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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3658 | 34 | 52 | وقالوا آمنا به وأنى لهم التناوش من مكان بعيد |
| | | और आस ही पास से (बाआसानी) गिरफ्तार कर लिए जाएँगे और (उस वक्त बेबसी में) कहेंगे कि अब हम रसूलों पर ईमान लाए और इतनी दूर दराज़ जगह से (ईमान पर) उनका दसतरस (पहुँचना) कहाँ मुमकिन है |
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3659 | 34 | 53 | وقد كفروا به من قبل ويقذفون بالغيب من مكان بعيد |
| | | हालॉकि ये लोग उससे पहले ही जब उनका दसतरस था इन्कार कर चुके और (दुनिया में तमाम उम्र) बे देखे भाले (अटकल के) तके बड़ी-बड़ी दूर से चलाते रहे |
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3660 | 34 | 54 | وحيل بينهم وبين ما يشتهون كما فعل بأشياعهم من قبل إنهم كانوا في شك مريب |
| | | और अब तो उनके और उनकी तमन्नाओं के दरमियान (उसी तरह) पर्दा डाल दिया गया है जिस तरह उनसे पहले उनके हमरंग लोगों के साथ (यही बरताव) किया जा चुका इसमें शक नहीं कि वह लोग बड़े बेचैन करने वाले शक में पड़े हुए थे |
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3661 | 35 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الحمد لله فاطر السماوات والأرض جاعل الملائكة رسلا أولي أجنحة مثنى وثلاث ورباع يزيد في الخلق ما يشاء إن الله على كل شيء قدير |
| | | हर तरह की तारीफ खुदा ही के लिए (मख़सूस) है जो सारे आसमान और ज़मीन का पैदा करने वाला फरिश्तों का (अपना) क़ासिद बनाने वाला है जिनके दो-दो और तीन-तीन और चार-चार पर होते हैं (मख़लूक़ात की) पैदाइश में जो (मुनासिब) चाहता है बढ़ा देता है बेशक खुदा हर चीज़ पर क़ादिर (व तवाना है) |
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3662 | 35 | 2 | ما يفتح الله للناس من رحمة فلا ممسك لها وما يمسك فلا مرسل له من بعده وهو العزيز الحكيم |
| | | लोगों के वास्ते जब (अपनी) रहमत (के दरवाजे) ख़ोल दे तो कोई उसे जारी नहीं कर सकता और जिस चीज़ को रोक ले उसके बाद उसे कोई रोक नहीं सकता और वही हर चीज़ पर ग़ालिब और दाना व बीना हकीम है |
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3663 | 35 | 3 | يا أيها الناس اذكروا نعمت الله عليكم هل من خالق غير الله يرزقكم من السماء والأرض لا إله إلا هو فأنى تؤفكون |
| | | लोगों खुदा के एहसानात को जो उसने तुम पर किए हैं याद करो क्या खुदा के सिवा कोई और ख़ालिक है जो आसमान और ज़मीन से तुम्हारी रोज़ी पहुँचाता है उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं फिर तुम किधर बहके चले जा रहे हो |
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3664 | 35 | 4 | وإن يكذبوك فقد كذبت رسل من قبلك وإلى الله ترجع الأمور |
| | | और (ऐ रसूल) अगर ये लोग तुम्हें झुठलाएँ तो (कुढ़ो नहीं) तुमसे पहले बहुतेरे पैग़म्बर (लोगों के हाथों) झुठलाए जा चुके हैं और (आख़िर) कुल उमूर की रूजू तो खुदा ही की तरफ है |
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3665 | 35 | 5 | يا أيها الناس إن وعد الله حق فلا تغرنكم الحياة الدنيا ولا يغرنكم بالله الغرور |
| | | लोगों खुदा का (क़यामत का) वायदा यक़ीनी बिल्कुल सच्चा है तो (कहीं) तुम्हें दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी फ़रेब में न लाए (ऐसा न हो कि शैतान) तुम्हें खुदा के बारे में धोखा दे |
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3666 | 35 | 6 | إن الشيطان لكم عدو فاتخذوه عدوا إنما يدعو حزبه ليكونوا من أصحاب السعير |
| | | बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे अपना दुशमन बनाए रहो वह तो अपने गिरोह को बस इसलिए बुलाता है कि वह लोग (सब के सब) जहन्नुमी बन जाएँ |
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3667 | 35 | 7 | الذين كفروا لهم عذاب شديد والذين آمنوا وعملوا الصالحات لهم مغفرة وأجر كبير |
| | | जिन लोगों ने (दुनिया में) कुफ्र इख़तेयार किया उनके लिए (आखेरत में) सख्त अज़ाब है और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए उनके लिए (गुनाहों की) मग़फेरत और निहायत अच्छा बदला (बेहश्त) है |
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