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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3531 | 32 | 28 | ويقولون متى هذا الفتح إن كنتم صادقين |
| | | वे कहते है कि "यह फ़ैसला कब होगा, यदि तुम सच्चे हो?" |
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3532 | 32 | 29 | قل يوم الفتح لا ينفع الذين كفروا إيمانهم ولا هم ينظرون |
| | | कह दो कि "फ़ैसले के दिन इनकार करनेवालों का ईमान उनके लिए कुछ लाभदायक न होगा और न उन्हें ठील ही दी जाएगी।" |
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3533 | 32 | 30 | فأعرض عنهم وانتظر إنهم منتظرون |
| | | अच्छा, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो और प्रतीक्षा करो। वे भी परीक्षारत है |
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3534 | 33 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم يا أيها النبي اتق الله ولا تطع الكافرين والمنافقين إن الله كان عليما حكيما |
| | | ऐ नबी! अल्लाह का डर रखना और इनकार करनेवालों और कपटाचारियों का कहना न मानना। वास्तब में अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है |
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3535 | 33 | 2 | واتبع ما يوحى إليك من ربك إن الله كان بما تعملون خبيرا |
| | | और अनुकरण करना उस चीज़ का जो तुम्हारे रब की ओर से तुम्हें प्रकाशना की जा रही है। निश्चय ही अल्लाह उसकी ख़बर रखता है जो तुम करते हो |
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3536 | 33 | 3 | وتوكل على الله وكفى بالله وكيلا |
| | | और अल्लाह पर भरोसा रखो। और अल्लाह भरोसे के लिए काफी है |
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3537 | 33 | 4 | ما جعل الله لرجل من قلبين في جوفه وما جعل أزواجكم اللائي تظاهرون منهن أمهاتكم وما جعل أدعياءكم أبناءكم ذلكم قولكم بأفواهكم والله يقول الحق وهو يهدي السبيل |
| | | अल्लाह ने किसी व्यक्ति के सीने में दो दिल नहीं रखे। और न उसने तुम्हारी उन पत्ऩियों को जिनसे तुम ज़िहार कर बैठते हो, वास्तव में तुम्हारी माँ बनाया, और न उसने तुम्हारे मुँह बोले बेटों को तुम्हारे वास्तविक बेटे बनाए। ये तो तुम्हारे मुँह की बातें है। किन्तु अल्लाह सच्ची बात कहता है और वही मार्ग दिखाता है |
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3538 | 33 | 5 | ادعوهم لآبائهم هو أقسط عند الله فإن لم تعلموا آباءهم فإخوانكم في الدين ومواليكم وليس عليكم جناح فيما أخطأتم به ولكن ما تعمدت قلوبكم وكان الله غفورا رحيما |
| | | उन्हें उनके बापों का बेटा करकर पुकारो। अल्लाह के यहाँ यही अधिक न्यायसंगत बात है। और यदि तुम उनके बापों को न जानते हो, तो धर्म में वे तुम्हारे भाई तो है ही और तुम्हारे सहचर भी। इस सिलसिले में तुमसे जो ग़लती हुई हो उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं, किन्तु जिसका संकल्प तुम्हारे दिलों ने कर लिया, उसकी बात और है। वास्तव में अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है |
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3539 | 33 | 6 | النبي أولى بالمؤمنين من أنفسهم وأزواجه أمهاتهم وأولو الأرحام بعضهم أولى ببعض في كتاب الله من المؤمنين والمهاجرين إلا أن تفعلوا إلى أوليائكم معروفا كان ذلك في الكتاب مسطورا |
| | | नबी का हक़ ईमानवालों पर स्वयं उनके अपने प्राणों से बढ़कर है। और उसकी पत्नियों उनकी माएँ है। और अल्लाह के विधान के अनुसार सामान्य मोमिनों और मुहाजिरों की अपेक्षा नातेदार आपस में एक-दूसरे से अधिक निकट है। यह और बात है कि तुम अपने साथियों के साथ कोई भलाई करो। यह बात किताब में लिखी हुई है |
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3540 | 33 | 7 | وإذ أخذنا من النبيين ميثاقهم ومنك ومن نوح وإبراهيم وموسى وعيسى ابن مريم وأخذنا منهم ميثاقا غليظا |
| | | और याद करो जब हमने नबियों से वचन लिया, तुमसे भी और नूह और इबराहीम और मूसा और मरयम के बेटे ईसा से भी। इन सबसे हमने ढृढ़ वचन लिया, |
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