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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3514 | 32 | 11 | قل يتوفاكم ملك الموت الذي وكل بكم ثم إلى ربكم ترجعون |
| | | कहो, "मृत्यु का फ़रिश्ता जो तुमपर नियुक्त है, वह तुम्हें पूर्ण रूप से अपने क़ब्जे में ले लेता है। फिर तुम अपने रब की ओर वापस होंगे।" |
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3515 | 32 | 12 | ولو ترى إذ المجرمون ناكسو رءوسهم عند ربهم ربنا أبصرنا وسمعنا فارجعنا نعمل صالحا إنا موقنون |
| | | और यदि कहीं तुम देखते जब वे अपराधी अपने रब के सामने अपने सिर झुकाए होंगे कि "हमारे रब! हमने देख लिया और सुन लिया। अब हमें वापस भेज दे, ताकि हम अच्छे कर्म करें। निस्संदेह अब हमें विश्वास हो गया।" |
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3516 | 32 | 13 | ولو شئنا لآتينا كل نفس هداها ولكن حق القول مني لأملأن جهنم من الجنة والناس أجمعين |
| | | यदि हम चाहते तो प्रत्येक व्यक्ति को उसका अपना संमार्ग दिखा देते, तिन्तु मेरी ओर से बात सत्यापित हो चुकी है कि "मैं जहन्नम को जिन्नों और मनुष्यों, सबसे भरकर रहूँगा।" |
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3517 | 32 | 14 | فذوقوا بما نسيتم لقاء يومكم هذا إنا نسيناكم وذوقوا عذاب الخلد بما كنتم تعملون |
| | | अतः अब चखो मज़ा, इसका कि तुमने अपने इस दिन के मिलन को भुलाए रखा। तो हमने भी तुम्हें भुला दिया। शाश्वत यातना का रसास्वादन करो, उसके बदले में जो तुम करते रहे हो |
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3518 | 32 | 15 | إنما يؤمن بآياتنا الذين إذا ذكروا بها خروا سجدا وسبحوا بحمد ربهم وهم لا يستكبرون |
| | | हमारी आयतों पर जो बस वही लोग ईमान लाते है, जिन्हें उनके द्वारा जब याद दिलाया जाता है तो सजदे में गिर पड़ते है और अपने रब का गुणगान करते है और घमंड नहीं करते |
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3519 | 32 | 16 | تتجافى جنوبهم عن المضاجع يدعون ربهم خوفا وطمعا ومما رزقناهم ينفقون |
| | | उनके पहलू बिस्तरों से अलग रहते है कि वे अपने रब को भय और लालसा के साथ पुकारते है, और जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसमें से ख़र्च करते है |
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3520 | 32 | 17 | فلا تعلم نفس ما أخفي لهم من قرة أعين جزاء بما كانوا يعملون |
| | | फिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके बदले में देने के ध्येय से जो वे करते रहे होंगे |
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3521 | 32 | 18 | أفمن كان مؤمنا كمن كان فاسقا لا يستوون |
| | | भला जो व्यक्ति ईमानवाला हो वह उस व्यक्ति जैसा हो सकता है जो अवज्ञाकारी हो? वे बराबर नहीं हो सकते |
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3522 | 32 | 19 | أما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فلهم جنات المأوى نزلا بما كانوا يعملون |
| | | रहे वे लोग जा ईमान लाए और उन्हें अच्छे कर्म किए, उनके लिए जो कर्म वे करते रहे उसके बदले में आतिथ्य स्वरूप रहने के बाग़ है |
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3523 | 32 | 20 | وأما الذين فسقوا فمأواهم النار كلما أرادوا أن يخرجوا منها أعيدوا فيها وقيل لهم ذوقوا عذاب النار الذي كنتم به تكذبون |
| | | रहे वे लोग जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया, उनका ठिकाना आग है। जब कभी भी वे चाहेंगे कि उससे निकल जाएँ तो उसी में लौटा दिए जाएँगे और उनसे कहा जाएगा, "चखो उस आग की यातना का मज़ा, जिसे तुम झूठ समझते थे।" |
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