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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
350 | 3 | 57 | وأما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فيوفيهم أجورهم والله لا يحب الظالمين |
| | | रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें वह उनका पूरा-पूरा बदला देगा। अल्लाह अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता |
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351 | 3 | 58 | ذلك نتلوه عليك من الآيات والذكر الحكيم |
| | | ये आयतें है और हिकमत (तत्वज्ञान) से परिपूर्ण अनुस्मारक, जो हम तुम्हें सुना रहे हैं |
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352 | 3 | 59 | إن مثل عيسى عند الله كمثل آدم خلقه من تراب ثم قال له كن فيكون |
| | | निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में ईसा की मिसाल आदम जैसी है कि उसे मिट्टी से बनाया, फिर उससे कहा, "हो जा", तो वह हो जाता है |
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353 | 3 | 60 | الحق من ربك فلا تكن من الممترين |
| | | यह हक़ तुम्हारे रब की ओर से हैं, तो तुम संदेह में न पड़ना |
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354 | 3 | 61 | فمن حاجك فيه من بعد ما جاءك من العلم فقل تعالوا ندع أبناءنا وأبناءكم ونساءنا ونساءكم وأنفسنا وأنفسكم ثم نبتهل فنجعل لعنت الله على الكاذبين |
| | | अब इसके पश्चात कि तुम्हारे पास ज्ञान आ चुका है, कोई तुमसे इस विषय में कुतर्क करे तो कह दो, "आओ, हम अपने बेटों को बुला लें और तुम भी अपने बेटों को बुला लो, और हम अपनी स्त्रियों को बुला लें और तुम भी अपनी स्त्रियों को बुला लो, और हम अपने को और तुम अपने को ले आओ, फिर मिलकर प्रार्थना करें और झूठों पर अल्लाह की लानत भेजे।" |
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355 | 3 | 62 | إن هذا لهو القصص الحق وما من إله إلا الله وإن الله لهو العزيز الحكيم |
| | | निस्संदेह यही सच्चा बयान है और अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं। और अल्लाह ही प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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356 | 3 | 63 | فإن تولوا فإن الله عليم بالمفسدين |
| | | फिर यदि वे लोग मुँह मोड़े तो अल्लाह फ़सादियों को भली-भाँति जानता है |
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357 | 3 | 64 | قل يا أهل الكتاب تعالوا إلى كلمة سواء بيننا وبينكم ألا نعبد إلا الله ولا نشرك به شيئا ولا يتخذ بعضنا بعضا أربابا من دون الله فإن تولوا فقولوا اشهدوا بأنا مسلمون |
| | | कहो, "ऐ किताबवालो! आओ एक ऐसी बात की ओर जिसे हमारे और तुम्हारे बीच समान मान्यता प्राप्त है; यह कि हम अल्लाह के अतिरिक्त किसी की बन्दगी न करें और न उसके साथ किसी चीज़ को साझी ठहराएँ और न परस्पर हममें से कोई एक-दूसरे को अल्लाह से हटकर रब बनाए।" फिर यदि वे मुँह मोड़े तो कह दो, "गवाह रहो, हम तो मुस्लिम (आज्ञाकारी) है।" |
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358 | 3 | 65 | يا أهل الكتاب لم تحاجون في إبراهيم وما أنزلت التوراة والإنجيل إلا من بعده أفلا تعقلون |
| | | "ऐ किताबवालो! तुम इबराहीम के विषय में हमसे क्यों झगड़ते हो? जबकि तौरात और इंजील तो उसके पश्चात उतारी गई है, तो क्या तुम समझ से काम नहीं लेते? |
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359 | 3 | 66 | ها أنتم هؤلاء حاججتم فيما لكم به علم فلم تحاجون فيما ليس لكم به علم والله يعلم وأنتم لا تعلمون |
| | | "ये तुम लोग हो कि उसके विषय में वाद-विवाद कर चुके जिसका तुम्हें कुछ ज्ञान था। अब उसके विषय में क्यों वाद-विवाद करते हो, जिसके विषय में तुम्हें कुछ भी ज्ञान नहीं? अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते" |
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