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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3622 | 34 | 16 | فأعرضوا فأرسلنا عليهم سيل العرم وبدلناهم بجنتيهم جنتين ذواتي أكل خمط وأثل وشيء من سدر قليل |
| | | किन्तु वे ध्यान में न लाए तो हमने उनपर बँध-तोड़ बाढ़ भेज दी और उनके दोनों बाग़ों के बदले में उन्हें दो दूसरे बाग़ दिए, जिनमें कड़वे-कसैले फल और झाड़ थे, और कुछ थोड़ी-सी झड़-बेरियाँ |
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3623 | 34 | 17 | ذلك جزيناهم بما كفروا وهل نجازي إلا الكفور |
| | | यह बदला हमने उन्हें इसलिए दिया कि उन्होंने कृतध्नता दिखाई। ऐसा बदला तो हम कृतध्न लोगों को ही देते है |
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3624 | 34 | 18 | وجعلنا بينهم وبين القرى التي باركنا فيها قرى ظاهرة وقدرنا فيها السير سيروا فيها ليالي وأياما آمنين |
| | | और हमने उनके और उन बस्तियों के बीच जिनमें हमने बरकत रखी थी प्रत्यक्ष बस्तियाँ बसाई और उनमें सफ़र की मंज़िलें ख़ास अंदाज़े पर रखीं, "उनमें रात-दिन निश्चिन्त होकर चलो फिरो!" |
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3625 | 34 | 19 | فقالوا ربنا باعد بين أسفارنا وظلموا أنفسهم فجعلناهم أحاديث ومزقناهم كل ممزق إن في ذلك لآيات لكل صبار شكور |
| | | किन्तु उन्होंने कहा, "ऐ हमारे रब! हमारी यात्राओं में दूरी कर दे।" उन्होंने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। अन्ततः हम उन्हें (अतीत की) कहानियाँ बनाकर रहे, औऱ उन्हें बिल्कुल छिन्न-भिन्न कर डाला। निश्चय ही इसमें निशानियाँ है प्रत्येक बड़े धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए |
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3626 | 34 | 20 | ولقد صدق عليهم إبليس ظنه فاتبعوه إلا فريقا من المؤمنين |
| | | इबलीस ने उनके विषय में अपना गुमान सत्य पाया और ईमानवालो के एक गिरोह के सिवा उन्होंने उसी का अनुसरण किया |
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3627 | 34 | 21 | وما كان له عليهم من سلطان إلا لنعلم من يؤمن بالآخرة ممن هو منها في شك وربك على كل شيء حفيظ |
| | | यद्यपि उसको उनपर कोई ज़ोर और अधिकार प्राप्त न था, किन्तु यह इसलिए कि हम उन लोगों को जो आख़िरत पर ईमान रखते है उन लोगों से अलग जान ले जो उसकी ओर से किसी सन्देह में पड़े हुए है। तुम्हारा रब हर चीज़ का अभिरक्षक है |
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3628 | 34 | 22 | قل ادعوا الذين زعمتم من دون الله لا يملكون مثقال ذرة في السماوات ولا في الأرض وما لهم فيهما من شرك وما له منهم من ظهير |
| | | कह दो, "अल्लाह को छोड़कर जिनका तुम्हें (उपास्य होने का) दावा है, उन्हें पुकार कर देखो। वे न अल्लाह में कणभर चीज़ के मालिक है और न धरती में और न उन दोनों में उनका कोई साझी है और न उनमें से कोई उसका सहायक है।" |
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3629 | 34 | 23 | ولا تنفع الشفاعة عنده إلا لمن أذن له حتى إذا فزع عن قلوبهم قالوا ماذا قال ربكم قالوا الحق وهو العلي الكبير |
| | | और उसके यहाँ कोई सिफ़ारिश काम नहीं आएगी, किन्तु उसी की जिसे उसने (सिफ़ारिश करने की) अनुमति दी हो। यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाएगी, तो वे कहेंगे, "तुम्हारे रब ने क्या कहा?" वे कहेंगे, "सर्वथा सत्य। और वह अत्यन्त उच्च, महान है।" |
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3630 | 34 | 24 | قل من يرزقكم من السماوات والأرض قل الله وإنا أو إياكم لعلى هدى أو في ضلال مبين |
| | | कहो, "कौन तुम्हें आकाशों और धरती में रोज़ी देता है?" कहो, "अल्लाह!" अब अवश्य ही हम है या तुम ही हो मार्ग पर, या खुली गुमराही में |
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3631 | 34 | 25 | قل لا تسألون عما أجرمنا ولا نسأل عما تعملون |
| | | कहो, "जो अपराध हमने किए, उसकी पूछ तुमसे न होगी और न उसकी पूछ हमसे होगी जो तुम कर रहे हो।" |
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