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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3672 | 35 | 12 | وما يستوي البحران هذا عذب فرات سائغ شرابه وهذا ملح أجاج ومن كل تأكلون لحما طريا وتستخرجون حلية تلبسونها وترى الفلك فيه مواخر لتبتغوا من فضله ولعلكم تشكرون |
| | | दोनों सागर समान नहीं, यह मीठा सुस्वाद है जिससे प्यास जाती रहे, पीने में रुचिकर। और यह खारा-कडुवा है। और तुम प्रत्येक में से तरोताज़ा माँस खाते हो और आभूषण निकालते हो, जिसे तुम पहनते हो। और तुम नौकाओं को देखते हो कि चीरती हुई उसमें चली जा रही हैं, ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और कदाचित तुम आभारी बनो |
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3673 | 35 | 13 | يولج الليل في النهار ويولج النهار في الليل وسخر الشمس والقمر كل يجري لأجل مسمى ذلكم الله ربكم له الملك والذين تدعون من دونه ما يملكون من قطمير |
| | | वह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता हैं। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। प्रत्येक एक नियत समय पूरी करने के लिए चल रहा है। वही अल्लाह तुम्हारा रब है। उसी की बादशाही है। उससे हटकर जिनको तुम पुकारते हो वे एक तिनके के भी मालिक नहीं |
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3674 | 35 | 14 | إن تدعوهم لا يسمعوا دعاءكم ولو سمعوا ما استجابوا لكم ويوم القيامة يكفرون بشرككم ولا ينبئك مثل خبير |
| | | यदि तुम उन्हें पुकारो तो वे तुम्हारी पुकार सुनेगे नहीं। और यदि वे सुनते तो भी तुम्हारी याचना स्वीकार न कर सकते और क़ियामत के दिन वे तुम्हारे साझी ठहराने का इनकार कर देंगे। पूरी ख़बर रखनेवाला (अल्लाह) की तरह तुम्हें कोई न बताएगा |
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3675 | 35 | 15 | يا أيها الناس أنتم الفقراء إلى الله والله هو الغني الحميد |
| | | ऐ लोगों! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है |
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3676 | 35 | 16 | إن يشأ يذهبكم ويأت بخلق جديد |
| | | यदि वह चाहे तो तुम्हें हटा दे और एक नई संसृति ले आए |
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3677 | 35 | 17 | وما ذلك على الله بعزيز |
| | | और यह अल्लाह के लिए कुछ भी कठिन नहीं |
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3678 | 35 | 18 | ولا تزر وازرة وزر أخرى وإن تدع مثقلة إلى حملها لا يحمل منه شيء ولو كان ذا قربى إنما تنذر الذين يخشون ربهم بالغيب وأقاموا الصلاة ومن تزكى فإنما يتزكى لنفسه وإلى الله المصير |
| | | कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है |
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3679 | 35 | 19 | وما يستوي الأعمى والبصير |
| | | अंधा और आँखोंवाला बराबर नहीं, |
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3680 | 35 | 20 | ولا الظلمات ولا النور |
| | | और न अँधेरे और प्रकाश, |
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3681 | 35 | 21 | ولا الظل ولا الحرور |
| | | और न छाया और धूप |
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