بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
35243221ولنذيقنهم من العذاب الأدنى دون العذاب الأكبر لعلهم يرجعون
और हम यक़ीनी (क़यामत के) बड़े अज़ाब से पहले दुनिया के (मामूली) अज़ाब का मज़ा चखाएँगें जो अनक़रीब होगा ताकि ये लोग अब भी (मेरी तरफ) रुज़ू करें
35253222ومن أظلم ممن ذكر بآيات ربه ثم أعرض عنها إنا من المجرمين منتقمون
और जिस शख़्श को उसके परवरदिगार की आयतें याद दिलायी जाएँ और वह उनसे मुँह फेर उससे बढ़कर और ज़ालिम कौन होगा हम गुनाहगारों से इन्तक़ाम लेगें और ज़रुर लेंगे
35263223ولقد آتينا موسى الكتاب فلا تكن في مرية من لقائه وجعلناه هدى لبني إسرائيل
और (ऐ रसूल) हमने तो मूसा को भी (आसमानी किताब) तौरेत अता की थी तुम भी इस किताब (कुरान) के (अल्लाह की तरफ से) मिलने में शक में न पड़े रहो और हमने इस (तौरेत) तो तुम को भी बनी इसराईल के लिए रहनुमा क़रार दिया था
35273224وجعلنا منهم أئمة يهدون بأمرنا لما صبروا وكانوا بآياتنا يوقنون
और उन्ही (बनी इसराईल) में से हमने कुछ लोगों को चूंकि उन्होंने (मुसीबतों पर) सब्र किया था पेशवा बनाया जो हमारे हुक्म से (लोगो की) हिदायत करते थे और (इसके अलावा) हमारी आयतो का दिल से यक़ीन रखते थे
35283225إن ربك هو يفصل بينهم يوم القيامة فيما كانوا فيه يختلفون
(ऐ रसूल) हसमें शक़ नहीं कि जिन बातों में लोग (दुनिया में) बाहम झगड़ते रहते हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार क़तई फैसला कर देगा
35293226أولم يهد لهم كم أهلكنا من قبلهم من القرون يمشون في مساكنهم إن في ذلك لآيات أفلا يسمعون
क्या उन लोगों को ये मालूम नहीं कि हमने उनसे पहले कितनी उम्मतों को हलाक कर डाला जिन के घरों में ये लोग चल फिर रहें हैं बेशक उसमे (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं तो क्या ये लोग सुनते नहीं हैं
35303227أولم يروا أنا نسوق الماء إلى الأرض الجرز فنخرج به زرعا تأكل منه أنعامهم وأنفسهم أفلا يبصرون
क्या इन लोगों ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम चटियल मैदान (इफ़तादा) ज़मीन की तरफ पानी को जारी करते हैं फिर उसके ज़रिए से हम घास पात लगाते हैं जिसे उनके जानवर और ये ख़ुद भी खाते हैं तो क्या ये लोग इतना भी नहीं देखते
35313228ويقولون متى هذا الفتح إن كنتم صادقين
और ये लोग कहते है कि अगर तुम लोग सच्चे हो (कि क़यामत आएगी) तो (आख़िर) ये फैसला कब होगा
35323229قل يوم الفتح لا ينفع الذين كفروا إيمانهم ولا هم ينظرون
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि फैसले के दिन कुफ्फ़ार को उनका ईमान लाना कुछ काम न आएगा और न उनको (इसकी) मोहलत दी जाएगी
35333230فأعرض عنهم وانتظر إنهم منتظرون
ग़रज़ तुम उनकी बातों का ख्याल छोड़ दो और तुम मुन्तज़िर रहो (आख़िर) वह लोग भी तो इन्तज़ार कर रहे हैं


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