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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3605 | 33 | 72 | إنا عرضنا الأمانة على السماوات والأرض والجبال فأبين أن يحملنها وأشفقن منها وحملها الإنسان إنه كان ظلوما جهولا |
| | | बेशक हमने (रोज़े अज़ल) अपनी अमानत (इताअत इबादत) को सारे आसमान और ज़मीन पहाड़ों के सामने पेश किया तो उन्होंने उसके (बार) उठाने से इन्कार किया और उससे डर गए और आदमी ने उसे (बे ताम्मुल) उठा लिया बेशक इन्सान (अपने हक़ में) बड़ा ज़ालिम (और) नादान है |
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3606 | 33 | 73 | ليعذب الله المنافقين والمنافقات والمشركين والمشركات ويتوب الله على المؤمنين والمؤمنات وكان الله غفورا رحيما |
| | | इसका नतीजा यह हुआ कि खुदा मुनाफिक़ मर्दों और मुनाफिक़ औरतों और मुशरिक मर्दों और मुशरिक औरतों को (उनके किए की) सज़ा देगा और ईमानदार मर्दों और ईमानदार औरतों की (तक़सीर अमानत की) तौबा क़ुबूल फरमाएगा और खुदा तो बड़ा बख़शने वाला मेहरबान है |
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3607 | 34 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الحمد لله الذي له ما في السماوات وما في الأرض وله الحمد في الآخرة وهو الحكيم الخبير |
| | | हर क़िस्म की तारीफ उसी खुदा के लिए (दुनिया में भी) सज़ावार है कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है और आख़ेरत में (भी हर तरफ) उसी की तारीफ है और वही वाक़िफकार हकीम है |
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3608 | 34 | 2 | يعلم ما يلج في الأرض وما يخرج منها وما ينزل من السماء وما يعرج فيها وهو الرحيم الغفور |
| | | (जो) चीज़ें (बीज वग़ैरह) ज़मीन में दाख़िल हुई है और जो चीज़ (दरख्त वग़ैरह) इसमें से निकलती है और जो चीज़ (पानी वग़ैरह) आसामन से नाज़िल होती है और जो चीज़ (नज़ारात फरिश्ते वग़ैरह) उस पर चढ़ती है (सब) को जानता है और वही बड़ा बख्शने वाला है |
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3609 | 34 | 3 | وقال الذين كفروا لا تأتينا الساعة قل بلى وربي لتأتينكم عالم الغيب لا يعزب عنه مثقال ذرة في السماوات ولا في الأرض ولا أصغر من ذلك ولا أكبر إلا في كتاب مبين |
| | | और कुफ्फार कहने लगे कि हम पर तो क़यामत आएगी ही नहीं (ऐ रसूल) तुम कह दो हॉ (हॉ) मुझ को अपने उस आलेमुल ग़ैब परवरदिगार की क़सम है जिससे ज़र्रा बराबर (कोई चीज़) न आसमान में छिपी हुई है और न ज़मीन में कि क़यामत ज़रूर आएगी और ज़र्रे से छोटी चीज़ और ज़र्रे से बडी (ग़रज़ जितनी चीज़े हैं सब) वाजेए व रौशन किताब लौहे महफूज़ में महफूज़ हैं |
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3610 | 34 | 4 | ليجزي الذين آمنوا وعملوا الصالحات أولئك لهم مغفرة ورزق كريم |
| | | ताकि जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और (अच्छे) काम किए उनको खुदा जज़ाए खैर दे यही वह लोग हैं जिनके लिए (गुनाहों की) मग़फेरत और (बहुत ही) इज्ज़त की रोज़ी है |
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3611 | 34 | 5 | والذين سعوا في آياتنا معاجزين أولئك لهم عذاب من رجز أليم |
| | | और जिन लोगों ने हमारी आयतों (के तोड़) में मुक़ाबिले की दौड़-धूप की उन ही के लिए दर्दनाक अज़ाब की सज़ा होगी |
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3612 | 34 | 6 | ويرى الذين أوتوا العلم الذي أنزل إليك من ربك هو الحق ويهدي إلى صراط العزيز الحميد |
| | | और (ऐ रसूल) जिन लोगों को (हमारी बारगाह से) इल्म अता किया गया है वह जानते हैं कि जो (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल हुआ है बिल्कुल ठीक है और सज़ावार हम्द (व सना) ग़ालिब (खुदा) की राह दिखाता है |
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3613 | 34 | 7 | وقال الذين كفروا هل ندلكم على رجل ينبئكم إذا مزقتم كل ممزق إنكم لفي خلق جديد |
| | | और कुफ्फ़ार (मसख़रेपन से बाहम) कहते हैं कि कहो तो हम तुम्हें ऐसा आदमी (मोहम्मद) बता दें जो तुम से बयान करेगा कि जब तुम (मर कर सड़ ग़ल जाओगे और) बिल्कुल रेज़ा रेज़ा हो जाओगे तो तुम यक़ीनन एक नए जिस्म में आओगे |
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3614 | 34 | 8 | أفترى على الله كذبا أم به جنة بل الذين لا يؤمنون بالآخرة في العذاب والضلال البعيد |
| | | क्या उस शख्स (मोहम्मद) ने खुदा पर झूठ तूफान बाँधा है या उसे जुनून (हो गया) है (न मोहम्मद झूठा है न उसे जुनून है) बल्कि खुद वह लोग जो आख़ेरत पर ईमान नहीं रखते अज़ाब और पहले दरजे की गुमराही में पड़े हुए हैं |
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