بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
3508325يدبر الأمر من السماء إلى الأرض ثم يعرج إليه في يوم كان مقداره ألف سنة مما تعدون
वह कार्य की व्यवस्था करता है आकाश से धरती तक - फिर सारे मामले उसी की तरफ़ लौटते है - एक दिन में, जिसकी माप तुम्हारी गणना के अनुसार एक हज़ार वर्ष है
3509326ذلك عالم الغيب والشهادة العزيز الرحيم
वही है परोक्ष और प्रत्यक्ष का जाननेवाला अत्यन्त प्रभुत्वशाली, दयावान है
3510327الذي أحسن كل شيء خلقه وبدأ خلق الإنسان من طين
जिसने हरेक चीज़, जो बनाई ख़ूब ही बनाई और उसने मनुष्य की संरचना का आरम्भ गारे से किया
3511328ثم جعل نسله من سلالة من ماء مهين
फिर उसकी सन्तति एक तुच्छ पानी के सत से चलाई
3512329ثم سواه ونفخ فيه من روحه وجعل لكم السمع والأبصار والأفئدة قليلا ما تشكرون
फिर उसे ठीक-ठीक किया और उसमें अपनी रूह (आत्मा) फूँकी। और तुम्हें कान और आँखें और दिल दिए। तुम आभारी थोड़े ही होते हो
35133210وقالوا أإذا ضللنا في الأرض أإنا لفي خلق جديد بل هم بلقاء ربهم كافرون
और उन्होंने कहा, "जब हम धरती में रल-मिल जाएँगे तो फिर क्या हम वास्तब में नवीन काय में जीवित होंगे?" नहीं, बल्कि उन्हें अपने रब से मिलने का इनकार है
35143211قل يتوفاكم ملك الموت الذي وكل بكم ثم إلى ربكم ترجعون
कहो, "मृत्यु का फ़रिश्ता जो तुमपर नियुक्त है, वह तुम्हें पूर्ण रूप से अपने क़ब्जे में ले लेता है। फिर तुम अपने रब की ओर वापस होंगे।"
35153212ولو ترى إذ المجرمون ناكسو رءوسهم عند ربهم ربنا أبصرنا وسمعنا فارجعنا نعمل صالحا إنا موقنون
और यदि कहीं तुम देखते जब वे अपराधी अपने रब के सामने अपने सिर झुकाए होंगे कि "हमारे रब! हमने देख लिया और सुन लिया। अब हमें वापस भेज दे, ताकि हम अच्छे कर्म करें। निस्संदेह अब हमें विश्वास हो गया।"
35163213ولو شئنا لآتينا كل نفس هداها ولكن حق القول مني لأملأن جهنم من الجنة والناس أجمعين
यदि हम चाहते तो प्रत्येक व्यक्ति को उसका अपना संमार्ग दिखा देते, तिन्तु मेरी ओर से बात सत्यापित हो चुकी है कि "मैं जहन्नम को जिन्नों और मनुष्यों, सबसे भरकर रहूँगा।"
35173214فذوقوا بما نسيتم لقاء يومكم هذا إنا نسيناكم وذوقوا عذاب الخلد بما كنتم تعملون
अतः अब चखो मज़ा, इसका कि तुमने अपने इस दिन के मिलन को भुलाए रखा। तो हमने भी तुम्हें भुला दिया। शाश्वत यातना का रसास्वादन करो, उसके बदले में जो तुम करते रहे हो


0 ... 340.7 341.7 342.7 343.7 344.7 345.7 346.7 347.7 348.7 349.7 351.7 352.7 353.7 354.7 355.7 356.7 357.7 358.7 359.7 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

441132693863438715946114353645348982604