भागीदारी है?" या हमने उन्हें कोई किताब ही है कि उसका कोई स्पष्ट प्रमाण उनके पक्ष में हो? नहीं, बल्कि वे ज़ालिम आपस में एक-दूसरे से केवल धोखे का वादा कर रहे है |
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3701 | 35 | 41 | إن الله يمسك السماوات والأرض أن تزولا ولئن زالتا إن أمسكهما من أحد من بعده إنه كان حليما غفورا |
| | | अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है |
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3702 | 35 | 42 | وأقسموا بالله جهد أيمانهم لئن جاءهم نذير ليكونن أهدى من إحدى الأمم فلما جاءهم نذير ما زادهم إلا نفورا |
| | | उन्होंने अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाई थी कि यदि उनके पास कोई सचेतकर्ता आए तो वे समुदायों में से प्रत्येक से बढ़कर सीधे मार्ग पर होंगे। किन्तु जब उनके पास एक सचेतकर्ता आ गया तो इस चीज़ ने धरती में उनके घमंड और बुरी चालों के कारण उनकी नफ़रत ही में अभिवृद्धि की, |
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3703 | 35 | 43 | استكبارا في الأرض ومكر السيئ ولا يحيق المكر السيئ إلا بأهله فهل ينظرون إلا سنت الأولين فلن تجد لسنت الله تبديلا ولن تجد لسنت الله تحويلا |
| | | हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे |
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3704 | 35 | 44 | أولم يسيروا في الأرض فينظروا كيف كان عاقبة الذين من قبلهم وكانوا أشد منهم قوة وما كان الله ليعجزه من شيء في السماوات ولا في الأرض إنه كان عليما قديرا |
| | | क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ है जो उनसे पहले गुज़रे हैं? हालाँकि वे शक्ति में उनसे कही बढ़-चढ़कर थे। अल्लाह ऐसा नहीं कि आकाशों में कोई चीज़ उसे मात कर सके और न धरती ही में। निस्संदेह वह सर्वज्ञ, सामर्थ्यमान है |
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