نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3537 | 33 | 4 | ما جعل الله لرجل من قلبين في جوفه وما جعل أزواجكم اللائي تظاهرون منهن أمهاتكم وما جعل أدعياءكم أبناءكم ذلكم قولكم بأفواهكم والله يقول الحق وهو يهدي السبيل |
| | | अल्लाह ने किसी व्यक्ति के सीने में दो दिल नहीं रखे। और न उसने तुम्हारी उन पत्ऩियों को जिनसे तुम ज़िहार कर बैठते हो, वास्तव में तुम्हारी माँ बनाया, और न उसने तुम्हारे मुँह बोले बेटों को तुम्हारे वास्तविक बेटे बनाए। ये तो तुम्हारे मुँह की बातें है। किन्तु अल्लाह सच्ची बात कहता है और वही मार्ग दिखाता है |
|
3538 | 33 | 5 | ادعوهم لآبائهم هو أقسط عند الله فإن لم تعلموا آباءهم فإخوانكم في الدين ومواليكم وليس عليكم جناح فيما أخطأتم به ولكن ما تعمدت قلوبكم وكان الله غفورا رحيما |
| | | उन्हें उनके बापों का बेटा करकर पुकारो। अल्लाह के यहाँ यही अधिक न्यायसंगत बात है। और यदि तुम उनके बापों को न जानते हो, तो धर्म में वे तुम्हारे भाई तो है ही और तुम्हारे सहचर भी। इस सिलसिले में तुमसे जो ग़लती हुई हो उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं, किन्तु जिसका संकल्प तुम्हारे दिलों ने कर लिया, उसकी बात और है। वास्तव में अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
|
3539 | 33 | 6 | النبي أولى بالمؤمنين من أنفسهم وأزواجه أمهاتهم وأولو الأرحام بعضهم أولى ببعض في كتاب الله من المؤمنين والمهاجرين إلا أن تفعلوا إلى أوليائكم معروفا كان ذلك في الكتاب مسطورا |
| | | नबी का हक़ ईमानवालों पर स्वयं उनके अपने प्राणों से बढ़कर है। और उसकी पत्नियों उनकी माएँ है। और अल्लाह के विधान के अनुसार सामान्य मोमिनों और मुहाजिरों की अपेक्षा नातेदार आपस में एक-दूसरे से अधिक निकट है। यह और बात है कि तुम अपने साथियों के साथ कोई भलाई करो। यह बात किताब में लिखी हुई है |
|
3540 | 33 | 7 | وإذ أخذنا من النبيين ميثاقهم ومنك ومن نوح وإبراهيم وموسى وعيسى ابن مريم وأخذنا منهم ميثاقا غليظا |
| | | और याद करो जब हमने नबियों से वचन लिया, तुमसे भी और नूह और इबराहीम और मूसा और मरयम के बेटे ईसा से भी। इन सबसे हमने ढृढ़ वचन लिया, |
|
3541 | 33 | 8 | ليسأل الصادقين عن صدقهم وأعد للكافرين عذابا أليما |
| | | ताकि वह सच्चे लोगों से उनकी सच्चाई के बारे में पूछे। और इनकार करनेवालों के लिए तो उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है |
|
3542 | 33 | 9 | يا أيها الذين آمنوا اذكروا نعمة الله عليكم إذ جاءتكم جنود فأرسلنا عليهم ريحا وجنودا لم تروها وكان الله بما تعملون بصيرا |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह की उस अनुकम्पा को याद करो जो तुमपर हुई; जबकि सेनाएँ तुमपर चढ़ आई तो हमने उनपर एक हवा भेज दी और ऐसी सेनाएँ भी, जिनको तुमने देखा नहीं। और अल्लाह वह सब कुछ देखता है जो तुम करते हो |
|
3543 | 33 | 10 | إذ جاءوكم من فوقكم ومن أسفل منكم وإذ زاغت الأبصار وبلغت القلوب الحناجر وتظنون بالله الظنونا |
| | | याद करो जब वे तुम्हारे ऊपर की ओर से और तुम्हारे नीचे की ओर से भी तुमपर चढ़ आए, और जब निगाहें टेढ़ी-तिरछी हो गई और उर (हृदय) कंठ को आ लगे। और तुम अल्लाह के बारे में तरह-तरह के गुमान करने लगे थे |
|
3544 | 33 | 11 | هنالك ابتلي المؤمنون وزلزلوا زلزالا شديدا |
| | | उस समय ईमानवाले आज़माए गए और पूरी तरह हिला दिए गए |
|
3545 | 33 | 12 | وإذ يقول المنافقون والذين في قلوبهم مرض ما وعدنا الله ورسوله إلا غرورا |
| | | और जब कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है कहने लगे, "अल्लाह और उसके रसूल ने हमसे जो वादा किया था वह तो धोखा मात्र था।" |
|
3546 | 33 | 13 | وإذ قالت طائفة منهم يا أهل يثرب لا مقام لكم فارجعوا ويستأذن فريق منهم النبي يقولون إن بيوتنا عورة وما هي بعورة إن يريدون إلا فرارا |
| | | और जबकि उनमें से एक गिरोह ने कहा, "ऐ यसरिबवालो, तुम्हारे लिए ठहरने का कोई मौक़ा नहीं। अतः लौट चलो।" और उनका एक गिरोह नबी से यह कहकर (वापस जाने की) अनुमति चाह रहा था कि "हमारे घर असुरक्षित है।" यद्यपि वे असुरक्षित न थे। वे तो बस भागना चाहते थे |
|