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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3676 | 35 | 16 | إن يشأ يذهبكم ويأت بخلق جديد |
| | | अगर वह चाहे तो तुम लोगों को (अदम के पर्दे में) ले जाए और एक नयी ख़िलक़त ला बसाए |
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3677 | 35 | 17 | وما ذلك على الله بعزيز |
| | | और ये कुछ खुदा के वास्ते दुशवार नहीं |
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3678 | 35 | 18 | ولا تزر وازرة وزر أخرى وإن تدع مثقلة إلى حملها لا يحمل منه شيء ولو كان ذا قربى إنما تنذر الذين يخشون ربهم بالغيب وأقاموا الصلاة ومن تزكى فإنما يتزكى لنفسه وإلى الله المصير |
| | | और याद रहे कि कोई शख्स किसी दूसरे (के गुनाह) का बोझ नहीं उठाएगा और अगर कोई (अपने गुनाहों का) भारी बोझ उठाने वाला अपना बोझ उठाने के वास्ते (किसी को) बुलाएगा तो उसके बारे में से कुछ भी उठाया न जाएगा अगरचे (कोई किसी का) कराबतदार ही (क्यों न) हो (ऐ रसूल) तुम तो बस उन्हीं लोगों को डरा सकते हो जो बे देखे भाले अपने परवरदिगार का ख़ौफ रखते हैं और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ते हैं और (याद रखो कि) जो शख्स पाक साफ रहता है वह अपने ही फ़ायदे के वास्ते पाक साफ रहता है और (आख़िरकार सबको हिरफिर के) खुदा ही की तरफ जाना है |
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3679 | 35 | 19 | وما يستوي الأعمى والبصير |
| | | और अन्धा (क़ाफिर) और ऑंखों वाला (मोमिन किसी तरह) बराबर नहीं हो सकते |
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3680 | 35 | 20 | ولا الظلمات ولا النور |
| | | और न अंधेरा (कुफ्र) और उजाला (ईमान) बराबर है |
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3681 | 35 | 21 | ولا الظل ولا الحرور |
| | | और न छाँव (बेहिश्त) और धूप (दोज़ख़ बराबर है) |
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3682 | 35 | 22 | وما يستوي الأحياء ولا الأموات إن الله يسمع من يشاء وما أنت بمسمع من في القبور |
| | | और न ज़िन्दे (मोमिनीन) और न मुर्दें (क़ाफिर) बराबर हो सकते हैं और खुदा जिसे चाहता है अच्छी तरह सुना (समझा) देता है और (ऐ रसूल) जो (कुफ्फ़ार मुर्दों की तरह) क़ब्रों में हैं उन्हें तुम अपनी (बातें) नहीं समझा सकते हो |
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3683 | 35 | 23 | إن أنت إلا نذير |
| | | तुम तो बस (एक खुदा से) डराने वाले हो |
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3684 | 35 | 24 | إنا أرسلناك بالحق بشيرا ونذيرا وإن من أمة إلا خلا فيها نذير |
| | | हम ही ने तुमको यक़ीनन कुरान के साथ खुशख़बरी देने वाला और डराने वाला ( पैग़म्बर) बनाकर भेजा और कोई उम्मत (दुनिया में) |
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3685 | 35 | 25 | وإن يكذبوك فقد كذب الذين من قبلهم جاءتهم رسلهم بالبينات وبالزبر وبالكتاب المنير |
| | | ऐसी नहीं गुज़री कि उसके पास (हमारा) डराने वाला पैग़म्बर न आया हो और अगर ये लोग तुम्हें झुठलाएँ तो कुछ परवाह नहीं करो क्योंकि इनके अगलों ने भी (अपने पैग़म्बरों को) झुठलाया है (हालाँकि) उनके पास उनके पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन मौजिजे अौर सहीफ़े और रौशन किताब लेकर आए थे |
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