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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
36 | 2 | 29 | هو الذي خلق لكم ما في الأرض جميعا ثم استوى إلى السماء فسواهن سبع سماوات وهو بكل شيء عليم |
| | | वही तो वह (खुदा) है जिसने तुम्हारे (नफ़े) के ज़मीन की कुल चीज़ों को पैदा किया फिर आसमान (के बनाने) की तरफ़ मुतावज्जेह हुआ तो सात आसमान हमवार (व मुसतहकम) बना दिए और वह (खुदा) हर चीज़ से (खूब) वाक़िफ है |
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37 | 2 | 30 | وإذ قال ربك للملائكة إني جاعل في الأرض خليفة قالوا أتجعل فيها من يفسد فيها ويسفك الدماء ونحن نسبح بحمدك ونقدس لك قال إني أعلم ما لا تعلمون |
| | | और (ऐ रसूल) उस वक्त क़ो याद करो जब तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रिश्तों से कहा कि मैं (अपना) एक नाएब ज़मीन में बनानेवाला हूँ (फरिश्ते ताज्जुब से) कहने लगे क्या तू ज़मीन ऐसे शख्स को पैदा करेगा जो ज़मीन में फ़साद और खूँरेज़ियाँ करता फिरे हालाँकि (अगर) ख़लीफा बनाना है (तो हमारा ज्यादा हक़ है) क्योंकि हम तेरी तारीफ व तसबीह करते हैं और तेरी पाकीज़गी साबित करते हैं तब खुदा ने फरमाया इसमें तो शक ही नहीं कि जो मैं जानता हूँ तुम नहीं जानते |
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38 | 2 | 31 | وعلم آدم الأسماء كلها ثم عرضهم على الملائكة فقال أنبئوني بأسماء هؤلاء إن كنتم صادقين |
| | | और (आदम की हक़ीक़म ज़ाहिर करने की ग़रज़ से) आदम को सब चीज़ों के नाम सिखा दिए फिर उनको फरिश्तों के सामने पेश किया और फ़रमाया कि अगर तुम अपने दावे में कि हम मुस्तहके ख़िलाफ़त हैं। सच्चे हो तो मुझे इन चीज़ों के नाम बताओ |
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39 | 2 | 32 | قالوا سبحانك لا علم لنا إلا ما علمتنا إنك أنت العليم الحكيم |
| | | तब फ़रिश्तों ने (आजिज़ी से) अर्ज़ की तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है हम तो जो कुछ तूने बताया है उसके सिवा कुछ नहीं जानते तू बड़ा जानने वाला, मसलहतों का पहचानने वाला है |
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40 | 2 | 33 | قال يا آدم أنبئهم بأسمائهم فلما أنبأهم بأسمائهم قال ألم أقل لكم إني أعلم غيب السماوات والأرض وأعلم ما تبدون وما كنتم تكتمون |
| | | (उस वक्त ख़ुदा ने आदम को) हुक्म दिया कि ऐ आदम तुम इन फ़रिश्तों को उन सब चीज़ों के नाम बता दो बस जब आदम ने फ़रिश्तों को उन चीज़ों के नाम बता दिए तो खुदा ने फरिश्तों की तरफ ख़िताब करके फरमाया क्यों, मैं तुमसे न कहता था कि मैं आसमानों और ज़मीनों के छिपे हुए राज़ को जानता हूँ, और जो कुछ तुम अब ज़ाहिर करते हो और जो कुछ तुम छिपाते थे (वह सब) जानता हूँ |
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41 | 2 | 34 | وإذ قلنا للملائكة اسجدوا لآدم فسجدوا إلا إبليس أبى واستكبر وكان من الكافرين |
| | | और (उस वक्त क़ो याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक गए मगर शैतान ने इन्कार किया और ग़ुरूर में आ गया और काफ़िर हो गया |
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42 | 2 | 35 | وقلنا يا آدم اسكن أنت وزوجك الجنة وكلا منها رغدا حيث شئتما ولا تقربا هذه الشجرة فتكونا من الظالمين |
| | | और हमने आदम से कहा ऐ आदम तुम अपनी बीवी समैत बेहिश्त में रहा सहा करो और जहाँ से तुम्हारा जी चाहे उसमें से ब फराग़त खाओ (पियो) मगर उस दरख्त के पास भी न जाना (वरना) फिर तुम अपना आप नुक़सान करोगे |
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43 | 2 | 36 | فأزلهما الشيطان عنها فأخرجهما مما كانا فيه وقلنا اهبطوا بعضكم لبعض عدو ولكم في الأرض مستقر ومتاع إلى حين |
| | | तब शैतान ने आदम व हौव्वा को (धोखा देकर) वहाँ से डगमगाया और आख़िर कार उनको जिस (ऐश व राहत) में थे उनसे निकाल फेंका और हमने कहा (ऐ आदम व हौव्वा) तुम (ज़मीन पर) उतर पड़ो तुममें से एक का एक दुशमन होगा और ज़मीन में तुम्हारे लिए एक ख़ास वक्त (क़यामत) तक ठहराव और ठिकाना है |
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44 | 2 | 37 | فتلقى آدم من ربه كلمات فتاب عليه إنه هو التواب الرحيم |
| | | फिर आदम ने अपने परवरदिगार से (माज़रत के चन्द अल्फाज़) सीखे पस खुदा ने उन अल्फाज़ की बरकत से आदम की तौबा कुबूल कर ली बेशक वह बड़ा माफ़ करने वाला मेहरबान है |
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45 | 2 | 38 | قلنا اهبطوا منها جميعا فإما يأتينكم مني هدى فمن تبع هداي فلا خوف عليهم ولا هم يحزنون |
| | | (और जब आदम को) ये हुक्म दिया था कि यहाँ से उतर पड़ो (तो भी कह दिया था कि) अगर तुम्हारे पास मेरी तरफ़ से हिदायत आए तो (उसकी पैरवी करना क्योंकि) जो लोग मेरी हिदायत पर चलेंगे उन पर (क़यामत) में न कोई ख़ौफ होगा |
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