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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3518 | 32 | 15 | إنما يؤمن بآياتنا الذين إذا ذكروا بها خروا سجدا وسبحوا بحمد ربهم وهم لا يستكبرون |
| | | हमारी आयतों पर जो बस वही लोग ईमान लाते है, जिन्हें उनके द्वारा जब याद दिलाया जाता है तो सजदे में गिर पड़ते है और अपने रब का गुणगान करते है और घमंड नहीं करते |
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3519 | 32 | 16 | تتجافى جنوبهم عن المضاجع يدعون ربهم خوفا وطمعا ومما رزقناهم ينفقون |
| | | उनके पहलू बिस्तरों से अलग रहते है कि वे अपने रब को भय और लालसा के साथ पुकारते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है |
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3520 | 32 | 17 | فلا تعلم نفس ما أخفي لهم من قرة أعين جزاء بما كانوا يعملون |
| | | फिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके बदले में देने के ध्येय से जो वे करते रहे होंगे |
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3521 | 32 | 18 | أفمن كان مؤمنا كمن كان فاسقا لا يستوون |
| | | भला जो व्यक्ति ईमानवाला हो वह उस व्यक्ति जैसा हो सकता है जो अवज्ञाकारी हो? वे बराबर नहीं हो सकते |
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3522 | 32 | 19 | أما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فلهم جنات المأوى نزلا بما كانوا يعملون |
| | | रहे वे लोग जा ईमान लाए और उन्हें अच्छे कर्म किए, उनके लिए जो कर्म वे करते रहे उसके बदले में आतिथ्य स्वरूप रहने के बाग़ है |
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3523 | 32 | 20 | وأما الذين فسقوا فمأواهم النار كلما أرادوا أن يخرجوا منها أعيدوا فيها وقيل لهم ذوقوا عذاب النار الذي كنتم به تكذبون |
| | | रहे वे लोग जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया, उनका ठिकाना आग है। जब कभी भी वे चाहेंगे कि उससे निकल जाएँ तो उसी में लौटा दिए जाएँगे और उनसे कहा जाएगा, "चखो उस आग की यातना का मज़ा, जिसे तुम झूठ समझते थे।" |
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3524 | 32 | 21 | ولنذيقنهم من العذاب الأدنى دون العذاب الأكبر لعلهم يرجعون |
| | | हम बड़ी यातना से इतर उन्हें छोटी यातना का मज़ा चखाएँगे, कदाचित वे पलट आएँ |
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3525 | 32 | 22 | ومن أظلم ممن ذكر بآيات ربه ثم أعرض عنها إنا من المجرمين منتقمون |
| | | और उस व्यक्ति से बढकर अत्याचारी कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा याद दिलाया जाए,फिर वह उनसे मुँह फेर ले? निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेकर रहेंगे |
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3526 | 32 | 23 | ولقد آتينا موسى الكتاب فلا تكن في مرية من لقائه وجعلناه هدى لبني إسرائيل |
| | | हमने मूसा को किताब प्रदान की थी - अतः उसके मिलने के प्रति तुम किसी सन्देह में न रहना और हमने इसराईल की सन्तान के लिए उस (किताब) को मार्गदर्शन बनाया था |
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3527 | 32 | 24 | وجعلنا منهم أئمة يهدون بأمرنا لما صبروا وكانوا بآياتنا يوقنون |
| | | और जब वे जमे रहे और उन्हें हमारी आयतों पर विश्वास था, तो हमने उनमें ऐसे नायक बनाए जो हमारे आदेश से मार्ग दिखाते थे |
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