نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3576 | 33 | 43 | هو الذي يصلي عليكم وملائكته ليخرجكم من الظلمات إلى النور وكان بالمؤمنين رحيما |
| | | वही है जो तुमपर रहमत भेजता है और उसके फ़रिश्ते भी (दुआएँ करते है) - ताकि वह तुम्हें अँधरों से प्रकाश की ओर निकाल लाए। वास्तव में, वह ईमानवालों पर बहुत दयालु है |
|
3577 | 33 | 44 | تحيتهم يوم يلقونه سلام وأعد لهم أجرا كريما |
| | | जिस दिन वे उससे मिलेंगे उनका अभिवादन होगा, सलाम और उनके लिए प्रतिष्ठामय प्रदान तैयार कर रखा है |
|
3578 | 33 | 45 | يا أيها النبي إنا أرسلناك شاهدا ومبشرا ونذيرا |
| | | ऐ नबी! हमने तुमको साक्षी और शुभ सूचना देनेवाला और सचेल करनेवाला बनाकर भेजा है; |
|
3579 | 33 | 46 | وداعيا إلى الله بإذنه وسراجا منيرا |
| | | और अल्लाह की अनुज्ञा से उसकी ओर बुलानेवाला और प्रकाशमान प्रदीप बनाकर |
|
3580 | 33 | 47 | وبشر المؤمنين بأن لهم من الله فضلا كبيرا |
| | | ईमानवालों को शुभ सूचना दे दो कि उनके लिए अल्लाह को ओर से बहुत बड़ा उदार अनुग्रह है |
|
3581 | 33 | 48 | ولا تطع الكافرين والمنافقين ودع أذاهم وتوكل على الله وكفى بالله وكيلا |
| | | और इनकार करनेवालों और कपटाचारियों के कहने में न आना। उनकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ का ख़याल न करो। और अल्लाह पर भरोसा रखो। अल्लाह इसके लिए काफ़ी है कि अपने मामले में उसपर भरोसा किया जाए |
|
3582 | 33 | 49 | يا أيها الذين آمنوا إذا نكحتم المؤمنات ثم طلقتموهن من قبل أن تمسوهن فما لكم عليهن من عدة تعتدونها فمتعوهن وسرحوهن سراحا جميلا |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम ईमान लानेवाली स्त्रियों से विवाह करो और फिर उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो तो तुम्हारे लिए उनपर कोई इद्दत नहीं, जिसकी तुम गिनती करो। अतः उन्हें कुछ सामान दे दो और भली रीति से विदा कर दो |
|
3583 | 33 | 50 | يا أيها النبي إنا أحللنا لك أزواجك اللاتي آتيت أجورهن وما ملكت يمينك مما أفاء الله عليك وبنات عمك وبنات عماتك وبنات خالك وبنات خالاتك اللاتي هاجرن معك وامرأة مؤمنة إن وهبت نفسها للنبي إن أراد النبي أن يستنكحها خالصة لك من دون المؤمنين قد علمنا ما فرضنا عليهم في أزواجهم وما ملكت أيمانهم لكيلا يكون عليك حرج وكان الله غفورا رحيما |
| | | ऐ नबी! हमने तुम्हारे लिए तुम्हारी वे पत्नियों वैध कर दी है जिनके मह्रक तुम दे चुके हो, और उन स्त्रियों को भी जो तुम्हारी मिल्कियत में आई, जिन्हें अल्लाह ने ग़नीमत के रूप में तुम्हें दी और तुम्हारी चचा की बेटियाँ और तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ और तुम्हारे मामुओं की बेटियाँ और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की है और वह ईमानवाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए दे दे, यदि नबी उससे विवाह करना चाहे। ईमानवालों से हटकर यह केवल तुम्हारे ही लिए है, हमें मालूम है जो कुछ हमने उनकी पत्ऩियों और उनकी लौड़ियों के बारे में उनपर अनिवार्य किया है - ताकि तुमपर कोई तंगी न रहे। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है |
|
3584 | 33 | 51 | ترجي من تشاء منهن وتؤوي إليك من تشاء ومن ابتغيت ممن عزلت فلا جناح عليك ذلك أدنى أن تقر أعينهن ولا يحزن ويرضين بما آتيتهن كلهن والله يعلم ما في قلوبكم وكان الله عليما حليما |
| | | तुम उनमें से जिसे चाहो अपने से अलग रखो और जिसे चाहो अपने पास रखो, और जिनको तुमने अलग रखा हो, उनमें से किसी के इच्छुक हो तो इसमें तुमपर कोई दोष नहीं, इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि उनकी आँखें ठंड़ी रहें और वे शोकाकुल न हों और जो कुछ तुम उन्हें दो उसपर वे राज़ी रहें। अल्लाह जानता है जो कुछ तुम्हारे दिलों में है। अल्लाह सर्वज्ञ, बहुत सहनशील है |
|
3585 | 33 | 52 | لا يحل لك النساء من بعد ولا أن تبدل بهن من أزواج ولو أعجبك حسنهن إلا ما ملكت يمينك وكان الله على كل شيء رقيبا |
| | | इसके पश्चात तुम्हारे लिए दूसरी स्त्रियाँ वैध नहीं और न यह कि तुम उनकी जगह दूसरी पत्नियों ले आओ, यद्यपि उनका सौन्दर्य तुम्हें कितना ही भाए। उनकी बात औऱ है जो तुम्हारी लौंडियाँ हो। वास्तव में अल्लाह की स्पष्ट हर चीज़ पर है |
|