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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3524 | 32 | 21 | ولنذيقنهم من العذاب الأدنى دون العذاب الأكبر لعلهم يرجعون |
| | | और हम यक़ीनी (क़यामत के) बड़े अज़ाब से पहले दुनिया के (मामूली) अज़ाब का मज़ा चखाएँगें जो अनक़रीब होगा ताकि ये लोग अब भी (मेरी तरफ) रुज़ू करें |
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3525 | 32 | 22 | ومن أظلم ممن ذكر بآيات ربه ثم أعرض عنها إنا من المجرمين منتقمون |
| | | और जिस शख़्श को उसके परवरदिगार की आयतें याद दिलायी जाएँ और वह उनसे मुँह फेर उससे बढ़कर और ज़ालिम कौन होगा हम गुनाहगारों से इन्तक़ाम लेगें और ज़रुर लेंगे |
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3526 | 32 | 23 | ولقد آتينا موسى الكتاب فلا تكن في مرية من لقائه وجعلناه هدى لبني إسرائيل |
| | | और (ऐ रसूल) हमने तो मूसा को भी (आसमानी किताब) तौरेत अता की थी तुम भी इस किताब (कुरान) के (अल्लाह की तरफ से) मिलने में शक में न पड़े रहो और हमने इस (तौरेत) तो तुम को भी बनी इसराईल के लिए रहनुमा क़रार दिया था |
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3527 | 32 | 24 | وجعلنا منهم أئمة يهدون بأمرنا لما صبروا وكانوا بآياتنا يوقنون |
| | | और उन्ही (बनी इसराईल) में से हमने कुछ लोगों को चूंकि उन्होंने (मुसीबतों पर) सब्र किया था पेशवा बनाया जो हमारे हुक्म से (लोगो की) हिदायत करते थे और (इसके अलावा) हमारी आयतो का दिल से यक़ीन रखते थे |
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3528 | 32 | 25 | إن ربك هو يفصل بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون |
| | | (ऐ रसूल) हसमें शक़ नहीं कि जिन बातों में लोग (दुनिया में) बाहम झगड़ते रहते हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार क़तई फैसला कर देगा |
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3529 | 32 | 26 | أولم يهد لهم كم أهلكنا من قبلهم من القرون يمشون في مساكنهم إن في ذلك لآيات أفلا يسمعون |
| | | क्या उन लोगों को ये मालूम नहीं कि हमने उनसे पहले कितनी उम्मतों को हलाक कर डाला जिन के घरों में ये लोग चल फिर रहें हैं बेशक उसमे (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं तो क्या ये लोग सुनते नहीं हैं |
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3530 | 32 | 27 | أولم يروا أنا نسوق الماء إلى الأرض الجرز فنخرج به زرعا تأكل منه أنعامهم وأنفسهم أفلا يبصرون |
| | | क्या इन लोगों ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम चटियल मैदान (इफ़तादा) ज़मीन की तरफ पानी को जारी करते हैं फिर उसके ज़रिए से हम घास पात लगाते हैं जिसे उनके जानवर और ये ख़ुद भी खाते हैं तो क्या ये लोग इतना भी नहीं देखते |
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3531 | 32 | 28 | ويقولون متى هذا الفتح إن كنتم صادقين |
| | | और ये लोग कहते है कि अगर तुम लोग सच्चे हो (कि क़यामत आएगी) तो (आख़िर) ये फैसला कब होगा |
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3532 | 32 | 29 | قل يوم الفتح لا ينفع الذين كفروا إيمانهم ولا هم ينظرون |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि फैसले के दिन कुफ्फ़ार को उनका ईमान लाना कुछ काम न आएगा और न उनको (इसकी) मोहलत दी जाएगी |
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3533 | 32 | 30 | فأعرض عنهم وانتظر إنهم منتظرون |
| | | ग़रज़ तुम उनकी बातों का ख्याल छोड़ दो और तुम मुन्तज़िर रहो (आख़िर) वह लोग भी तो इन्तज़ार कर रहे हैं |
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