بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
36843524إنا أرسلناك بالحق بشيرا ونذيرا وإن من أمة إلا خلا فيها نذير
हम ही ने तुमको यक़ीनन कुरान के साथ खुशख़बरी देने वाला और डराने वाला ( पैग़म्बर) बनाकर भेजा और कोई उम्मत (दुनिया में)
36853525وإن يكذبوك فقد كذب الذين من قبلهم جاءتهم رسلهم بالبينات وبالزبر وبالكتاب المنير
ऐसी नहीं गुज़री कि उसके पास (हमारा) डराने वाला पैग़म्बर न आया हो और अगर ये लोग तुम्हें झुठलाएँ तो कुछ परवाह नहीं करो क्योंकि इनके अगलों ने भी (अपने पैग़म्बरों को) झुठलाया है (हालाँकि) उनके पास उनके पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मौजिजे अौर सहीफ़े और रौशन किताब लेकर आए थे
36863526ثم أخذت الذين كفروا فكيف كان نكير
फिर हमने उन लोगों को जो काफ़िर हो बैठे ले डाला तो (तुमने देखाकि) मेरा अज़ाब (उन पर) कैसा (सख्त हुआ
36873527ألم تر أن الله أنزل من السماء ماء فأخرجنا به ثمرات مختلفا ألوانها ومن الجبال جدد بيض وحمر مختلف ألوانها وغرابيب سود
अब क्या तुमने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि यक़ीनन खुदा ही ने आसमान से पानी बरसाया फिर हम (खुदा) ने उसके ज़रिए से तरह-तरह की रंगतों के फल पैदा किए और पहाड़ों में क़तआत (टुकड़े रास्ते) हैं जिनके रंग मुख़तलिफ है कुछ तो सफेद (बुर्राक़) और कुछ लाल (लाल) और कुछ बिल्कुल काले सियाह
36883528ومن الناس والدواب والأنعام مختلف ألوانه كذلك إنما يخشى الله من عباده العلماء إن الله عزيز غفور
और इसी तरह आदमियों और जानवरों और चारपायों की भी रंगते तरह-तरह की हैं उसके बन्दों में ख़ुदा का ख़ौफ करने वाले तो बस उलेमा हैं बेशक खुदा (सबसे) ग़ालिब और बख्शने वाला है
36893529إن الذين يتلون كتاب الله وأقاموا الصلاة وأنفقوا مما رزقناهم سرا وعلانية يرجون تجارة لن تبور
बेशक जो लोग Âुदा की किताब पढ़ा करते हैं और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से छिपा के और दिखा के (खुदा की राह में) देते हैं वह यक़ीनन ऐसे व्यापार का आसरा रखते हैं
36903530ليوفيهم أجورهم ويزيدهم من فضله إنه غفور شكور
जिसका कभी टाट न उलटेगा ताकि खुदा उन्हें उनकी मज़दूरियाँ भरपूर अता करे बल्कि अपने फज़ल (व करम) से उसे कुछ और बढ़ा देगा बेशक वह बड़ा बख्शने वाला है (और) बड़ा क़द्रदान है
36913531والذي أوحينا إليك من الكتاب هو الحق مصدقا لما بين يديه إن الله بعباده لخبير بصير
और हमने जो किताब तुम्हारे पास ''वही'' के ज़रिए से भेजी वह बिल्कुल ठीक है और जो (किताबें इससे पहले की) उसके सामने (मौजूद) हैं उनकी तसदीक़ भी करती हैं - बेशक खुदा अपने बन्दों (के हालात) से खूब वाक़िफ है (और) देख रहा है
36923532ثم أورثنا الكتاب الذين اصطفينا من عبادنا فمنهم ظالم لنفسه ومنهم مقتصد ومنهم سابق بالخيرات بإذن الله ذلك هو الفضل الكبير
फिर हमने अपने बन्दगान में से ख़ास उनको कुरान का वारिस बनाया जिन्हें (अहल समझकर) मुन्तख़िब किया क्योंकि बन्दों में से कुछ तो (नाफरमानी करके) अपनी जान पर सितम ढाते हैं और कुछ उनमें से (नेकी बदी के) दरमियान हैं और उनमें से कुछ लोग खुदा के इख़तेयार से नेकों में (औरों से) गोया सबकत ले गए हैं (इन्तेख़ाब व सबक़त) तो खुदा का बड़ा फज़ल है
36933533جنات عدن يدخلونها يحلون فيها من أساور من ذهب ولؤلؤا ولباسهم فيها حرير
(और उसका सिला बेहिश्त के) सदा बहार बाग़ात हैं जिनमें ये लोग दाख़िल होंगे और उन्हें वहाँ सोने के कंगन और मोती पहनाए जाएँगे और वहाँ उनकी (मामूली) पोशाक ख़ालिस रेशमी होगी


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