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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3589 | 33 | 56 | إن الله وملائكته يصلون على النبي يا أيها الذين آمنوا صلوا عليه وسلموا تسليما |
| | | इसमें भी शक नहीं कि खुदा और उसके फरिश्ते पैग़म्बर (और उनकी आल) पर दुरूद भेजते हैं तो ऐ ईमानदारों तुम भी दुरूद भेजते रहो और बराबर सलाम करते रहो |
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3590 | 33 | 57 | إن الذين يؤذون الله ورسوله لعنهم الله في الدنيا والآخرة وأعد لهم عذابا مهينا |
| | | बेशक जो लोग खुदा को और उसके रसूल को अज़ीयत देते हैं उन पर खुदा ने दुनिया और आखेरत (दोनों) में लानत की है और उनके लिए रूसवाई का अज़ाब तैयार कर रखा है |
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3591 | 33 | 58 | والذين يؤذون المؤمنين والمؤمنات بغير ما اكتسبوا فقد احتملوا بهتانا وإثما مبينا |
| | | और जो लोग ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतों को बगैर कुछ किए द्दरे (तोहमत देकर) अज़ीयत देते हैं तो वह एक बोहतान और सरीह गुनाह का बोझ (अपनी गर्दन पर) उठाते हैं |
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3592 | 33 | 59 | يا أيها النبي قل لأزواجك وبناتك ونساء المؤمنين يدنين عليهن من جلابيبهن ذلك أدنى أن يعرفن فلا يؤذين وكان الله غفورا رحيما |
| | | ऐ नबी अपनी बीवियों और अपनी लड़कियों और मोमिनीन की औरतों से कह दो कि (बाहर निकलते वक्त) अपने (चेहरों और गर्दनों) पर अपनी चादरों का घूंघट लटका लिया करें ये उनकी (शराफ़त की) पहचान के वास्ते बहुत मुनासिब है तो उन्हें कोई छेड़ेगा नहीं और खुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |
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3593 | 33 | 60 | لئن لم ينته المنافقون والذين في قلوبهم مرض والمرجفون في المدينة لنغرينك بهم ثم لا يجاورونك فيها إلا قليلا |
| | | ऐ रसूल मुनाफेक़ीन और वह लोग जिनके दिलों में (कुफ़्र का) मर्ज़ है और जो लोग मदीने में बुरी ख़बरें उड़ाया करते हैं- अगर ये लोग (अपनी शरारतों से) बाज़ न आएंगें तो हम तुम ही को (एक न एक दिन) उन पर मुसल्लत कर देगें फिर वह तुम्हारे पड़ोस में चन्द रोज़ों के सिवा ठहरने (ही) न पाएँगे |
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3594 | 33 | 61 | ملعونين أينما ثقفوا أخذوا وقتلوا تقتيلا |
| | | लानत के मारे जहाँ कहीं हत्थे चढ़े पकड़े गए और फिर बुरी तरह मार डाले गए |
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3595 | 33 | 62 | سنة الله في الذين خلوا من قبل ولن تجد لسنة الله تبديلا |
| | | जो लोग पहले गुज़र गए उनके बारे में (भी) खुदा की (यही) आदत (जारी) रही और तुम खुदा की आदत में हरगिज़ तग़य्युर तबद्दुल न पाओगे |
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3596 | 33 | 63 | يسألك الناس عن الساعة قل إنما علمها عند الله وما يدريك لعل الساعة تكون قريبا |
| | | (ऐ रसूल) लोग तुमसे क़यामत के बारे में पूछा करते हैं (तुम उनसे) कह दो कि उसका इल्म तो बस खुदा को है और तुम क्या जानो शायद क़यामत क़रीब ही हो |
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3597 | 33 | 64 | إن الله لعن الكافرين وأعد لهم سعيرا |
| | | ख़ुदा ने क़ाफिरों पर यक़ीनन लानत की है और उनके लिए जहन्नुम को तैयार कर रखा है |
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3598 | 33 | 65 | خالدين فيها أبدا لا يجدون وليا ولا نصيرا |
| | | जिसमें वह हमेशा अबदल आबाद रहेंगे न किसी को अपना सरपरस्त पाएँगे न मद्दगार |
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