بسم الله الرحمن الرحيم

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360367ما كان إبراهيم يهوديا ولا نصرانيا ولكن كان حنيفا مسلما وما كان من المشركين
इबराहीम न तो यहूदी थे और न नसरानी बल्कि निरे खरे हक़ पर थे (और) फ़रमाबरदार (बन्दे) थे और मुशरिकों से भी न थे
361368إن أولى الناس بإبراهيم للذين اتبعوه وهذا النبي والذين آمنوا والله ولي المؤمنين
इबराहीम से ज्यादा ख़ुसूसियत तो उन लोगों को थी जो ख़ास उनकी पैरवी करते थे और उस पैग़म्बर और ईमानदारों को (भी) है और मोमिनीन का ख़ुदा मालिक है
362369ودت طائفة من أهل الكتاب لو يضلونكم وما يضلون إلا أنفسهم وما يشعرون
(मुसलमानो) अहले किताब से एक गिरोह ने बहुत चाहा कि किसी तरह तुमको राहेरास्त से भटका दे हालॉकि वह (अपनी तदबीरों से तुमको तो नहीं मगर) अपने ही को भटकाते हैं
363370يا أهل الكتاب لم تكفرون بآيات الله وأنتم تشهدون
और उसको समझते (भी) नहीं ऐ अहले किताब तुम ख़ुदा की आयतों से क्यों इन्कार करते हो, हालॉकि तुम ख़ुद गवाह बन सकते हो
364371يا أهل الكتاب لم تلبسون الحق بالباطل وتكتمون الحق وأنتم تعلمون
ऐ अहले किताब तुम क्यो हक़ व बातिल को गड़बड़ करते और हक़ को छुपाते हो हालॉकि तुम जानते हो
365372وقالت طائفة من أهل الكتاب آمنوا بالذي أنزل على الذين آمنوا وجه النهار واكفروا آخره لعلهم يرجعون
और अहले किताब से एक गिरोह ने (अपने लोगों से) कहा कि मुसलमानों पर जो किताब नाज़िल हुईहै उसपर सुबह सवेरे ईमान लाओ और आख़िर वक्त ऌन्कार कर दिया करो शायद मुसलमान (इसी तदबीर से अपने दीन से) फिर जाए
366373ولا تؤمنوا إلا لمن تبع دينكم قل إن الهدى هدى الله أن يؤتى أحد مثل ما أوتيتم أو يحاجوكم عند ربكم قل إن الفضل بيد الله يؤتيه من يشاء والله واسع عليم
और तुम्हारे दीन की पैरवरी करे उसके सिवा किसी दूसरे की बात का ऐतबार न करो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि बस ख़ुदा ही की हिदायत तो हिदायत है (यहूदी बाहम ये भी कहते हैं कि) उसको भी न (मानना) कि जैसा (उम्दा दीन) तुमको दिया गया है, वैसा किसी और को दिया जाय या तुमसे कोई शख्स ख़ुदा के यहॉ झगड़ा करे (ऐ रसूल तुम उनसे) कह दो कि (ये क्या ग़लत ख्याल है) फ़ज़ल (व करम) ख़ुदा के हाथ में है वह जिसको चाहे दे और ख़ुदा बड़ी गुन्जाईश वाला है (और हर शै को)े जानता है
367374يختص برحمته من يشاء والله ذو الفضل العظيم
जिसको चाहे अपनी रहमत के लिये ख़ास कर लेता है और ख़ुदा बड़ा फ़ज़लों करम वाला हे
368375ومن أهل الكتاب من إن تأمنه بقنطار يؤده إليك ومنهم من إن تأمنه بدينار لا يؤده إليك إلا ما دمت عليه قائما ذلك بأنهم قالوا ليس علينا في الأميين سبيل ويقولون على الله الكذب وهم يعلمون
और अहले किताब कुछ ऐसे भी हैं कि अगर उनके पास रूपए की ढेर अमानत रख दो तो भी उसे (जब चाहो) वैसे ही तुम्हारे हवाले कर देंगे और बाज़ ऐसे हें कि अगर एक अशर्फ़ी भी अमानत रखो तो जब तक तुम बराबर (उनके सर) पर खड़े न रहोगे तुम्हें वापस न देंगे ये (बदमुआम लगी) इस वजह से है कि उन का तो ये क़ौल है कि (अरब के) जाहिलो (का हक़ मार लेने) में हम पर कोई इल्ज़ाम की राह ही नहीं और जान बूझ कर खुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते हैं
369376بلى من أوفى بعهده واتقى فإن الله يحب المتقين
हाँ (अलबत्ता) जो शख्स अपने एहद को पूरा करे और परहेज़गारी इख्तेयार करे तो बेशक ख़ुदा परहेज़गारों को दोस्त रखता है


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