بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
36483442فاليوم لا يملك بعضكم لبعض نفعا ولا ضرا ونقول للذين ظلموا ذوقوا عذاب النار التي كنتم بها تكذبون
"अतः आज न तो तुम परस्पर एक-दूसरे के लाभ का अधिकार रखते हो और न हानि का।" और हम उन ज़ालिमों से कहेंगे, "अब उस आग की यातना का मज़ा चखो, जिसे तुम झुठलाते रहे हो।"
36493443وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قالوا ما هذا إلا رجل يريد أن يصدكم عما كان يعبد آباؤكم وقالوا ما هذا إلا إفك مفترى وقال الذين كفروا للحق لما جاءهم إن هذا إلا سحر مبين
उन्हें जब हमारी स्पष्ट़ आयतें पढ़कर सुनाई जाती है तो वे कहते है, "यह तो बस ऐसा व्यक्ति है जो चाहता है कि तुम्हें उनसे रोक दें जिनको तुम्हारे बाप-दादा पूजते रहे है।" और कहते है, "यह तो एक घड़ा हुआ झूठ है।" जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने सत्य के विषय में, जबकि वह उनके पास आया, कह दिया, "यह तो बस एक प्रत्यक्ष जादू है।"
36503444وما آتيناهم من كتب يدرسونها وما أرسلنا إليهم قبلك من نذير
हमने उन्हें न तो किताबे दी थीं, जिनको वे पढ़ते हों और न तुमसे पहले उनकी ओर कोई सावधान करनेवाला ही भेजा था
36513445وكذب الذين من قبلهم وما بلغوا معشار ما آتيناهم فكذبوا رسلي فكيف كان نكير
और झूठलाया उन लोगों ने भी जो उनसे पहले थे। और जो कुछ हमने उन्हें दिया था ये तो उसके दसवें भाग को भी नहीं पहुँचे है। तो उन्होंने मेरे रसूलों को झुठलाया। तो फिर कैसी रही मेरी यातना!
36523446قل إنما أعظكم بواحدة أن تقوموا لله مثنى وفرادى ثم تتفكروا ما بصاحبكم من جنة إن هو إلا نذير لكم بين يدي عذاب شديد
कहो, "मैं तुम्हें बस एक बात की नसीहत करता हूँ कि अल्लाह के लिए दो-दो औऱ एक-एक करके उठ रखे हो; फिर विचार करो। तुम्हारे साथी को कोई उन्माद नहीं है। वह तो एक कठोर यातना से पहले तुम्हें सचेत करनेवाला ही है।"
36533447قل ما سألتكم من أجر فهو لكم إن أجري إلا على الله وهو على كل شيء شهيد
कहो, "मैं तुमसे कोई बदला नहीं माँगता वह तुम्हें ही मुबारक हो। मेरा बदला तो बस अल्लाह के ज़िम्मे है और वह हर चीज का साक्षी है।"
36543448قل إن ربي يقذف بالحق علام الغيوب
कहो, "निश्चय ही मेरा रब सत्य को असत्य पर ग़ालिब करता है। वह परोक्ष की बातें भली-भाँथि जानता है।"
36553449قل جاء الحق وما يبدئ الباطل وما يعيد
कह दो, "सत्य आ गया (असत्य मिट गया) और असत्य न तो आरम्भ करता है और न पुनरावृत्ति ही।"
36563450قل إن ضللت فإنما أضل على نفسي وإن اهتديت فبما يوحي إلي ربي إنه سميع قريب
कहो, "यदि मैं पथभ्रष्ट॥ हो जाऊँ तो पथभ्रष्ट होकर मैं अपना ही बुरा करूँगा, और यदि मैं सीधे मार्ग पर हूँ, तो इसका कारण वह प्रकाशना है जो मेरा रब मेरी ओर करता है। निस्संदेह वह सब कुछ सुनता है, निकट है।"
36573451ولو ترى إذ فزعوا فلا فوت وأخذوا من مكان قريب
और यदि तुम देख लेते जब वे घबराए हुए होंगे; फिर बचकर भाग न सकेंगे और निकट स्थान ही से पकड़ लिए जाएँगे


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