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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3496 | 31 | 27 | ولو أنما في الأرض من شجرة أقلام والبحر يمده من بعده سبعة أبحر ما نفدت كلمات الله إن الله عزيز حكيم |
| | | और जितने दरख्त ज़मीन में हैं सब के सब क़लम बन जाएँ और समन्दर उसकी सियाही बनें और उसके (ख़त्म होने के) बाद और सात समन्दर (सियाही हो जाएँ और ख़ुदा का इल्म और उसकी बातें लिखी जाएँ) तो भी ख़ुदा की बातें ख़त्म न होगीं बेशक ख़ुदा सब पर ग़ालिब (और) दाना (बीना) है |
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3497 | 31 | 28 | ما خلقكم ولا بعثكم إلا كنفس واحدة إن الله سميع بصير |
| | | तुम सबका पैदा करना और फिर (मरने के बाद) जिला उठाना एक शख्स के (पैदा करने और जिला उठाने के) बराबर है बेशक ख़ुदा (तुम सब की) सुनता और सब कुछ देख रहा है |
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3498 | 31 | 29 | ألم تر أن الله يولج الليل في النهار ويولج النهار في الليل وسخر الشمس والقمر كل يجري إلى أجل مسمى وأن الله بما تعملون خبير |
| | | क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि ख़ुदा ही रात को (बढ़ा के) दिन में दाख़िल कर देता है (तो रात बढ़ जाती है) और दिन को (बढ़ा के) रात में दाख़िल कर देता है (तो दिन बढ़ जाता है) उसी ने आफताब व माहताब को (गोया) तुम्हारा ताबेए बना दिया है कि एक मुक़र्रर मीयाद तक (यूँ ही) चलता रहेगा और (क्या तूने ये भी ख्याल न किया कि) जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे ख़ूब वाकिफकार है |
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3499 | 31 | 30 | ذلك بأن الله هو الحق وأن ما يدعون من دونه الباطل وأن الله هو العلي الكبير |
| | | ये (सब बातें) इस सबब से हैं कि ख़ुदा ही यक़ीनी बरहक़ (माबूद) है और उस के सिवा जिसको लोग पुकारते हैं यक़ीनी बिल्कुल बातिल और इसमें शक नहीं कि ख़ुदा ही आलीशान और बड़ा रुतबे वाला है |
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3500 | 31 | 31 | ألم تر أن الفلك تجري في البحر بنعمت الله ليريكم من آياته إن في ذلك لآيات لكل صبار شكور |
| | | क्या तूने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा ही के फज़ल से कश्ती दरिया में बहती चलती रहती है ताकि (लकड़ी में ये क़ूवत देकर) तुम लोगों को अपनी (कुदरत की) बाज़ निशानियाँ दिखा दे बेशक उस में भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (कुदरत ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ दिखा दे बेशक इसमें भी तमाम सब्र व शुक्र करने वाले (बन्दों) के लिए (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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3501 | 31 | 32 | وإذا غشيهم موج كالظلل دعوا الله مخلصين له الدين فلما نجاهم إلى البر فمنهم مقتصد وما يجحد بآياتنا إلا كل ختار كفور |
| | | और जब उन्हें मौज (ऊँची होकर) साएबानों की तरह (ऊपर से) ढॉक लेती है तो निरा खुरा उसी का अक़ीदा रखकर ख़ुदा को पुकारने लगते हैं फिर जब ख़ुदा उनको नजात देकर खुश्की तक पहुँचा देता है तो उनमें से बाज़ तो कुछ देर एतदाल पर रहते हैं (और बाज़ पक्के काफिर) और हमारी (क़ुदरत की) निशानियों से इन्कार तो बस बदएहद और नाशुक्रे ही लोग करते हैं |
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3502 | 31 | 33 | يا أيها الناس اتقوا ربكم واخشوا يوما لا يجزي والد عن ولده ولا مولود هو جاز عن والده شيئا إن وعد الله حق فلا تغرنكم الحياة الدنيا ولا يغرنكم بالله الغرور |
| | | लोगों अपने परवरदिगार से डरो और उस दिन का ख़ौफ रखो जब न कोई बाप अपने बेटे के काम आएगा और न कोई बेटा अपने बाप के कुछ काम आ सकेगा ख़ुदा का (क़यामत का) वायदा बिल्कुल पक्का है तो (कहीं) तुम लोगों को दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी धोखे में न डाले और न कहीं तुम्हें फरेब देने वाला (शैतान) कुछ फ़रेब दे |
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3503 | 31 | 34 | إن الله عنده علم الساعة وينزل الغيث ويعلم ما في الأرحام وما تدري نفس ماذا تكسب غدا وما تدري نفس بأي أرض تموت إن الله عليم خبير |
| | | बेशक ख़ुदा ही के पास क़यामत (के आने) का इल्म है और वही (जब मौक़ा मुनासिब देखता है) पानी बरसाता है और जो कुछ औरतों के पेट में (नर मादा) है जानता है और कोई शख्स (इतना भी तो) नहीं जानता कि वह ख़़ुद कल क्या करेगा और कोई शख्स ये (भी) नहीं जानता है कि वह किस सर ज़मीन पर मरे (गड़े) गा बेशक ख़ुदा (सब बातों से) आगाह ख़बरदार है |
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3504 | 32 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الم |
| | | अलिफ़ लाम मीम |
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3505 | 32 | 2 | تنزيل الكتاب لا ريب فيه من رب العالمين |
| | | इसमे कुछ शक नहीं कि किताब क़ुरान का नाज़िल करना सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से है |
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