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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3643 | 34 | 37 | وما أموالكم ولا أولادكم بالتي تقربكم عندنا زلفى إلا من آمن وعمل صالحا فأولئك لهم جزاء الضعف بما عملوا وهم في الغرفات آمنون |
| | | और (याद रखो) तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद की ये हस्ती नहीं कि तुम को हमारी बारगाह में मुक़र्रिब बना दें मगर (हाँ) जिसने ईमान कुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए उन लोगों के लिए तो उनकी कारगुज़ारियों की दोहरी जज़ा है और वह लोग (बेहश्त के) झरोखों में इत्मेनान से रहेंगे |
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3644 | 34 | 38 | والذين يسعون في آياتنا معاجزين أولئك في العذاب محضرون |
| | | और जो लोग हमारी आयतों (की तोड़) में मुक़ाबले की नीयत से दौड़ द्दूप करते हैं वही लोग (जहन्नुम के) अज़ाब में झोक दिए जाएॅगे |
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3645 | 34 | 39 | قل إن ربي يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر له وما أنفقتم من شيء فهو يخلفه وهو خير الرازقين |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरा परवरदिगार अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा कर देता है और (जिसके लिए चाहता है) तंग कर देता है और जो कुछ भी तुम लोग (उसकी राह में) ख़र्च करते हो वह उसका ऐवज देगा और वह तो सबसे बेहतर रोज़ी देनेवाला है |
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3646 | 34 | 40 | ويوم يحشرهم جميعا ثم يقول للملائكة أهؤلاء إياكم كانوا يعبدون |
| | | और (वह दिन याद करो) जिस दिन सब लोगों को इकट्ठा करेगा फिर फरिश्तों से पूछेगा कि क्या ये लोग तुम्हारी परसतिश करते थे फरिश्ते अर्ज़ करेंगे (बारे इलाहा) तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है |
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3647 | 34 | 41 | قالوا سبحانك أنت ولينا من دونهم بل كانوا يعبدون الجن أكثرهم بهم مؤمنون |
| | | तू ही हमारा मालिक है न ये लोग (ये लोग हमारी नहीं) बल्कि जिन्नात (खबाएस भूत-परेत) की परसतिश करते थे कि उनमें के अक्सर लोग उन्हीं पर ईमान रखते थे |
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3648 | 34 | 42 | فاليوم لا يملك بعضكم لبعض نفعا ولا ضرا ونقول للذين ظلموا ذوقوا عذاب النار التي كنتم بها تكذبون |
| | | तब (खुदा फरमाएगा) आज तो तुममें से कोई न दूसरे के फायदे ही पहुँचाने का इख्तेयार रखता है और न ज़रर का और हम सरकशों से कहेंगे कि (आज) उस अज़ाब के मज़े चखो जिसे तुम (दुनिया में) झुठलाया करते थे |
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3649 | 34 | 43 | وإذا تتلى عليهم آياتنا بينات قالوا ما هذا إلا رجل يريد أن يصدكم عما كان يعبد آباؤكم وقالوا ما هذا إلا إفك مفترى وقال الذين كفروا للحق لما جاءهم إن هذا إلا سحر مبين |
| | | और जब उनके सामने हमारी वाज़ेए व रौशन आयतें पढ़ी जाती थीं तो बाहम कहते थे कि ये (रसूल) भी तो बस (हमारा ही जैसा) आदमी है ये चाहता है कि जिन चीज़ों को तुम्हारे बाप-दादा पूजते थे (उनकी परसतिश) से तुम को रोक दें और कहने लगे कि ये (क़ुरान) तो बस निरा झूठ है और अपने जी का गढ़ा हुआ है और जो लोग काफ़िर हो बैठो जब उनके पास हक़ बात आयी तो उसके बारे में कहने लगे कि ये तो बस खुला हुआ जादू है |
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3650 | 34 | 44 | وما آتيناهم من كتب يدرسونها وما أرسلنا إليهم قبلك من نذير |
| | | और (ऐ रसूल) हमने तो उन लोगों को न (आसमानी) किताबें अता की तुम्हें जिन्हें ये लोग पढ़ते और न तुमसे पहले इन लोगों के पास कोई डरानेवाला (पैग़म्बर) भेजा (उस पर भी उन्होंने क़द्र न की) |
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3651 | 34 | 45 | وكذب الذين من قبلهم وما بلغوا معشار ما آتيناهم فكذبوا رسلي فكيف كان نكير |
| | | और जो लोग उनसे पहले गुज़र गए उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था हालॉकि हमने जितना उन लोगों को दिया था ये लोग (अभी) उसके दसवें हिस्सा को (भी) नहीं पहुँचे उस पर उन लोगों न मेरे (पैग़म्बरों को) झुठलाया था तो तुमने देखा कि मेरा (अज़ाब उन पर) कैसा सख्त हुआ |
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3652 | 34 | 46 | قل إنما أعظكم بواحدة أن تقوموا لله مثنى وفرادى ثم تتفكروا ما بصاحبكم من جنة إن هو إلا نذير لكم بين يدي عذاب شديد |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुमसे नसीहत की बस एक बात कहता हूँ (वह) ये (है) कि तुम लोग बाज़ खुदा के वास्ते एक-एक और दो-दो उठ खड़े हो और अच्छी तरह ग़ौर करो तो (देख लोगे कि) तुम्हारे रफीक़ (मोहम्मद स0) को किसी तरह का जुनून नहीं वह तो बस तुम्हें एक सख्त अज़ाब (क़यामत) के सामने (आने) से डराने वाला है |
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