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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3648 | 34 | 42 | فاليوم لا يملك بعضكم لبعض نفعا ولا ضرا ونقول للذين ظلموا ذوقوا عذاب النار التي كنتم بها تكذبون |
| | | "अतः आज न तो तुम परस्पर एक-दूसरे के लाभ का अधिकार रखते हो और न हानि का।" और हम उन ज़ालिमों से कहेंगे, "अब उस आग की यातना का मज़ा चखो, जिसे तुम झुठलाते रहे हो।" |
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3649 | 34 | 43 | وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قالوا ما هذا إلا رجل يريد أن يصدكم عما كان يعبد آباؤكم وقالوا ما هذا إلا إفك مفترى وقال الذين كفروا للحق لما جاءهم إن هذا إلا سحر مبين |
| | | उन्हें जब हमारी स्पष्ट़ आयतें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे कहते है, "यह तो बस ऐसा व्यक्ति है जो चाहता है कि तुम्हें उनसे रोक दें जिनको तुम्हारे बाप-दादा पूजते रहे है।" और कहते है, "यह तो एक घड़ा हुआ झूठ है।" जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आया, कह दिया, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है।" |
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3650 | 34 | 44 | وما آتيناهم من كتب يدرسونها وما أرسلنا إليهم قبلك من نذير |
| | | हमने उन्हें न तो किताबे दी थीं, जिनको वे पढ़ते हों और न तुमसे पहले उनकी ओर कोई सावधान करनेवाला ही भेजा था |
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3651 | 34 | 45 | وكذب الذين من قبلهم وما بلغوا معشار ما آتيناهم فكذبوا رسلي فكيف كان نكير |
| | | और झूठलाया उन लोगों ने भी जो उनसे पहले थे। और जो कुछ हमने उन्हें दिया था ये तो उसके दसवें भाग को भी नहीं पहुँचे है। तो उन्होंने मेरे रसूलों को झुठलाया। तो फिर कैसी रही मेरी यातना! |
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3652 | 34 | 46 | قل إنما أعظكم بواحدة أن تقوموا لله مثنى وفرادى ثم تتفكروا ما بصاحبكم من جنة إن هو إلا نذير لكم بين يدي عذاب شديد |
| | | कहो, "मैं तुम्हें बस एक बात की नसीहत करता हूँ कि अल्लाह के लिए दो-दो औऱ एक-एक करके उठ रखे हो; फिर विचार करो। तुम्हारे साथी को कोई उन्माद नहीं है। वह तो एक कठोर यातना से पहले तुम्हें सचेत करनेवाला ही है।" |
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3653 | 34 | 47 | قل ما سألتكم من أجر فهو لكم إن أجري إلا على الله وهو على كل شيء شهيد |
| | | कहो, "मैं तुमसे कोई बदला नहीं माँगता वह तुम्हें ही मुबारक हो। मेरा बदला तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है और वह हर चीज का साक्षी है।" |
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3654 | 34 | 48 | قل إن ربي يقذف بالحق علام الغيوب |
| | | कहो, "निश्चय ही मेरा रब सत्य को असत्य पर ग़ालिब करता है। वह परोक्ष की बातें भली-भाँथि जानता है।" |
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3655 | 34 | 49 | قل جاء الحق وما يبدئ الباطل وما يعيد |
| | | कह दो, "सत्य आ गया (असत्य मिट गया) और असत्य न तो आरम्भ करता है और न पुनरावृत्ति ही।" |
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3656 | 34 | 50 | قل إن ضللت فإنما أضل على نفسي وإن اهتديت فبما يوحي إلي ربي إنه سميع قريب |
| | | कहो, "यदि मैं पथभ्रष्ट॥ हो जाऊँ तो पथभ्रष्ट होकर मैं अपना ही बुरा करूँगा, और यदि मैं सीधे मार्ग पर हूँ, तो इसका कारण वह प्रकाशना है जो मेरा रब मेरी ओर करता है। निस्संदेह वह सब कुछ सुनता है, निकट है।" |
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3657 | 34 | 51 | ولو ترى إذ فزعوا فلا فوت وأخذوا من مكان قريب |
| | | और यदि तुम देख लेते जब वे घबराए हुए होंगे; फिर बचकर भाग न सकेंगे और निकट स्थान ही से पकड़ लिए जाएँगे |
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